लालू के बजट, प्रणव की धमकी के चुनावी मायने
अब संसद क्या चले, क्या न चले। यों प्रेक्टिकली तो शुक्रवार को पहला ही दिन था। पहले ही दिन कोरम पूरा नहीं हुआ। सो दोपहर बाद लोकसभा नहीं चली। दोपहर से पहले का दिन चुनावी लिहाज से अहम रहा। लालू का रेल बजट हो या प्रणव दा की पाक को धमकी। दोनों का मकसद वोटरों को लुभाना था। चुनाव का वक्त न होता। तो प्रणव दा पाकिस्तान के खिलाफ इतने तीखे तेवर न दिखाते। लालू का पांचवां बजट भी 'चारा' छवि सुधारने वाला रहा। वैसे लालू के रेल बजट का कोई मतलब नहीं। रेल बजट नई सरकार आने के बाद शुरू होगा। जो भी नई सरकार आएगी, वह अपना बजट बनाएगी। सो यह नौटंकी क्यों हुई। लालू या सोनिया ही जाने। सोमवार को पेश होने वाले अंतरिम बजट का भी कोई मतलब नहीं। मौके का फायदा उठाने की कोशिश भर। लालू के बजट का तो क्या कहने। हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और। बात हाथी की चली। तो बताते जाएं। लालू ने बजट भाषण पढ़ते कहा- 'हाथी को चित्त कर चीता बना दिया।' सुषमा स्वराज ने लालू के डायलॉग पर माकूल टिप्पणी की। जब उनने कहा- 'यह एकदम सही। चीता आदमखोर होता है। लालू ने रेलवे को आदमखोर ही बना दिया है। जो सामने से नहीं, छिपकर वार करता है।'