बीजेपी की निगाह राहुल पर, कांग्रेस की मोदी पर

Publsihed: 16.Jan.2009, 06:34

कांग्रेस-बीजेपी दफ्तरों में मोदी-राहुल की चर्चा रही। कांग्रेस दूसरे दिन भी इंडस्ट्री पर तिलमिलाई रही। तो बीजेपी मोदीवादी इंडस्ट्री पर फिदा दिखी। ब्रिटिश विदेशमंत्री मिलिबेंड के मामले में उल्टा हुआ। कांग्रेस मिलिबेंड पर फिदा दिखी। तो बीजेपी मिलिबेंड पर बुरी तरह तिलमिलाई। पर कांग्रेस की तिलमिलाहट गुरुवार को ज्यादा बढ़ी दिखी। शेखावत-कल्याण के गुस्से पर जितना खुश थी। मोदी के उभार ने उतना ही दुखी कर दिया कांग्रेस को। गुजरात विधायक दल के नेता शक्ति सिंह को दिल्ली तलब किया। शक्ति सिंह आरटीआई की फाइल लेकर दिल्ली पहुंचे। मनीष तिवारी दूसरे दिन भी इंडस्ट्री को कोसते रहे। शक्ति सिंह को बगल में बिठाकर फाइलें दिखाई। बताया- 'चार साल के एमओयू में से सिर्फ 22 फीसदी लागू हुए। मोदी का गुजरात बाइव्रेंट झूठ का पुलंदा। पैंसठ फीसदी अमल का दावा खोखला।' पर शक्ति सिंह भी अपनी छटपटाहट छुपा नहीं पाए। मोदी के बढ़ते कद से जब कांग्रेस आलाकमान की नींद उड़ गई। तो शक्ति सिंह की क्या बिसात। बोले- 'मोदी ने टाटा को दोनों हाथों से लुटाया। इसीलिए तारीफ कर रही है इंडस्ट्री।'

कुल मिलाकर मोदी मामले में अपने बचाव पर उतरी कांग्रेस। मोदी से राहुल को खतरा दिखने लगा कांग्रेस को। सो सोनिया ने अहमद पटेल से इंडस्ट्री की खबर ली। अब अहमद पटेल उद्योगपतियों से मिलेंगे। जरूरत पड़ी तो पीएम भी बात करेंगे। कांग्रेस को फौरी खतरा तो नहीं दिखता। पर 2014 का खतरा साफ। फिलहाल बात 2009 की। भैरों बाबा ने साफ कर दिया- 'आडवाणी के रास्ते में कोई रुकावट नहीं।' पर बाबो सा को उकसाने वालों की कमी नहीं। गुरुवार को उमा भारती पहुंच गई। अपन को उमा के पहुंचने का खतरा था। इसीलिए अपन ने कल खुराना के साथ उमा का भी जिक्र किया। खैर उमा भारती ने बाबोसा से मुलाकात के बाद कहा- 'जहां उमा होंगी, वहां भैरों बाबा होंगे ही।' पर उमा कुछ ज्यादा ही बड़बोलापन कर गई। जहां उमा थी, वहां भैरोंबाबा नहीं आए। भैरों बाबा आखिर बाबा अटल को मिल आए। अपन को अटल-शेखावत मुलाकात का हफ्तेभर से इंतजार था। गुरुवार को वह भी हो गई। उम्मीद के मुताबिक ही लंबी हुई मुलाकात। नतीजे तो छन-छनकर ही निकलेंगे। पर कुछ बात बीजेपी के दफ्तर की। जहां अब शेखावत पर कोई बात नहीं करता। बड़ों से लेकर छोटों तक ने चुप्पी साध ली। पर उमाओं-खुरानाओं की मुलाकातों से छटपटाहट जरूर। शेखावत के गुस्से को शांत करने के कई फार्मूले भी हवा में। एक फार्मूला- जैसे वसुंधरा ने सांसदों को एसेंबली चुनाव लड़वाया। वैसे ही वसुंधरा को लोकसभा चुनाव लड़वा दें। शायद यह फार्मूला शेखावत का गुस्सा ठंडा करे। पर गुरुवार को गुस्सा तो बीजेपी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूढ़ी का सातवें आसमान पर था। जैसे मनीष तिवारी मोदीवादी उद्योगपतियों से खफा। वैसे ही रूढ़ी ब्रिटिश विदेश मंत्री मिलिबेंड से खफा दिखे। मिलिबेंड भारत के सरकारी दौरे पर। उनने प्रणव दा से ऑफिशियल मुलाकात की। साझा प्रेस कांफ्रेंस की। पाक से आतंकी सौंपने की मांग का समर्थन नहीं किया। पर राहुल को राजनीतिक समर्थन देने अमेठी चले गए। बात आतंकवाद की चली। तो बताते जाएं- आखिर पाक ने जांच बिठा दी। यों बाकौल दि न्यूज कहेगा- 'सबूत पुख्ता नहीं।' पर सबूत जुटाने में अमेरिका का जवाब नहीं। अमेरिका उस औरत उदय को उठाकर वाशिंगटन ले गया। जिसने सबसे पहले तट पर उतरते दस आतंकी देखे थे। पर बात फिलहाल ब्रिटिश विदेशमंत्री मिलिबेंड की। जिनने हम उम्र राहुल के साथ अमेठी के दलित परिवार में पिकनिक मनाई। दोनों ने सर्दी में अलाव का मजा भी लिया। जिस पर बीजेपी को गुस्सा आना ही था। आखिर मिलिबेंड ने विदेशमंत्री जैसा व्यवहार नहीं किया। बीजेपी को फ्यूचर का खतरा राहुल से। तो कांग्रेस को मोदी से।

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