अजय सेतिया / वैसे कांग्रेस और भाजपा की कार्यशैली में कोई अंतर नहीं है | लीडर आधारित पार्टियां ज्यादा समय तक लोकप्रिय नहीं रहती | जनता जब उखाड़ने को आती है तो 1971 की शेरनी को सिर्फ छह साल बाद 1977 में उखाड़ फैंकती है | भाजपा का नेतृत्व तो लालू, मुलायम, माया, जयललिता की पार्टियों को व्यक्तिगत दुकाने कहते रही है