Current Analysis
Earlier known as राजनीति this column has been re-christened as हाल फिलहाल.
अजय सेतिया /
अजय सेतिया / कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गांधी नेहरू परिवार के उम्मीदवार का चयन इस बार काफी दिलचस
अजय सेतिया / योगी सरकार से इस्तीफों का दौर तीसरे दिन भी जारी रहा | तीसरे दिन तीसरे मंत्री धर्म सिंह सैनी ने इस्तीफा दिया | स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान पहले इस्तीफा दे चुके थे | इन के साथ सात विधायक भी भाजपा छोड़ चुके हैं | इन सभी इस्तीफों की ख़ास बात यह है कि सभी ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं | तीनों मंत्रियों और विधायकों के इस्तीफों की एक बात सामान्य है कि सभी के इस्तीफों की भाषा एक ही है | तीसरी बात यह सामान्य है कि तीनों मंत्रियों ने इस्तीफे के बाद अखिलेश यादव के साथ खड़े हुए एक जैसी फोटो खिंचवाई है | इस से साफ़ दिखाई देता है कि ये सभी तस्वीरें कुछ दिन पहले तीनों
संसद में भी तृणमूल का असली रूप
अजय सेतिया / संसद के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था ,जब कोई सांसदनिलंबित किए जाने के बाद सुरक्षा कर्मी से भिड गया हो | जबरदस्ती सदन में घुसने की कोशिश की हो और रोके जाने पर दरवाजे का शीशा तोड़ दिया हो | लेकिन तृणमूल कांग्रेस जिस तरह की हिंसा पश्चिम बंगाल में कर रही है , वह हिंसा अब संसद के भीतर भी पहुंच गई है | संसद के इतिहास में 2021 का मानसून सत्र हिंसा की इस वारदात के लिए याद किया जाता रहेगा | 19 दिन के मानसून सत्र के तेरहवें दिन यह शर्मनाक घटना तब हुई जब राज्यसभा के सभापति वेंकैयानायडू ने हंगामा करने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह स
एल.एन.शीतल / देश के सबसे बड़े मीडिया हाउस - 'भास्कर समूह' पर IT और ED की छापेमारी को मीडिया पर हमला बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि सरकार ने भास्कर ग्रुप के सत्ताविरोधी तेवरों से चिढ़कर उसे सबक सिखाने और अन्य अख़बारों/चैनलों को डराने के लिए यह कार्रवाई की है.
ऐसा कहने वालों को मालूम होना चाहिए कि कोई भी अख़बार या न्यूज़ चैनल ऐसी कोई 'पवित्र गइया' बिल्कुल नहीं, जिसे रक्षा-कवच प्राप्त है.
अजय सेतिया / जब से कोविड शुरू हुआ है, संसद ढंग से नहीं चल रही | पिछले साल शीत सत्र तो हुआ ही नहीं था | बाकी सारे सत्र भी आधे अधूरे हुए | वैसे सरकार ने तो राहत महसूस की है | कोविड के बहाने उसे विपक्ष के हमलों से निजात मिली थी | पर इस बार का सत्र सरकार पर बहुत भारी पड़ने वाला है | विपक्षके साथ मीडिया भी हमलावर होगा | कोविड के बहाने संसद भवन परिसर में मीडिया की एंट्री पर अंकुश लगा है | लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहली बार हुआ है , जब&nbs
तीर्थ सिंह रावत बने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह पौड़ी के सांसद तीर्थ सिंह रावत उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री बनाए गए हैं | दस साल पहले इन्ही परिस्थियों में विधानसभा चुनावों से पहले रमेश पोखरियाल निशंक की जगह पर भुवन चन्द्र खंडूरी को मुख्यमंत्री बना कर भेजा गया था | हां;लांकि तब बहुत देर हो चुकी थी , चुनाव में सिर्फ चार महीने बचे थे , लेकिन अब थोड़ा सा पहले निर्णय हो गया है , चुनाव में ग्यारह महीने बचे हैं | पिछले शनिवार को भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बदलने का मन बनाया था और चार दिन बाद सारी प्रक्रिया पूरी कर के तीर्थ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई |