इंडिया गेट से अजय सेतिया / औपचारिक तौर पर भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में सिर्फ चार सदस्य हैं, लेकिन अनौपचारिक तौर पर यह सूची बहुत लंबी हो चुकी है| औपचारिक तौर पर इसमें नरेंद्र मोदी खुद, लाल कृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह हैं| राजनाथ सिंह का नाम आश्चर्यजनक है, क्या वह पूर्व अध्यक्ष के नाते शामिल किए गए हैं, अगर ऐसा है तो फिर नीतिन गडकरी और वेंकैयानायडू का नाम क्यों नहीं है| वेंकैयानायाडू तो प्रेक्टिकली रिटायर किए जा चुके हैं, वह अनौपचारिक तौर पर मार्गदर्शक मंडल के सदस्य बन चुके हैं| इसी तरह अब राज्यों के मार्गदर्शक बन रहे हैं, आडवानी युग के कई बड़े प्रादेशिक नेता भी मार्गदर्शक मंडल में शामिल किए जा रहे हैं| शिवराजसिंह चौहान और वसुंधरा राजे के लिए अभी एक खिड़की खुली है| अगर वे उस खिड़की से अंदर नहीं आए, तो उन्हें भी मार्गदर्शक मंडल में शामिल कर लिया जाएगा| शिवराज सिंह का मन्त्रिमंडल 33 सदस्यों का था, उन 33 में से 19 विधानसभा में दुबारा पहुंचे हैं, लेकिन उन 19 में से दस को मार्गदर्शक मंडल में दाल दिया गया है| इन दस में से कोई भी ऐसा नहीं है जो कम से कम चार बार का विधायक नहीं हो| जबकि ऐसे लोग मंत्री बनाए गए, जो पहली बार विधायक बने हैं, जिनमें तीन तो महिलाए हैं| इन पांच में दो पोस्ट ग्रेजुएट, एक ग्रेजुएट और एक इंजीनियर है| मतलब साफ है- भाजपा अगले दशक के लिए नेतृत्व तैयार कर रही है, इसलिए सीनियरिटी अब पद की गारंटी नहीं रही है| सिनियोरिटी को ही देखना होता तो मध्यप्रदेश में कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल मोहन लाल यादव से कितने सीनियर हैं| जैसे मुख्यमंत्री रहे देवेन्द्र फडनवीस को उप मुख्यमंत्री बना दिया गया, ठीक उसी तरह लेकिन इन दोनों को मोहन लाल के मंत्रीमंडल में सिर्फ मंत्री के तौर पर काम करना होगा| इन की भी अगली बारी मार्गदर्शक मंडल हो सकती है| चुनावों के दौरान कैलाश विजयवर्गीय यह सोच रहे थे कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए विधानसभा चुनाव लडाया जा रहा है| चुनावों के दौरान उन्होंने कहा था ‘मैं सिर्फ विधायक बनने नहीं आया। पार्टी मुझे इससे भी बड़ी जिम्मेदारी देगी|’ आठ साल पहले जब मोदी ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया था, तो वह लंबी छलांग लगाने के लिए दिल्ली आए थे, लेकिन मोदी ने आठ साल बाद उन्हीं उसी जगह पर पहुंचा दिया| अब उन्हें महासचिव पद से मुक्त कर दिया जाएगा| पार्टी ने उन्हें मंत्री बनाकर मैसेज दिया कि कद की बजाय पार्टी की जरूरत के मुताबिक ही जिम्मेदारी दी जाएगी| केंद्रीय मंत्री रहे और अब मोहन सरकार में मंत्री प्रहलाद पटेल के साथ भी यही हुआ| लेकिन छतीसगढ़ की रेणुका सिंह तो केन्द्रीय मंत्रीमंडल से सीधे विधायक बना दी गई| नरेंद्र तोमर और रमन सिंह को स्पीकर बना कर मार्गदर्शक की प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया है|
अगर सिनियोरिटी के आधार पर फैसला लेना होता तो न राजस्थान में भजन लाल मुख्यमंत्री बनते, न मध्यप्रदेश में मोहन लाल यादव| भाजपा पुरानों को मार्गदर्शक मंडल में डाल कर अनुभवहीनों को मुख्यमंत्री बना कर राजनीति में नया प्रयोग कर रही है| पहले 2014 में मनोहर लाल खट्टर को पहली बार ही विधायक बनने पर मुख्यमंत्री बनाया गया था, फिर 2021 में पहली बार विधायक बने भूपेन्द्र पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया, और अब पहली बार विधायक बने भजन लाल को मुख्यमंत्री बनाया गया| 2002 में मोदी खुद भी बिना कोई भी चुनाव लडे ही मुख्यमंत्री बन गए थे| कांग्रेस किसी अनुभवहीन को मुख्यमंत्री बनाने का सोच भी नहीं सकती| कांग्रेस इसीलिए भाजपा से पिछड़ रही है|
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