रावत और अखिलेश की खरी बातें

Publsihed: 29.Dec.2019, 09:07

अजय सेतिया / भारत तेरे टुकड़े होंगे , इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह के नारे लगते हैं तो राहुल गांधी उन की पीठ थपथपाने जेएनयू जाते हैं | इंशा अल्लाह कहने वाले न तो कम्युनिस्ट हिन्दू हो सकते हैं , न कांग्रेसी हिन्दू | जामिया मिल्लिया में हिन्दुओं से लेंगे आज़ादी के नारे लगाने वाले भी कम्युनिस्ट या कांग्रेसी नहीं हो सकते , जिन के समर्थन में प्रियंका गांधी इंडिया गेट पर धरना दे देती है | छीन कर लेंगे हिन्दुस्तान के नारे लगते हैं तो राहुल- प्रियंका, येचुरी-राजा उन की पीठ कर खड़े हो जाते हैं | मुस्लिम देशों के अभागे हिन्दू भाग कर भारत आते हैं तो उन को नागरिकता देने को ये कांग्रेसी और कम्युनिस्ट सेक्युलरिज्म पर हमला बताते हैं |

पडौसी मुस्लिम देशों के हिन्दुओं को अभागे मनमोहन सिंह ने कहा था | मुस्लिम देशों के हिन्दुओं की पीड़ा मनमोहन सिंह ही समझ सकते हैं | उन का खुद का परिवार इस्लामिक देश से उजड़ कर भारत आया था | नेहरु परिवार के वारिस उस पीड़ा को नहीं समझ सकते | मनमोहन सिंह न प्रधानमंत्री रहते हुए कभी खुल कर बोले , न अब बोलने की हिम्मत कर सकते हैं | जब वह विपक्ष के नेता थे तो 18 दिसम्बर 2003 को उन्होंने खुद उन अभागों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता क़ानून में संशोधन की मांग की थी | अब जब 16 साल बाद मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह की इच्छा के अनुसार नागरिकता क़ानून में संशोधन किया है तो बेचारे ताली भी नहीं बजा सकते | उन्हें खुद इस संशोधन के खिलाफ गांधी की समाधी पर सोनिया गांधी के पीछे धरने पर बैठना पड़ता है | इस उम्र में ऐसी गुलामी से वह क्या हासिल करना चाहते हैं अब |

यह है हिन्दुओं और सिखों की दुर्दशा का हाल | वह भी आज़ादी के समय भारत का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को काट कर देने के बाद | हिन्दुओं की इस दुर्दशा के लिए गांधी के बाद नेहरू परिवार के सभी सदस्य जिम्मेदार हैं | लेकिन उन से भी ज्यादा जिम्मेदार है संविधान सभा के सदस्य , जिन्होंने भारत को धर्मनिरपेक्ष देश तो बनाया , पर समान नागरिक संहिता लागू नहीं की | यह कैसी धर्म निरपेक्षता है , जिस में धर्म आधारित पर्सनल क़ानून बनाए गए | बराबरी का अनुच्छेद जोड़ा , पर अल्पसंख्यकों को विशेषाधिकार भी दे दिए | उसी का नतीजा है कि मुस्लिमों में अलगाववाद पनपा है | तेरा-मेरा रिश्ता क्या ,ला इलाहा इल्लल्लाह के नारे लग रहे हैं | जगह जगह पर इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह के नारे लग रहे हैं |  नारे लग रहे हैं -ये शहर जगमगाएगा- नूर--इलाहा  से | ये वही नारे हैं , जो कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों को निकाले जाने से पहले लगाए गए थे |

क्या इन नारों का मतलब कोई नहीं समझता | और अपनी सत्ता की ओछी और स्वार्थ भरी राजनीति के लिए राहुल, प्रियंका, अखिलेश, माया , ममता , येचुरी , राजा पूछ रहे हैं कि इन नारों में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा कहाँ है | जिस के लिए मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह ने मुसलमानों को धमकाते हुए कहा कि पाकिस्तान चले जाओ , वह एक एक को सीधा कर देंगे | | अखिलेश नारायण ने पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा सुना होगा , तभी तो उन्होंने कहा  –“ देश में नहीं रहने का मन है, चले जाओ भैया. खाओगे यहां, गाओगे कहीं और का |” उन्होंने बड़ी विनम्रता से भैया भी कहा है | वीडियो पूरा जारी किया जाता तो वीडियो जारी करने वालों का मकसद ही खत्म हो जाता |

वे मक्कार लोग हैं , इस लिए जामिया मिल्लिया में लगाए गए नारों से भी इनकार करते हैं | जेएनयू में लगाए गए नारों से भी इनकार करते हैं और कश्मीर घाटी में लगाए गए नारों से भी इनकार करते हैं | कुर्सी की राजनीति करने वाले राजनीतिक नेताओं ने आँखों पर पट्टी बाँध रखी होगी, कानों में रुई डाल रखी होगी , देश की जनता न अंधी है , न बहरी है , और गूंगी भी नहीं , इस लिए बोल रही है | अनपढ़ भी नहीं है, इसलिए लिख रही है और एसपी अखिलेश नारायण सिंह और सेनाध्यक्ष जनरल रावत बधाई दे रही है जिन्होंने खरी खरी सुनाने का साहस किया है | अब तक देश का दुर्भाग्य यही रहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे खरी खरी सुनाने से डरते रहे थे | इस लिए देश की यह दुर्दशा हुई है हिन्दू न चैन से दिवाली मना सकता है , दुर्गा पंडाल लगा सकता है |

 

 

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