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Exclusive Articles written by Ajay Setia

मोदी के आईना दिखाने पर खिसियानी बिल्ली...

Publsihed: 20.Jan.2009, 06:06

चुनाव की बिसात बिछ गई। बीजेपी ने अठारह उम्मीदवार और तय कर दिए। इनमें महेश्वर सिंह, यशवंत सिन्हा, करिया मुंडा जैसे धुरंधर। तो शिमला में हार का रिकार्ड बनाने वाले वीरेन्द्र कश्यप भी। बीजेपी की सीएसी बैठी। तो दफ्तर के सामने नया लफड़ा हो गया। पहली लिस्ट में शामिल अशोक प्रधान प्रदर्शन करा रहे थे। प्रधान को आशंका- कहीं कल्याण सिंह टिकट न कटा दें। असल में कल्याण सिंह अशोक प्रधान से बेहद खफा। इतवार को कल्याण-मुलायम मुलाकात की खबर आई। तो इसे दबाव की रणनीति माना गया। पर जब प्रधान प्रदर्शन करा रहे थे। मुलायम सिंह तभी मुलाकात का खंडन कर रहे थे। पर बिसात मुलायम सिंह ने भी बिछा दी। बोले- 'कल्याण के बेटे राजबीर सपा में आएं। तो स्वागत होगा।' मीडिया की खबर से बीजेपी में खलबली मची, सो मची। कांग्रेस में भी खलबली कम नहीं। यों मुलायम के डर से शकील अहमद बोले कुछ नहीं। कहीं सत्यव्रत चतुर्वेदी जैसा हश्र न करा दें। पर कांग्रेस मुलायम-कल्याण गठजोड़ की खबरों से सकते में। सेक्युलरिम का चोला दागदार हो जाएगा।

राहुल-मिलिबेंड पिकनिक ने बुरा फंसाया कांग्रेस को

Publsihed: 17.Jan.2009, 07:46

कांग्रेस टाडा में सजायाफ्ता को टिकट देने की फिराक में। जिसे देश की अदालत ने मुजरिम माना। छह साल कैद की सजा सुनाई। कांग्रेस उसे मुजरिम मानने को तैयार नहीं। अपन नहीं जानते कांग्रेस के इस रुख से अदालत कितनी प्रभावित होगी। यों नेताओं के मामले में अदालतों का रवैया काबिल-ए-तारीफ नहीं। फिर भी जब टाडा अदालत ने संजय दत्त को सजा सुनाई। तो अदालत ने देश की न्यायपालिका का झंडा बुलंद किया। जी हां, अपन संजय दत्त की ही बात कर रहे हैं। अमर सिंह ने संजय दत्त को ठीक उस समय दाना फेंका। जब वह अपनी नई बीवी मान्यता के शिकंजे में। दिल्ली की एचटी कांफ्रेंस याद करा दें। जब वीर सिंघवी ने संजय दत्त से पूछा। तो उनने राजनीति में आने के फैसले को टाला था। पर सामने बैठी मान्यता ने कहा- 'इन्हें राजनीति में आना चाहिए।' अमर सिंह ने इसी कमजोर कड़ी को पकड़ा। संजय दत्त को लखनऊ की टिकट दे दी। साथ ही कहा- 'संजय नहीं, तो मान्यता।' मान्यता के नाम से प्रिया दत्त भड़क गई। वैसे अपन बता दें- संजय दत्त को छह साल की सजा हुई। वह चुनाव नहीं लड़ सकते।

