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Exclusive Articles written by Ajay Setia

तसलीमा के बाद दलाई लामा आंख की किरकिरी

Publsihed: 18.Mar.2008, 21:20

लेफ्ट ने मनमोहन को चिट्ठी लिखी- 'इजराइली फर्म से बाराक का नया सौदा न किया जाए। सवाल अमेरिका और इजराइल का हो। तो अपन को लेफ्ट का रवैया पहले से मालूम। सवाल चीन-रूस-ईरान-इराक का हो। तब भी लेफ्ट की राय से वाकिफ। आखिर रूस-चीन वैचारिक जन्मभूमि। तो ईरान-इराक अल्पसंख्यक वोट बैंक का हथियार। पर अपन को हैरानी तब हुई। जब प्रगतिशीलता पर अल्पसंख्यक वोट बैंक हावी हो गया। तसलीमा नसरीन को बंगाल से निकाल बाहर किया गया। लेफ्ट के साथ कांग्रेस का सेक्युलरिज्म भी बेनकाब हुआ। कांग्रेसी इदरिस अली की रहनुमाई में ही तसलीमा के घर हमला हुआ। प्रगतिशील और सेक्युलर? बुध्ददेव सरकार को अच्छा मौका मिला। नंदीग्राम में गोलीबारी से मुस्लिम खफा थे ही। जहां ज्यादातर मुस्लिम ही मारे गए।

वृंदावन की कुंज गलियों में रंग बरसे एकादशी पर

Publsihed: 17.Mar.2008, 20:40

सोचो, सोनिया या आडवाणी को रैली करनी हो। पिछले महीने दोनों ने ताकत दिखाई भी। पर दोनों रैलियों का आंकड़ा पचास हजार ही रहा। बचे-खुचे रामलीला मैदान की इतनी ही क्षमता। ये सब भी हुआ मुफ्त की बसें-ट्रक चलाकर। पर अपने कृष्णजी ने न न्यौता दिया, न ट्रक भेजे, न बसें चलाई। पर वृंदावन की कुंज गलियों में इतने लोग भर गए। जिधर देखो, गुलाल से रंगे सिर ही सिर। यों तो हर एकादशी पर ऐसी ही भीड़। पर फाल्गुन का महीना हो, एकादशी का दिन। तो क्या कहने। अपन मित्र को केशवकुंज में उतार इस्कान मंदिर की ओर बढ़े। कुंज गलियों और इस्कान की बात बाद में। पहले केशवधाम की बात। इस बार आरएसएस की प्रतिनिधि सभा वृंदावन में बैठी।

आतंरिक लोकतंत्र बनाम सोनिया के दस साल

Publsihed: 14.Mar.2008, 20:40

अपने यहां दलों के आतंरिक लोकतंत्र की क्या बात करें। पवार-संगमा-तारीक ने छोटी सी बात उठाई थी। कांग्रेस ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। बात पार्टी से निकालने तक जा पहुंची। दलों का आतंरिक लोकतंत्र तो अमेरिका में। ओबामा और हिलेरी की खुली जंग देखी। अपने यहां 1999 में जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उतरे। तो चौबीस अकबर रोड से बाहर कर दिए गए। सोनिया का सारा चुनाव अभियान चौबीस अकबर रोड से चला। जितेंद्र प्रसाद का उनके घर से। पर सोनिया 14 मार्च 1998 को कांग्रेस अध्यक्ष बन गई थी। शुक्रवार को कांग्रेस में भले ही जश्न हुआ। मनमोहन समेत सब बधाई देने के लिए लाइन में खड़े थे। पर लाल कृष्ण आडवाणी बेहद दु:खी दिखे। बोले- 'भारतीय राजनीति में यह दु:खद दिन।

बीजेपी बोली- पप्पू नकल से पास हुआ

Publsihed: 13.Mar.2008, 21:10

चुनाव नजदीक, तो राजनीति कुलाचे मारने लगी। मुलायम कांग्रेस के प्रति मुलायम होने लगे। पर अब तक मुलायम प्रकाश करात सख्त दिखने लगे। दिल्ली में मुलायम बोले- 'कांग्रेस से गठबंधन संभव।' लखनऊ में करात बोले- 'कांग्रेस महंगाई बढ़ाने की जिम्मेदार।' राजनीति का उथल-पुथल इसे कहते हैं। कर्नाटक में भी यही रंग दिखा। जब देवगौड़ा के खास बच्चेगौड़ा बीजेपी में आ मिले। दिल्ली से लौटकर येदुरप्पा के तेवर और तीखे। बोले- 'कांग्रेस ने चुनाव रोकने की साजिश बंद नहीं की। तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।' येदुरप्पा की बात चली। तो बताते जाएं। कर्पूरचंद्र कुलिश अवार्ड में वीआईपी टेबल पर पहुंचे।

केंद्र में माकपा के साथ तो केरल में संघ के साथ कांग्रेस

Publsihed: 12.Mar.2008, 20:40

अपने सोमनाथ चटर्जी ने माकपा दफ्तर पर हुआ हमला तो सदन में उठाने दिया। पर केरल में बीजेपी-संघ दफ्तरों पर हुए हमलों का मुद्दा नहीं उठाने दिया। केरल की बात करो। तो राज्य का मामला। दिल्ली की बात करो। तो केंद्र का मामला। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलने का यही फायदा। इतवार को सीपीएम दफ्तर पर हमला हुआ। तो सारे राजनीतिक दल एकजुट हो गए। पर केरल में बीजेपी-संघ दफ्तरों पर हमले आम बात। आज नहीं, अलबत्ता महीनों से यही सिलसिला। पहली बार भी नहीं। अलबत्ता हर दूसरे-तीसरे साल ऐसी घटनाएं शुरू। बंगाल में संघ-बीजेपी के पांव उतने नहीं जमे।

