तो संसद का बजट सत्र आज से शुरू । सत्र से पहले इतवार को सोमनाथ चटर्जी ने मीटिंग बुलाई। तो विपक्ष का रुख साफ हो गया। सरकार की नीयत भी साफ हुई। सबसे अहम सवाल तो आडवाणी ने उठाया। उनने सामने बैठे मनमोहन सिंह से पूछा-''कर्नाटक पर आपका इरादा क्या है। तीन महीने बीतने को हो गए। डीलिमिटेशन पर जान बुझकर नोटिफिकेशन में देर लगाई। ताकि कर्नाटक में छह महीने राष्ट्रपति राज बढाया जाए। पर अभी भी वक्त। सरकार चुनावों में बाधा खड़ी न करें। '' मनमोहन ने मुंह नहीं खोला। नीयत साफ होती। तो साफ-साफ कह देते-''सरकार तय समय में चुनाव में अड़चन नहीं बनेगी।''
कर्नाटक की बात चली। तो बताते जाए-आतंकवादियों की धर-पकड़ से भी बीजेपी का पलड़ा भारी। कांग्रेस की मुसीबतें पहले भी कम नहीं। देवगौड़ा पार्टी यों भी संकट में सो इतवार को देवगौड़ा बोले-''संसद में आतंकवाद पर चर्चा हो।'' आतंकवाद तो मुद्दा होगा ही यह अपन पहले ही लिख चुके। सरकार आंतरिक सुरक्षा पर पूरी तरह घिरेगी। मंहगाई और किसानों की हालत पर तो चर्चा होगी ही। महिला आरक्षण पर सरकार फिर कटघरे मे खड़ी होगी। अपनी प्रेस कांफ्रेंस में प्रियरंजन दासमुंशी पूरी तरह घिरे। यों तो उनने पचास से ज्यादा बिल गिनाई। पर महिला आरक्षण पर पूछा । तो घिग्घी बंध गई। बोले-''इस सत्र में बिल एजेंडे में नहीं।'' यों एक बात और बताते जाएं मनमोहन सिंह ने बीजेपी का फार्मुला ठुकरा दिया। बीजेपी का फार्मुला था-''महिला आरक्षण के मौजूदा बिल पर सहमति नहीं बन रही। तो राजनीतिक दलों पर 33 फिसदी टिकटें महिलाओं को देना का बिल पास हो।'' अपने दासमुंशी ने इस सुझाव से कन्नी काटी। बोले-''सरकार महिलाओं को राजनीतिक दलों के रहमों करम पर नहीं रखेंगी। आरक्षण की संवैधानिक गैरैंटी देगी।'' यानि न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी। अपन पहले ही बता चुके। लालू के रहते यूपीए तो वह बिल पास नहीं करा सकती। बजट सत्र और मुद्दों पर भी हंगामेदार होगा। बीजेपी मुस्लिम तुष्टीकरण का मुद्दा उठाएगी तो सरकारी खेमा उड़ीसा में ईसाइयों पर अत्याचार को मुद्दा बनाएगा। अरूणाचल में पीएम के दौरे। चीन का बिलबिलाना। रामसेतु, एटमी करार, नेपाल सीमा तो मुद्दे होंगे ही। सर्वदलीय बैठक में एक नई मुसीबत भी खड़ी हो गई। अपन ने कल सेन्ट्रल हॉल में राज ठाकरे वाला मुद्दा उठने की बात कही थी। पर इतवार को सेन्ट्रल हॉल में नया मुद्दा उठने की सुगबुगाहट मिली। टीआरसी के बिनोद कुमार ने सोमनाथ चटर्जी से कहा-''तिलंगाना पर सरकार की नीयत साफ नहीं। हम तीन मार्च को लोकसभा से इस्तीफे देंगे। सो सत्ताईस या अठ्ठाइस को हमें बोलने का मौका दो'' मनमोहन सिंह के माथे पर तो पसीना आ गया। सोमनाथ दादा क्या कहते हैं। बोले -''आप नोटिस दीजिए। नियम के मुताबिक देखेंगे।'' बात यही पर रहती, तो गनीमत थी। मीटिंग खत्म हुई तो टीआरएस की रणनीति जाहिर होने लगी। टीआरएस का इरादा राष्ट्रपति के अभिभाषण में हल्ले का। ताकि सनद रहे सो याद करा दें। अब्दुल कलाम के पहले अभिभाषण में तिलंगाना का जिक्र था। यूपीए के सीएमपी में भी जिक्र था। सो आज टीआरएस का इरादा नई राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से जवाब तलबी का। टीआरएस सेन्ट्रल हॉल में हल्ला करके पूछेगी-''चार साल पहले अभिभाषण में जो बात कही उसका क्या हुआ?'' भनक लगते ही सरकार की घिग्घी बंध गई। दासमुंशी ने टीआरएस के मधुसूदन रेड्डी से कहा-''राष्ट्रपति के अभिभाषण में बाधा खड़ी न करो। इस्तीफे की बात भी अभी नहीं करो।'' पर जब पूछा तिलंगाना बिल आएगा। तो फिर घिग्घी बंध गई। जाते-जाते बताते जाएं । तिलंगाना पर टकराव न टला तो टीआरएस के चार सांसद तीन मार्च को इस्तीफा देंगे। पर पहले सेन्ट्रल हॉल का हल्ला तो बचाए सरकार।
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