बीजेपी की निगाह राहुल पर, कांग्रेस की मोदी पर

Publsihed: 16.Jan.2009, 06:34

कांग्रेस-बीजेपी दफ्तरों में मोदी-राहुल की चर्चा रही। कांग्रेस दूसरे दिन भी इंडस्ट्री पर तिलमिलाई रही। तो बीजेपी मोदीवादी इंडस्ट्री पर फिदा दिखी। ब्रिटिश विदेशमंत्री मिलिबेंड के मामले में उल्टा हुआ। कांग्रेस मिलिबेंड पर फिदा दिखी। तो बीजेपी मिलिबेंड पर बुरी तरह तिलमिलाई। पर कांग्रेस की तिलमिलाहट गुरुवार को ज्यादा बढ़ी दिखी। शेखावत-कल्याण के गुस्से पर जितना खुश थी। मोदी के उभार ने उतना ही दुखी कर दिया कांग्रेस को। गुजरात विधायक दल के नेता शक्ति सिंह को दिल्ली तलब किया। शक्ति सिंह आरटीआई की फाइल लेकर दिल्ली पहुंचे। मनीष तिवारी दूसरे दिन भी इंडस्ट्री को कोसते रहे। शक्ति सिंह को बगल में बिठाकर फाइलें दिखाई। बताया- 'चार साल के एमओयू में से सिर्फ 22 फीसदी लागू हुए। मोदी का गुजरात बाइव्रेंट झूठ का पुलंदा। पैंसठ फीसदी अमल का दावा खोखला।' पर शक्ति सिंह भी अपनी छटपटाहट छुपा नहीं पाए। मोदी के बढ़ते कद से जब कांग्रेस आलाकमान की नींद उड़ गई। तो शक्ति सिंह की क्या बिसात। बोले- 'मोदी ने टाटा को दोनों हाथों से लुटाया। इसीलिए तारीफ कर रही है इंडस्ट्री।'

मोदी का नाम सुन तिलमिला गई कांग्रेस

Publsihed: 14.Jan.2009, 20:57

कहावत है ना- गांव बसा नहीं, भिखारी पहले आ गए। बीजेपी में सत्ता आने से पहले पीएम के दावेदारों की हालत वही। लालकृष्ण आडवाणी जिन्ना विवाद में फंसे। तो बहुतेरे खुश हुए थे। मुरली मनोहर जोशी से लेकर यशवंत सिन्हा तक। मदन लाल खुराना से लेकर उमा भारती तक। खुराना-भारती का नाम अपन ने जानबूझ कर लिया। खुराना-भारती जैसे लोग भले बीजेपी में न रहें। रहेंगे बीजेपी वाले ही। जैसे अपने भैरों सिंह शेखावत। बीजेपी में नहीं। पर बीजेपी की राजनीति के स्तंभ। सो शेखावत का एक बयान बीजेपी आलाकमान की नींद उड़ा गया। शेखावत ने अब कोई लुकाव-छुपाव नहीं रखा। जैसा अपन ने आठ जनवरी को लिखा था। असली झगड़ा वसुंधरा का। आडवाणी को लेकर कोई झगड़ा नहीं। अब भैरों बाबा ने साफ-साफ कह दिया- 'मैं पीएम पद का दावेदार नहीं। पर वसुंधरा की जगह जेल में।'

कूटनीतिक जंग में भी फिसड्डी दिखी सरकार

Publsihed: 13.Jan.2009, 21:07

प्रणव दा ने जब सब विकल्प खुले रखने की बात कही। तो अपन को लगा था- पाक को सबक सिखाने के लिए जंग न सही। आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक जरूर होगा। पर अपने प्रणव दा ने अब साफ-साफ कह दिया- 'हम इस्राइल की तरह सर्जिकल स्ट्राइक नहीं करेंगे।' असल में यूपीए सरकार की नजर का फर्क। वह आतंकियों और मुसलिमों में फर्क नहीं कर पा रही। फर्क समझती। तो आतंकी शिविरों पर हमले को मुसलिमों पर हमला न समझती। प्रणव दा की नजर में इस्राइल हमलावर। फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास बेकसूर। हर फैसला वोट बैंक देखकर होगा। तो आतंकवाद पर भी नक्सलवाद जैसा नजरिया होगा। नक्सलवाद पर अपने शिवराज पाटिल कहते ही थे- 'समस्या की जड़ में जाकर समझना होगा। नक्सलवाद की समस्या सामाजिक-आर्थिक कारणों से।' परवेज मुशर्रफ को वाजपेयी ने इसीलिए आगरा से वापस भेजा था। जब उनने कहा- 'कश्मीर में आतंकवाद नहीं। अलबत्ता आजादी की जंग चल रही है।' अपन को डर। किसी दिन अपना कोई मंत्री भी आतंकवाद की जड़ में जाने की दुहाई न दे दे।

