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Exclusive Articles written by Ajay Setia

भतीजे पर हावी होने में जुटे बाल ठाकरे

Publsihed: 05.Mar.2008, 20:35

अपन ने पांच फरवरी को लिखा था- 'दो भाईयों की जंग में पिसते बेगुनाह।' एक महीने बाद वह बात सही साबित हुई। जब राज ठाकरे को मराठियों में आगे बढ़ता देखा। बेटे उध्दव पर भतीजा राज हावी होता दिखा। तो बाल ठाकरे भी बिहारियों के खिलाफ मैदान में उतर आए। शुरू में उध्दव ने बिहारियों का बचाव किया। पर मराठी राज के साथ जाने लगे। तो बाल ठाकरे ने कमान संभाली। पिछले हफ्ते संसद में हुआ हल्ला तो अपन ने बताया ही था। बाल ठाकरे ने इसी को बहाना बनाया। पांच मार्च के 'सामना' में बाल ठाकरे ने लिखा- 'बिहारियों को दक्षिण भारत में पसंद नहीं किया जाता। असम, पंजाब और चंडीगढ़ में भी पसंद नहीं किया जाता। वे जहां भी जाते हैं, लोकल लोगों को अपना विरोधी बना देते हैं।

क्रिकेट जीते तो विपक्ष के हमले पचा गए मनमोहन

Publsihed: 04.Mar.2008, 20:40

उधर ब्रिसबेन में कंगारुओं पर अपने शेर हावी थे। तो इधर संसद में मनमोहन पर विपक्ष हावी। लोकसभा में अनंत कुमार ने घेरा। तो राज्यसभा में अपने अरुण जेटली ने। दोनों जगह राष्ट्रपति का अभिभाषण बना मुद्दा। पर बहस अभिभाषण पर कम। बजट पर ज्यादा होती दिखी। जेटली बोले- 'सरकार बिना योजना के काम कर रही है। किसानों का कर्ज माफ किया। पर यह पता नहीं- पैसा कहां से आएगा।' यही बात सोमवार को आडवाणी ने लोकसभा में पूछी थी। बहस दूसरे दिन भी जारी रही। तो अनंत कुमार ने नक्सलवाद पर मनमोहन-पाटिल को घेरा। यों आडवाणी के लिखित भाषण में यह उदाहरण था। पर लोकसभा में देना भूल गए।

सरकार की उलटी गिनती शुरू

Publsihed: 04.Mar.2008, 07:55

जून में भंग हुई। तो लोकसभा चुनाव नवंबर दिसंबर में। अभिभाषण पर बहस शुरू हुई। तो आडवाणी बोले- 'इस साल नहीं, तो अगले साल के शुरू में चुनाव। इस सरकार में तो राष्ट्रपति का यह आखिरी अभिभाषण था।' सामने बैठे मनमोहन न तो खंडन में बोले। बोलना तो दूर की बात, मुंडी भी नहीं हिलाई। विपक्ष का नेता बोले। तो पीएम के दखल देने का रिवाज। पर मनमोहन चुप्पी साधकर बैठे रहे। वह तब भी कुछ नहीं बोले। जब आडवाणी ने क्वात्रोची का जिक्र कर सोनिया पर हमला किया। वह तब भी कुछ नहीं बोले। जब आडवाणी ने कहा- 'आपकी सारी योजनाएं नेहरू, इंदिरा, राजीव के नाम पर। क्या इस देश में इस परिवार के अलावा कोई नेता नहीं हुआ।' उनने मनमोहन पर फब्ती कसते कहा- 'आपके गुरु नरसिंह राव के नाम पर भी कोई योजना नहीं।'

जून में भंग तो नहीं हो जाएगी लोकसभा

Publsihed: 01.Mar.2008, 21:56

लोकलुभावन बजट के बाद कांग्रेस में खामोशी। किसी कांग्रेसी ने अभी तक नहीं कहा- 'चुनाव इसी साल होंगे।' पर लेफ्टिए इसी साल चुनावों की भविष्यवाणी करने लगे। येचुरी-वर्धन के मुताबिक चुनाव बस आया समझो। किसानों की कर्ज माफी के खिलाफ बोलने की किसी में हिम्मत नहीं। सोनिया ने एक झटके से बीस करोड़ वोट झटक लिए। हर कर्जाऊ किसान के घर पांच वोट तो होंगे ही। चार करोड़ को फायदा होगा। तो बीस करोड़ वोटों का जुगाड़। इनकम टैक्स में राहत वाला मिडिल क्लास। छठे वेतन आयोग वाला कर्मचारी वर्ग अलग से। इतने वोटों का जुगाड़ कर चुनाव अगले साल तक कौन रोकेगा।

किसानों से वाहवाही पर एक दिन का सब्र नहीं

Publsihed: 01.Mar.2008, 04:18

देखा चुनावी बजट। किसानों के कर्ज माफ। इनकम टैक्स में छूट। दोनों ही बातें अपन ने एक दिन पहले बता ही दी थीं। पर यह अपना अंदाज ही था। अपन ने कोई बजट लीक नहीं किया। अट्ठारह साल पहले 1989 में कनाडा का बजट लीक हुआ। तो टीवी खबरची डॉग समाल पर सरकारी संपत्ति की चोरी का मुकदमा चला। सो अपन पहले ही बता दें। चिदंबरम ने अपन को बजट लीक नहीं किया। पर चिदंबरम ने बजट लीक नहीं किया। ऐसी बात भी नहीं। उनने सोनिया गांधी को बजट लीक कर गोपनीयता भंग की। जिसकी उनने मंत्री बनने पर शपथ ली थी।

