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Exclusive Articles written by Ajay Setia

बेनजीर से सबक लेकर ही रैलियां करेंगे लाल जी

Publsihed: 05.Feb.2008, 20:40

वैसे इतनी जल्दी भी क्या थी। चौदहवीं लोकसभा का अभी सवा साल बाकी। सवा साल आडवाणी घूमते रहे। तो चुनाव आते-आते यों भी थक जाएंगे। अपन को तो पहले ही अंदेशा था। पता नहीं किस अनाड़ी ने सलाह दी होगी। पीएम-इन-वेटिंग को जरा इंतजार तो करना चाहिए। रैलियां जल्दी हो जाएंगी। तो जल्दी पीएम नहीं बन जाएंगे। अपन ने पाकिस्तान की पीएम-इन-वेटिंग का हाल तो देखा ही। मुशर्रफ भी बेनजीर को समझा-समझाकर थक गए। पर बेनजीर नहीं मानी। रैलियों पर रैलियां करती गई। यह संयोग ही, जो बेनजीर-आडवाणी दोनों सिंधी। दोनों कराची में पैदा हुए। यह भी संयोग। जो दोनों एक ही वक्त पीएम इन-वेटिंग बने।

दो भाईयों की जंग में पिसते बेगुनाह

Publsihed: 04.Feb.2008, 20:40

अपन लेफ्ट-कांग्रेस की जंग को दो भाईयों की जंग कहें। तो कोई बुराई नहीं। विदेश और आर्थिक नीति पर दोनों भाईयों की तू-तू, मैं-मैं जारी। इसी तू-तू, मैं-मैं में अब प्रणव दा धमकियों पर उतर आए। धमकियां भी ऐसी, पूछो मत। लेफ्टियों की मांद कोलकाता में जाकर बोले- 'एटमी करार सिरे न चढ़ा। तो समस्याएं खड़ी होंगी।' समस्याओं में उनने बताए आर्थिक प्रतिबंध। लेफ्टियों की खिल्ली उड़ाते हुए कहा- 'सत्तर-अस्सी के दशक में कम्युप्टर का विरोध कर रहे थे। अब एटमी करार का।' दादा की बात सोलह आने सही। पर प्रतिबंध तो पहले से मौजूद। अब और प्रतिबंध लगे। तो जिम्मेदार होंगे मनमोहन सिंह।

कंपकपाने वाली ठंड में रामसेतु की गर्मी

Publsihed: 01.Feb.2008, 20:40

आमतौर पर पहली फरवरी इतनी ठंडी नहीं होती। दिल्ली का सामान्य तापमान नौ डिग्री होना चाहिए था। पर अबके ठंड ने अपने तेवर दिखा दिए। रामभक्त कह सकते हैं- 'यूपीए सरकार के रामसेतु विरोधी होने पर शिव ने रौद्र रूप दिखा दिया।' रामसेतु की बात चली। तो बताते जाएं। अपन को नहीं लगता- सरकार मार्च में भी हल्फिया बयान देगी। अंबिका सोनी कह रही थी- 'एएसआई ने कोई सर्वेक्षण नहीं किया। जब तक खुद सर्वेक्षण न करे। कोई हल्फिया बयान नहीं देगा। जिन एक्सपर्टो ने सर्वेक्षण किया। जिनका दावा- रामसेतु किसी आदमी ने नहीं बनाया। वही सुप्रीम कोर्ट में हल्फिया बयान दे।'

