चुनाव की बिसात बिछ गई। बीजेपी ने अठारह उम्मीदवार और तय कर दिए। इनमें महेश्वर सिंह, यशवंत सिन्हा, करिया मुंडा जैसे धुरंधर। तो शिमला में हार का रिकार्ड बनाने वाले वीरेन्द्र कश्यप भी। बीजेपी की सीएसी बैठी। तो दफ्तर के सामने नया लफड़ा हो गया। पहली लिस्ट में शामिल अशोक प्रधान प्रदर्शन करा रहे थे। प्रधान को आशंका- कहीं कल्याण सिंह टिकट न कटा दें। असल में कल्याण सिंह अशोक प्रधान से बेहद खफा। इतवार को कल्याण-मुलायम मुलाकात की खबर आई। तो इसे दबाव की रणनीति माना गया। पर जब प्रधान प्रदर्शन करा रहे थे। मुलायम सिंह तभी मुलाकात का खंडन कर रहे थे। पर बिसात मुलायम सिंह ने भी बिछा दी। बोले- 'कल्याण के बेटे राजबीर सपा में आएं। तो स्वागत होगा।' मीडिया की खबर से बीजेपी में खलबली मची, सो मची। कांग्रेस में भी खलबली कम नहीं। यों मुलायम के डर से शकील अहमद बोले कुछ नहीं। कहीं सत्यव्रत चतुर्वेदी जैसा हश्र न करा दें। पर कांग्रेस मुलायम-कल्याण गठजोड़ की खबरों से सकते में। सेक्युलरिम का चोला दागदार हो जाएगा।
बात यूपी की चल ही पड़ी। तो लगते हाथों कांग्रेस को लगा जोरदार झटका बताते जाएं। सलमान खुर्शीद इंडियन इस्लामिक कल्चर सेंटर के अध्यक्ष का चुनाव हार गए। वह भी बीजेपी समर्थक सुराजुद्दीन कुरेशी के हाथों। थोड़े-बहुत वोटों से नहीं। अलबत्ता 502 वोटों से। सलमान खुर्शीद नहीं। कांग्रेस का सारा पैनल हार गया। कमाल फारुकी वाइस प्रेजीडेंट का चुनाव हार गए। अनीस दुर्रानी, मुसा रजा, सादिया देहलवी सब लुढ़क गए। वर्किंग कमेटी में सलमान पैनल का सिर्फ एक जीता। सलमान ने इसे कांग्रेस-बीजेपी की जंग बना दिया था। सलमान कांग्रेस की उस प्रचार रणनीति कोर कमेटी के मेंबर। जिसकी बागडोर राहुल के हाथ। बात राहुल बाबा की चली। तो बता दें। राहुल बाबा की इज्जत दांव पर होगी इस बार। सो शनिवार को क्रियोंस ने प्रचार का खाका सामने रखा। तो राहुल ने गौर से सुना और टोका-टाकी भी की। क्रियोंस के बताए मुद्दों में एटमी करार का मुद्दा नहीं। अगर राहुल भी इससे सहमत हों। तो अपन को पूछने का पूरा हक। कांग्रेस ने करार को इज्जत का सवाल क्यों बनाया था। बात मुद्दों की चली। तो बताते जाएं- कांग्रेस की हार-जीत आंध्र प्रदेश तय करेगा। सो आंध्र प्रदेश में फूंक-फूंककर चलने की नीति। तेलंगाना पर तेलुगूदेशम - बीजेपी - टीआरएस - प्रजा राज्यम का समर्थन कांग्रेस का नया सिरदर्द। सो सोमवार को राजशेखर रेड्डी तलब किए गए। सोनिया, अहमद, एंटनी, राजशेखर में मीटिंग हुई। पर सीएम ने कहा ना, तो ना। व्हाट एन आइडिया, सर जी। पर बात हो रही थी एटमी करार की। एटमी रिएक्टर पर इनवेस्टमेंट करने कोई सामने नहीं आ रहा। अमेरिका की आर्थिक मंदी ने करार की हवा निकाल दी। और अपने यहां जितना भी इनवेस्टमेंट। सब नरेंद्र मोदी लूटने लगे। मोदी ने कांग्रेस की नींद हराम कर दी। बात मोदी की चली। तो बताते जाएं- उनने आतंकवाद पर भी यूपीए सरकार की हवा निकाली। प्रणव दा ने पाकिस्तान को जो छह सबूत भेजे थे। उसे पाक के पीएम यूसुफ रजा गिलानी ने सबूत नहीं माना। अलबत्ता जानकारियां ही माना। इन छह सबूतों में एक पकड़े गए आतंकी कसाब का बयान। नरेंद्र मोदी ने मौजूं सवाल उठाया। बोले- 'आतंकी का पुलिस के सामने दिया बयान जब भारतीय कानून में सबूत नहीं। तो आप दुनिया को किस मुंह से सबूत बताओगे।' मोदी के बयान से कांग्रेस के होश फाख्ता। कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद बोले- 'बीजेपी को मोदी के बयान पर माफी मांगनी चाहिए।' इसे कहते हैं- खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे। पोटा कानून में यह गुंजाइश थी। जिसे कांग्रेस ने मुस्लिम विरोधी बताकर रद्द किया। अब जब मुंबई वारदात के बाद सीआरपीसी में एमेंडमेंट किया। तो उसमें भी पुलिस के सामने दिए बयान को सबूत नहीं माना। गिलानी के बाद मोदी ने आईना दिखाया। तो कांग्रेस प्रवक्ता बुरी तरह जुलभुन गए।
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