चार साल बाद आज बारी आम आदमी की

Publsihed: 28.Feb.2008, 21:18

आर्थिक सर्वेक्षण पेश हुआ। तो अपन को नरेंद्र मोदी की याद आई। अट्ठाईस जनवरी को बीजेपी काउंसिल में बोले। तो चिदंबरम को चुनौती दी- 'एनडीए शासित राज्यों की विकास दर निकाल दो। तो विकास दर की पोल खुल जाएगी। वाजपेयी राज से कम निकलेगी।' अब 8.7 फीसदी विकास दर देख सीताराम येचुरी बोले- 'विकास दर से सर्विस सेक्टर निकाल दो। तो विकास दर एक फीसदी से कम निकलेगी।' आप येचुरी के तेवरों से अंदाजा लगा लें। चुनाव की संभावनाएं बनने लगी या नहीं। याद करो, जब पांच दिसंबर को शीत सत्र में एटमी करार पर बहस हुई। लेफ्ट ने एनडीए के साथ वाकआउट किया। तो अपन ने छह दिसंबर को क्या लिखा था। अपन ने लिखा था- 'लेफ्ट ने गलती सुधारी, लोकसभा पर लटकी तलवार।' चौथे ही दिन दस दिसंबर को बीजेपी ने तुरत-फुरत फैसला किया।

राबर्ट आए, तो दिखा करार का साइड इफेक्ट

Publsihed: 28.Feb.2008, 06:11

एटमी करार पर संसद गर्म होगी ही। करार के साइड इफेक्ट अभी से सामने आने लगे। अपन इन साइड इफेक्टों का छह महीने पहले खुलासा कर चुके। सो लब्बोलुबाब यह- बजट सत्र सरकार की शामत बनेगा। इसमें अपन को कोई अंदेशा नहीं। फिलहाल किसानों की खस्ता हालत मुद्दा। आगे-आगे देखिए। सरकार की हालत खस्ता दिखेगी। यों तो एनडीए-यूएनपीए में छत्तीस का आंकड़ा। पर किसानों के मुद्दे पर दोनों एकजुट। बुधवार दूसरे दिन भी संसद नहीं चली। एनडीए-यूएनपीए चुप होंगे। तो यूपीए खुद ही हंगामा खड़ा करेगा। यूपीए का मुद्दा होगा- राज ठाकरे। राज के मुद्दे पर सारी संसद एकजुट दिखेगी।

अब लालू का शाइनिंग इंडियन रेल भुलावा

Publsihed: 27.Feb.2008, 06:11

अपने नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस का 'चक दे गुजरात' नहीं चला। पर लालू ने 'चक दे रेलवे' बजट पेश किया। चुनावी साल में लालू भी चिदंबरमी हो गए। गुरुदास दासगुप्त की यह टिप्पणीं लालू को नागवार गुजरी होगी। चिदंबरम के एलान देखन में भले लगे, घाव करे गंभीर। भले लगने की बात चली। तो लालू ने भी इस बार कुलियों से खूब वाह-वाही लूटी। कुली फिल्म में अमिताभ बच्चन ने कहा था- 'सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं। लोग आते हैं, लोग जाते हैं। और हम यों ही खड़े रह जाते हैं।' सो लालू ने कुलियों को गैंगमैन की नौकरी का एलान किया। तो सालों से प्लेटफार्म पर दौड़-भाग करते कुली चहक उठे।

अभिभाषण में इतना हल्ला पहले नहीं देखा

Publsihed: 26.Feb.2008, 03:45

तो हो गया अपनी प्रतिभा ताई के भाषण का श्रीगणेश। सब ठीक रहा। तो अगले साल दूसरा अभिभाषण भी यूपीए सरकार लिखेगी। अगले साल ताई को दो अभिभाषणों का मौका। सब ठीक-ठाक न रहा तो। सरकार इसी साल धड़ाम हुई, तो अलग बात। अपन पहली फरवरी को अपना अंदेशा बता चुके। जब अपन ने लिखा- 'चुनाव ही न करा दे रामसेतु-एटमी करार।' अपन ने तब लिखा था- 'मनमोहन फरवरी में लेफ्ट से पंगा नहीं लेंगे। पहले बजट निपटाएंगे। फरवरी तो चिदंबरम-चिदंबरम करते निकल जाएगी। पर मार्च में करात-मनमोहन आमने-सामने होंगे।' अपना अंदाज सही साबित होने लगा।

सेन्ट्रल हॉल के श्री गणेश में टीआरएस का भी फच्चर

Publsihed: 25.Feb.2008, 03:15

तो संसद का बजट सत्र आज से शुरू । सत्र से पहले इतवार को सोमनाथ चटर्जी ने मीटिंग बुलाई। तो विपक्ष का रुख साफ हो गया। सरकार की नीयत भी साफ हुई। सबसे अहम सवाल तो आडवाणी ने उठाया। उनने सामने बैठे मनमोहन सिंह से पूछा-''कर्नाटक पर आपका इरादा क्या है। तीन महीने बीतने को हो गए। डीलिमिटेशन पर जान बुझकर नोटिफिकेशन में देर लगाई। ताकि कर्नाटक में छह महीने राष्ट्रपति राज बढाया जाए। पर अभी भी वक्त। सरकार चुनावों में बाधा खड़ी न करें। '' मनमोहन ने मुंह नहीं खोला। नीयत साफ होती। तो साफ-साफ कह देते-''सरकार तय समय में चुनाव में अड़चन नहीं बनेगी।''