तीन लाख करोड़ इनवेस्ट अहमदाबाद बना नरेन्द्रपुर

Publsihed: 13.Jan.2009, 08:48

गुजरात का सीएम कोई कांग्रेसी होता। तो वाइब्रेंट गुजरात का उद्धाटन सोनिया या राहुल करते। अपन मनमोहन की अनदेखी नहीं कर रहे। पर होता वही। नरेन्द्र मोदी ने खुद उद्धाटन किया। तो कोई लालकृष्ण आडवाणी की अनदेखी नहीं की। वह विकास का राजनीतिकरण नहीं चाहते। सो चौथा वाइब्रेंट गुजरात इनवेस्टर मेला। सोमवार को नरेन्द्र मोदी के हाथों ही शुरू हुआ। मोदी को सीएम बने सवा सात साल हो गए। दो बार एसेंबली चुनाव जीते। सिर्फ कांग्रेस-यूपीए-लेफ्ट नहीं। पूरी दुनिया के एनजीओ भी लगे थे। फिर भी मोदी जीते। कांग्रेस-यूपीए-लेफ्ट ने भारत में कितनी बदनामी की गुजरात की। अमेरिका से वीजा तक रुकवाया मोदी का। पर अकेले मोदी ने दस का दम दिखा दिया। सवा सात साल पहले मोदी सीएम बने। तो मुश्किलों के दौर में था गुजरात। सूखे और भूकंप से उबरा भी नहीं था। जब मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। सत्ता नहीं कांटों का ताज था।

अब राहुल चालीस पढ़ना चापलूसी नहीं कहलाएगा

Publsihed: 09.Jan.2009, 20:40

अपन को वह तेरह अप्रेल 2008 का दिन याद। जब अर्जुन सिंह ने राहुल को पीएम प्रोजेक्ट करने की बात कही। अर्जुन सिंह से पूछा था- 'जैसे 1984 में युवा राजीव ने देश की कमान संभाली। क्या 2009 में राहुल को प्रोजेक्ट करना चाहिए?' अर्जुन सिंह का सधा सा जवाब था- 'क्यों नहीं। उनमें अपने पिता की सभी विशेषताएं मौजूद।' आपको याद करा दें। यह सवाल हुआ क्यों था। शरद पवार ने कहा था- 'मनमोहन को प्रोजेक्ट करके यूपीए को मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए।' पवार के इस कथन ने कांग्रेस में खलबली मचाई। कांग्रेस राहुल का नाम जपना शुरू कर चुकी थी। पवार के बयान को साजिश माना गया। पवार ने पहले सोनिया के खिलाफ विदेशीमूल का फच्चर फंसाया। अब राहुल के रास्ते में रोड़ा। सो कांग्रेसी तिलमिलाए हुए थे। अपन जरा इतिहास की कुछ और परतें खोल दें।