चुनाव ही न करा दें रामसेतु-एटमी करार

Publsihed: 31.Jan.2008, 20:35

अपन को तो नहीं लगता सरकार गिरेगी। पर राम जी कब क्या करा दें। कौन जाने। चाय की एक प्याली के तूफान ने ग्यारहवीं लोकसभा भंग करा दी थी। याद है सुब्रह्मण्यम स्वामी की चाय पार्टी। जहां दो महिलाओं के मिलन ने वाजपेयी सरकार गिरा दी। पर वाजपेयी को उसका फायदा ही हुआ। चुनाव के बाद बारहवीं लोकसभा बनी। तो अटल को किसी चंद्रबाबू की चिट्ठी का इंतजार नहीं करना पड़ा। पर बात हो रही है तेरहवीं लोकसभा की। जिसका राम नाम कब सत्य हो जाए। कोई भरोसा नहीं। एक तरफ लेफ्ट का डंडा। दूसरी तरफ डीएमके का फंडा। रामसेतु तोड़ सेतुसमुद्रम बनाना डीएमके का एजेंडा। तो अमेरिका से एटमी करार पर लेफ्ट का अड़ंगा। डीएमके का फंडा और लेफ्ट का डंडा मनमोहन के गले की हड्डी।

महिला आरक्षण कांग्रेस के जी का जंजाल

Publsihed: 30.Jan.2008, 20:35

सांप्रदायिकता भड़काने वाली सीडी का भूत फिर निकल आया। खुन्नस निकालने मायावती का भी जवाब नहीं। जिस लालजी टंडन के हाथ पर राखी बांधती थी। उसी हाथ में हथकड़ी का इरादा। अपने राजनाथ सिंह भी लपेटे में। यूपी चुनाव के दौरान सीडी का बवाल खड़ा हुआ। तो चुनाव आयोग के फरमान पर एफआईआर दायर हुई थी। बीजेपी ने सीडी से नाता तोड़ा, वापस ली। आयोग के कहने पर माफी भी मांगी। पर मायावती ताज घोटाले की खुन्नस निकालने पर उतारू। वाजपेयी के समय ताज घोटाले में न फंसती। तो बीजेपी-बसपा शादी भी न टूटती। अब जब मायावती ने सीडी का भूत निकाला।

एंटी इनकमबेंसी में निपटेंगे एमएलए

Publsihed: 29.Jan.2008, 20:40

यों भले ही बीजेपी काउंसिल शांति से निपट गई। पर बाहर से दिख रही शांति, अंदर से वैसी नहीं। आखिर तक खुसर-पुसर चलती रही। वर्किंग कमेटी की शुरूआत राजनाथ ने करनी थी। समापन भाषण आडवाणी का था। रात साढ़े सात बजे जावड़ेकर की प्रेस कांफ्रेंस तय थी। पर बिना समापन भाषण के वर्किंग कमेटी निपटी। जावड़ेकर को इधर-उधर की बात करनी पड़ी। आखिर क्यों नहीं हुआ आडवाणी का भाषण? अपनी वसुंधरा राजे की गैर हाजिरी भी कौतुहुल का मुद्दा रही। काउंसिल में आई भी। तो अपने भाषण तक मंच पर नहीं पहुंची। भाषण में भी बाकी मुख्यमंत्रियों पर टिप्पणीं कर गई। बोली- 'अभी सब लोग ताल ठोककर गए हैं कि किसने कितनी तोपें बजाई हैं।' यह पहले बोलने वाले रमण, शिवराज पर कटाक्ष था। वह तो मोदी का भाषण सुने बिना ही उठ गई थी। उठते-उठते बैठी।

बीजेपी का चुनावी मंत्र - महिलाएं और मोदित्व

Publsihed: 28.Jan.2008, 20:39

बीजेपी वर्किंग कमेटी में बिना बोले ही छा गए मोदी। सोमवार को काउंसिल में बोले, तो छाना ही था। पर राजनाथ का मोदीमंत्र बाकी सीएम को रास नहीं आया। मोदी की तारीफ से जैसे जल-भुन गए हों। अपनी वसुंधरा का वर्किंग कमेटी में नहीं आना खला। अपन को नहीं, हाईकमान को। काउंसिल में भी दोपहर बाद पहुंची। तो अपन ने लंबे समय बाद दिल्ली के खबरचियों से घुलते-मिलते देखा। शायद बिगड़ी छवि सुधारने की कोशिश। कुरेदा, तो राजनाथ के मोदी मंत्र से उखड़ी दिखी। बोली- 'सब राज्यों की परिस्थितियां अलग-अलग। सब जगह एक मंत्र नहीं चल सकता। कोशिश तो कर रहे हैं।'

