श्रीराम जन्मभूमि : अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा विपक्ष ShriRamJanamBhoomi

Publsihed: 02.Jan.2024, 20:13

इंडिया गेट से अजय सेतिया/ जैसे जैसे रामजन्मभूमि के प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी नजदीक आ रही हैं, विपक्षी नेताओं की मती मारी जा रही है| वे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का कोई मौक़ा नहीं चूक रहे| सनातन धर्म को गाली निकालने की विपक्षी नेताओं को दक्षिण से चली लहर अब बिहार में पहुंच गई है| वहां के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर और उतर प्रदेश के सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की हिन्दू विरोधी बयानबाजी भी बहुत फीकी पद गई है| लालू यादव से मुलाक़ात के बाद राजद के विधायक फतेह बहादुर ने भगवान राम के खिलाफ एक बड़ा बम फोड़ा है| जिसका लालू यादव के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद manoj झा ने भी समर्थन किया है| यानी जो कुछ लालू यादव से मुलाक़ात कर के बाद फतेह बहादुर ने कहा , उस पर लालू यादव की पूरी सहमती है| अब आप सुनिए फतेह बहादुर ने क्या कहा| उन्होंने कहा कि भगवान राम और रामायण पूरी तरह काल्पनिक हैं, अयोध्या राम की जन्मभूमि नहीं है| सुप्रीमकोर्ट ने वह जगह इस लिए राम मन्दिर के लिए नहीं दी, क्योंकि वहां पहले राम का मन्दिर था| मोदी सरकार अंधविश्वास फैला रही है|

यहाँ बात असदुद्दीन ओवेसी की नहीं है, जो मुस्लिम युवकों को हिन्दुओं के खिलाफ जेहाद करने के लिए भडका रहे है, उन्हें कह रहे हैं कि उनकी सारी मस्जिदें तोड़ दी जाएँगी| बात यहाँ उन हिन्दुओं की है, जो मुस्लिम वोट बैंक को पक्का करने के लिए सनातन हिन्दू धर्म के अस्तित्व पर ही सवाल उठाने की कोशिश कर रहे हैं, फिर उनसे जब सवाल पूछा जाता है, तो वे कहते हैं कि वे भी हिन्दू हैं| इस लिए यह सिर्फ डीएमके और स्टालिन परिवार का एजेंडा नहीं है, बल्कि इंडी एलायंस का एजेंडा है कि हिन्दुओं को अपमानित किया जाए, भारत की सांस्कृतिक विरासत को खत्म किया जाए| रामजन्मभूमि मन्दिर इंडी एलायंस की हर पार्टी के दिल में तीर की तरह चुभना शुरू हो गया है|  एक तरफ विपक्ष के कई नेता कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने मन्दिर पर कब्जा कर लिया है| एक पार्टी का समारोह बनाया जा रहा है, भगवान राम सभी के हैं, तो दूसरी तरफ भगवान राम के अस्तित्व को नकारा जा रहा है| जेडीयू के सांसद और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि वह भी हिन्दू हैं, लेकिन भाजपा रामजन्मभूमि मन्दिर के उद्घाटन का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है| 

सभी विपक्षी दलों ने रामजन्मभूमि आन्दोलन के असर को अभी भी नहीं समझा| रामजन्मभूमि आन्दोलन ने भाजपा को दो सीटों से 303 सीटों तक पहुंचा दिया| भाजपा को रामजन्मभूमि मन्दिर पर राजनीति करने का हक है| रामजन्मभूमि आन्दोलन के लिए उसने अपनी चार चार सरकारों की कुर्बानी दी है| राम भक्तों ने बाबरी ढांचा तोड़ा था, तो कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार ने भाजपा की उतर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सरकारें बर्खास्त करके विधानसभाएं भी भंग कर दी थीं| कांग्रेस का रामजन्मभूमि से विद्वेष तो इसी बात से प्रकट हो जाता है कि अभी दो दिन पहले कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राम मन्दिर आन्दोलन से जुड़े तीन कार्यकर्ताओं की तीन दशक बाद गिरफ्तारी की है|

लगभग सारे विपक्षी दल डीएमके और कम्युनिस्टों की विचारधारा से प्रभावित हो चुके हैं| जो धर्म को मानते ही नहीं, नास्तिक हैं| सीताराम येचुरी अगर यह कहते हैं कि वह राम मन्दिर के उद्घाटन पर नहीं जाएंगे, तो उस पर रा भी आश्चर्य नहीं होता| रामजन्मभूमि ट्रस्ट का उन्हें न्योता देना ही गलत था, एक तरफ रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास कहते हैं कि न्योता राम भक्तों को ही भेजा गया है, दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कट्टर विरोधी सीता राम येचुरी और  राजा को न्योता जाता है, लेकिन उनकी गोदी में  जा कर बैठे उद्धव ठाकरे को न्योता नहीं भेजा जाता| येचुरी और राजा की कब से मूर्ती में प्राण प्रतिष्ठा में आस्था होने लगी|  यह सवाल तो पूछा ही जाएगा कि जब रामभक्तों को ही न्योता भेजा गया है तो मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड्गे और अधीर रंजन चौधरी को न्योता क्यों भेजा गया| ये चारों क्या यूपीए सरकार के  उस पाप के भागीदार नहीं हैं,  जिसने सुप्रीमकोर्ट में हल्फिया बयान देकर कहा था कि भगवान राम तो काल्पनिक है|

पिछले तीन दशक में देश भी बदल चुका है, और हिन्दू भी जाग चुका है| वह अब 1990 से पहले की तरह सुप्त अवस्था में नहीं है| विपक्षी दल रामजन्मभूमि मन्दिर में भगवान राम की मूर्ती में प्राण प्रतिष्ठा का मतलब नहीं समझ रहे, यह कार्यक्रम एक आन्दोलन में बदल रहा है| यह आन्दोलन रामजन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन से भी बड़ा है| आरएसएस ने देश भर में कलश यात्राए शुरू करवा कर शीला पूजन से भी बड़ा आन्दोलन शुरू करवा दिया है| दूसरी तरफ विपक्ष 1992 वाली मानसिकता का शिकार है, जब भाजपा की चार सरकारें बर्खास्त कर दी गईं थी, और सुप्रीमकोर्ट तक उसके बचाव में नहीं आई थी|

 

 

 

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