राजनाथ ने शेखावत को माना अपना नेता

Publsihed: 09.Jan.2009, 07:06

साल के पहले हफ्ते में ही बवंडर। साल के शुरू में ही दूसरा कारगिल यूपीए को जख्म दे गया। यूपीए को दूसरा जख्म झारखंड के मुख्यमंत्री की हार से लगा। जख्मों से तो बीजेपी भी लहूलुहान हुई। एनडीए राज में एक फोटू खूब चर्चा में आई थी। अटल, आडवाणी और भैरोंसिंह शेखावत की। तीनों की 1957 की फोटू के साथ 2003 में भी तीनों की साथ फोटू छपी। इतना लंबा समय राजनीति में कोई एकजुट नहीं रहता। सो आडवाणी ने माई कंट्री माई लाइफ में दोनों फोटू छापी। पर अब वही तिकड़ी मुंह फुलाकर बैठी है। पर पहले बात दूसरे कारगिल की। पहले कारगिल के वक्त खुफिया एजेंसियां सोई रही।  वाजपेयी सरकार ने कारगिल पर 1999 का चुनाव जीत लिया। तब कांग्रेस कहती थी- 'कैसी जंग। अपनी ही जमीन छुड़ाने के लिए सात सौ जवान शहीद कर दिए।' अब उसी कांग्रेस राज में दो हजार जवान अपनी जमीन पर फिर लड़ रहे हैं। सरकार जाते-जाते कारगिल कांग्रेस को आइना दिखा गया। आज नौवां दिन। मंढेर की पहाड़ियों पर आतंकियों का कब्जा। अपन को फिर वहीं आशंका। जो कारगिल के वक्त थी।

इस उम्र में क्या खाक मुस्लमां होंगे

Publsihed: 07.Jan.2009, 21:16

अपन ने कल मनमोहन की जुबानी गोलाबारी बताई। गोलाबारी का असर दिखने लगा। पाक आखिर मानने लगा- कसाब पाकिस्तानी ही। जैसी जुबानी गोलाबारी भारत-पाक में चली। कुछ वैसी ही जुबानी राजनीतिक गोलाबारी देश में भी तेज हो गई। मनमोहन सरकार बचाने वाले अमर सिंह बोले- 'मनमोहन ने पाक के खिलाफ निर्णायक फैसले की मोहलत मांगी थी। वह मोहलत अब खत्म। समाजवादी पार्टी समर्थन वापसी पर फैसला करेगी।' पर इससे भी ज्यादा मजेदार राजनीतिक जुबानी जंग बीजेपी में शुरू। अपने भैरों बाबा लालकृष्ण आडवाणी पर जहर बुझे तीर चलाने लगे। भैरों बाबा इसे मानेंगे नहीं। पर जब उनने पीएम के विकल्प खुले होने की बात कही। तो कसक आडवाणी के खिलाफ ही दिखी। यों अपनी भी शुरू से यही राय थी। आडवाणी से शेखावत बेहतर च्वायस होती। पर अब एनडीए अपना फैसला बदलने से रहा। पहले संघ ने हरी झंडी दी।

मनमोहन ने पाक पर चलाई जुबानी तोपें

Publsihed: 06.Jan.2009, 21:18

मौजूदा मध्यप्रदेश में एक रियासत थी नरसिंहगढ़। नरसिंहगढ़ के महाराज थे प्रभुनाथ सिंह। बाद में नरसिंहगढ़ के सीएम भी रहे। सो महाराज के बेटे भानुप्रताप सिंह जन्मजात कांग्रेसी। एमपी और गवर्नर भी रहे। अब राजनीति के बियाबान में भी कोई मलाल नहीं। संसद के सेंट्रल हाल में आधा घंटा ठहाका न गूंजे। तो समझो महाराज सेंट्रल हाल में नहीं। मंगलवार को धुंध ने मध्यप्रदेश में ही रोक लिया। तो फोन पर अपन से दिल्ली की धुंध का हाल-चाल पूछा। अपन हैरान हुए। महाराज तो कभी मौसम की बात नहीं करते थे। पर वह राजनीतिक धुंध की बात कर रहे थे। बोले- 'दिल्ली की धुंध तो दो-चार घंटे में छंट जाएगी। पर मनमोहन सरकार की धुंध कब छंटेगी। इनका सूरज कब निकलेगा।'