गणतंत्र दिवस के दुकानदार

Publsihed: 25.Jan.2008, 20:39

अपनी नई राष्ट्रपति का देश के नाम पहला संदेश। दूरदर्शन-आकाशवाणी से जारी हुआ। एक जमाना था- जब भाषण सुनने को देश थम जाता था। पर अब लोगों की दिलचस्पी घटने लगी। नेताओं की कथनी-करनी एक सी रहती। तो राष्ट्रपति के भाषण का बजट की तरह इंतजार होता। पर जब प्रतिभा पाटिल देश को संदेश दे रही थी। तो सारे प्राइवेट खबरिया चैनल किडनी रैकेट दिखा रहे थे। गुड़गांव में चल रहा था दुनिया का सबसे बड़ा किडनी रैकेट। अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, इटली तक से आते थे किडनी के ग्राहक। बात इटली की चली। आप चौंकिए नहीं। अपन सोनिया की बात नहीं कर रहे। अपन बात कर रहे हैं कार्ला ब्रूनी की।

मुर्गेबाजों के रोजे शुरू हुए देशभर में

Publsihed: 24.Jan.2008, 20:39

king-cock.jpgएक ऐसा प्रेस नोट जो आया नहीं। पर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चुहुलबाजी होती रही। बुध्ददेव सरकार लंबी तानकर सोई रही। सरकार वक्त पर जागती। तो सिंगूर, नंदीग्राम, नंदलाल मार्केट की आग वक्त पर बुझ जाती। बुध्ददेव लंबी तानकर न सोते। तो महाराष्ट्र की तरह बर्ड फ्ल्यू को वक्त पर काबू पा लिया जाता। गुरुवार को केबिनेट मीटिंग हुई। तो अपने शरद पवार ने बर्ड फ्ल्यू का हिसाब-किताब दिया। केबिनेट के बाद प्रियरंजन दासमुंशी बता रहे थे। अब दासमुंशी बोलेंगे, तो राजनीतिक तड़का लगाएंगे ही। सो उनने कहा- 'लेफ्टियों की सरकार ने एक हफ्ते देरी से केंद्र को जानकारी दी। बर्ड फ्ल्यू शुरू हुआ था चार जनवरी को। बंगाल सरकार ने केंद्र को बताया ग्यारह जनवरी को।' पर अपन बात आगे बढ़ाएं। पहले केंद्र सरकार की क्लास लेते जाएं।

सरकोजी न हुए मुसीबत हो गई

Publsihed: 23.Jan.2008, 20:39

अपने गणतंत्र का महत्व देखिए। जनता के नेता जनता से सुरक्षित नहीं। गणतंत्र दिवस आते ही दिल्ली हर President Sarkozy will be India’s Guest on Republic Dayसाल किला बनने लगी। इंडिया गेट की सैर आम लोगों के लिए बंद। नेताओं की सुरक्षा की बात चली। तो एक दिलचस्प किस्सा सुनाते जाएं। अपनी यूपी की सीएम मायावती आजकल बेहद डरी हुई हैं। दो बार शिवराज पाटिल को एसपीजी के लिए लिखकर भेजा। मायावती को गैर कानूनी मांग पर परहेज नहीं। कोई आम आदमी गैर कानूनी काम करे। तो जेल भेज दिया जाए। पर एसपीजी की राजनीति के आगे सब बौने। केंद्र सरकार से जवाब नहीं बन पा रहा। सो मायावती ने 23 जनवरी को तीसरी चिट्ठी भिजवाई।