तुष्टिकरण के खिलाफ स्टैंड लेती सरकारें

Publsihed: 28.Dec.2019, 13:05

अजय सेतिया / कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की ओर से मेंगलूरु में हिंसक वारदातों में मरने वाले दो युवकों की अनुदान राशि रोक कर साहसिक कदम उठाया | येदियुरप्पा ने दोनों मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रूपए के अनुदान की घोषणा की थी | ये दोनों मुस्लिम युवक 19 दिसम्बर को नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन में शामिल थे | केरल के साथ लगते कर्नाटक के मेंगलूर इलाके में मुस्लिम कट्टरपंथियों की हिंसा कोई पहली बार नहीं हुई | मुख्य रूप से मेंगलूरु क्रिश्चियन और हिन्दू बहुल इलाका था , पिछले दो दशकों के भीतर इस इलाके में दर्जनों फाईव स्टार मस्जिदों का निर्माण हुआ है | ये सारा पैसा खाड़ी के देशों से आया है | मुस्लिम कट्टरपन्थ के जवाब में इस इलाके में हिन्दू कट्टरपन्थ का भी उदय हुआ है , हिन्दू मनानी का इस इलाके में काफी प्रभाव है | जिस कारण अक्सर साम्प्रदायिक तनाव होता रहता है , जिस में ईसाई और हिन्दू एक तरफ होते हैं |

 

येदियुरप्पा को हिन्दू संगठनों ने दबाव में सरकारी आदेश को वापस लेना पडा | हिन्दू संगठनों का आरोप था कि हिंसक भीड़ में शामिल होने वालों को सरकारी अनुदान देना मुस्लिम तुष्टिकरण है | इस घटना में हिंसक भीड़ ने पुलिस स्टेशन को आग लगाने की कोशिश की थी ,  अगर  प्रदर्शनकारी पुलिस के शस्त्रागार तक पहुंचने में कामयाब हो जाते तो वह तबाही मचा सकते थे | बढ़ती भीड़ को रोकने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करने पर मजबूर होना पड़ा था |

 

इसी तरह पिछले शुक्रवार को यूपी के बिजनौर में हुई हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात करने पहुंचे उत्तर प्रदेश के मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने हिंसक भीड़ में शामिल और पुलिस की गोली से मारे गए दो मुस्लिम युवकों सुलेमान और अंनस के घर जाने से इनकार कर दिया | जिन्होंने एक पुलिस वाले पर देसी तमंचे से गोलियां चलाईं थी , जब पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई तो ये दोनों मारे युवक मारे गए थे , जिन्हें टुकड़े टुकड़े गैंग मासूम भावी आईएएस बता रहा है | अग्रवाल बिजनौर जिले के नहटौर कस्बे में हुई हिंसा में ज़ख्मी हुए ओमराज सैनी के परिवार से मुलाकात करने के लिए गए थे,जो खेतों से लौटते समय हिंसक भीड़ का शिकार हुआ था | दोनों मुस्लिम युवकों की मौत भी इसी कस्बे में हुई थीं |

दोनों राज्यों में भाजपा सरकारें हैं , वैसे नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ हिंसा सिर्फ भाजपा शासित राज्यों में ही हुई है | दोनों राज्यों की भाजपा सरकारों ने पुलिस की गोली से मरने वालों को अनुदान देने की परम्परा को पहली बार दंगाईयों और बेगुनाहों की अलग अलग श्रेणी में बांटने का साहस दिखाया है | सेक्यूलरिज्म के नाम पर पूर्ववर्ती सरकारें सरकारी खजाने से दंगाईयों को भी अनुदान देती रही हैं | अलबत्ता एनसीपी जैसी पार्टियों ने मुठभेड़ में मारी गई आतंकवादी इशरत जहां के परिजनों को अपने पार्टी फंड से पैसा दिया था |

लेकिन इन दोनों राज्य सरकारों ने दो टूक कहा है कि जो लोग दंगें में शामिल होंगे , उन्हें किसी तरह का अनुदान नहीं दिया जाएगा , अलबत्ता योगी सरकार ने बड़ी तीव्रता से क्षतिपूर्ति वसूलने के लिए दंगाईयों की सम्पत्ति कुर्क करना भी शुरू कर दिया है | दंगाईयों की सम्पत्ति कुर्क करने का क़ानून यूपीए सरकार में बना था | यह अलग बात है पडौसी मुस्लिम देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने की मांग  कांग्रेस ने की थी | राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और राष्ट्रीय नागरिकता क़ानून कांग्रेस ने ही बनाए थे , लेकिन वह अब मुस्लिम तुष्टिकरण की अपनी परम्परा को निभा रही है |

अब धीरे धीरे यह साफ़ होने लगा है कि 370 हटाए जाने के बाद से ही मुस्लिम कट्टरपंथियों ने देश भर में साम्प्रदायिक हिंसा की योजना बनाना शुरू कर दिया था | इस की तैयारी केरल और कर्नाटक से शुरू की गई थी , जहा सीमी पर प्रतिबंध लगने के बाद मुस्लिम कट्टरपंथियों ने पीऍफ़आई नामक सन्गठन बनाया है , जो हिंदुओं के खिलाफ हिंसक गतिविधियों में शामिल है | दक्षिण भारत के अलावा उत्तर प्रदेश की हिंसा में भी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की भूमिका सामने आ रही है | पुलिस को पीऍफ़आई के अलावा सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया का भी हिंसा भड़काने में हाथ होने के कई सुराग मिले हैं | मेरठ के थाना नौचंदी पुलिस ने गुरुवार को सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष नूर हसन और उनके ड्राइवर मुईद हाशमी को गिरफ्तार किया है | उनके पास से भड़काऊ और आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद की है |  

 

आपकी प्रतिक्रिया