अपन को कुछ तो पाक से भी सीख लेना चाहिए

Publsihed: 11.Mar.2008, 20:40

पाकिस्तान में लोकतंत्र की जड़ें नहीं जमीं। तो इसका मतलब यह नहीं। पाक से सीखने लायक कुछ नहीं। पर यह लिखने से पहले अपन ठिठके। कहीं अपन को पाकपरस्त ही न मान लिया जाए। अपने लाल कृष्ण आडवाणी ने क्या गलत कहा था। जो उन्हें जिन्नापरस्त मान लिया गया। उनने यही तो कहा था- 'पाक की संविधान सभा में जिन्ना ने सेक्युलर पाकिस्तान की कल्पना की थी।' इस्लामिक देश में जाकर आइना दिखाना कहां गलत था। पर संघ से लेकर कांग्रेस तक। सब हाथ धोकर आडवाणी के पीछे पड़ गए। मजबूरी में आडवाणी चुप जरूर रहे। पर उनने कभी नहीं माना- जिन्ना के बारे में गलत कहा।

तो हॉकी भी क्यों नही संभाल लेते शरद पवार

Publsihed: 10.Mar.2008, 21:39

अपन ने चिली को हराया। ब्रिटेन ने आस्ट्रेलिया को हराया। तो अपन इस बात पर खुश थे। अब ओलंपिक में पहुंचने का रास्ता साफ। अपना मुकाबला आस्ट्रेलिया से होता। तो मुश्किल होती। पर अपने पैरों तले से तो जमीन खिसक गई। जब अपन ब्रिटेन जैसी फिसड्डी टीम से भी हार गए। पर अपनी भारतीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष एम एस गिल को शर्म नहीं आई। अपन जब यह लिख रहे थे। तो गिल ने बड़ी बेशर्मी से इस्तीफे की मांग ठुकरा दी। उनसे धनराज पिल्ले ने इस्तीफा मांगा। प्रगट सिंह ने इस्तीफा मांगा। खुद इस्तीफा देकर फेडरेशन के उपाध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ने भी इस्तीफा मांगा। डेरी डिसूजा ने तो कहा- 'ऐसी हॉकी फेडरेशन ही भंग करो।' सीपीआई के सांसद गुरुदास दासगुप्त ने तो कहा- 'गिल को धक्का मारकर बाहर निकाल दो।'

संगमा की अब सोनिया को मेघालय में चुनौती

Publsihed: 08.Mar.2008, 20:37

अपन ने शुक्र और शनिवार को मेघालय का जिक्र किया। तो होने वाले घमासान का अंदेशा बताया। अपने अंदेशे के मुताबिक ही एसेंबली लंगड़ी निकली। शुक्रवार को अपन ने लिखा था- 'अपन से पूछो तो लंगड़ी एसेंबली आएगी। संगमा सीएम पद के दावेदार। पवार भले ही सोनिया के साथ हो चुके। संगमा घुटने टेकने को तैयार नहीं।' आगे अपन ने लिखा- 'अब लाख टके का सवाल यह- क्या सोनिया संगमा को सीएम बनने देगी? क्या लंगड़ी विधानसभा में कांग्रेस-एनसीपी गठजोड होगा। या संगमा कांग्रेस को किनारा कर गठबंधन सरकार बना लेंगे? इसी बात की संभावना ज्यादा। यों भी संगमा को आडवाणी कबूल होंगे, सोनिया नहीं।'

दिया जब रंज कांग्रेस ने तो थर्ड फ्रंट याद आया

Publsihed: 07.Mar.2008, 22:30

त्रिपुरा में जीतकर सीपीएम फिर शेर हो गई। त्रिपुरा ने हिम्मत जरूर बढ़ाई। न भी जीतते, तो भी एटमी करार पर कड़वाहट कम न होती। त्रिपुरा में राज करते पंद्रह साल हो गए। फिर भी लेफ्ट की ताकत पिछली एसेंबली से बढ़ी। सो नंदीग्राम-सिंगूर के बावजूद लेफ्ट को बंगाल में ताकत बने रहने का भरोसा। लेफ्ट के करार विरोधी तेवरों में कोई फर्क नहीं आना। अपन कुछ बातें पहले ही कह चुके। जैसे- लोकसभा जून में भंग होने के आसार। जैसे- मार्च में करात-मनमोहन आमने-सामने होंगे। करात ने पंद्रह मार्च तक मीटिंग का एल्टीमेटम दे ही दिया। सो अब मीटिंग संसद सत्र के दौरान होगी। तो कांग्रेस-लेफ्ट तू-तू, मैं-मैं तेज होगी ही।

माहौल बनाकर चुनाव क्यों टालेगी कांग्रेस

Publsihed: 06.Mar.2008, 23:36

गुरुवार को देशभर में जश्न का माहौल रहा। एक तरफ शिवरात्रि की धूम। तो दूसरी तरफ क्रिकेट टीम के लौटने की। टीम को दिल्ली में बुलाकर शरद पवार ने खुद को खूब चमकाया। पहले बेंगलुरु में अंडर-19 का जश्न। फिर दिल्ली में सीनियर टीम का। पवार अपना राजनीतिक दायरा भी बढ़ाते दिखे। एनसीपी को महाराष्ट्र से बाहर भी निकालने की तैयारी। यों एनसीपी का राष्ट्रीय दर्जा नार्थ-ईस्ट की बदौलत। पी ए संगमा साथ न होते। तो राष्ट्रीय दर्जा न होता। संगमा की बात चली। तो चलते-चलते मेघालय की बात हो जाए। एसेंबली के चुनाव हो चुके। अपन से पूछो तो लंगड़ी एसेंबली आएगी। संगमा सीएम पद के दावेदार।