मोदी का हिन्दू वोट बैंक बरकरार

Publsihed: 28.Dec.2019, 13:07

अजय सेतिया /कांग्रेस ने मोदी राज आने के बाद यानी 2014  के बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान , छतीसगढ़ और पंजाब में सरकारें बनाई है | लेकिन महाराष्ट्र , असम, हरियाणा , हिमाचल , उतराखंड में सत्ता से बाहर भी हुई है | महाराष्ट्र और झारखंड में अब कनिष्ट पार्टनर के तौर पर सत्ता में लौटी है | भाजपा ने इन पांच सालों में असम, हरियाणा , हिमाचल , उतराखंड , त्रिपुरा , अरुणांचल, मणिपुर के अलावा दो बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और कर्नाटक भी हासिल किए हैं | इस बीच सिर्फ महाराष्ट्र और झारखंड हासिल कर के गवाए हैं | मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में वैसे भी पन्द्रह पन्द्रह साल हो चुके थे और राजस्थान में 1977 से ही एक एक बार की परम्परा चली आ रही है | अगर हम 2014 के बाद इन पाँचों राज्यों में हार की समीक्षा करेंगे , तो पाएंगे कि कांग्रेस का पलड़ा बहुत भारी नहीं हुआ है | वह छतीसगढ़ और पंजाब के अलावा कहीं भी अपने बूते पर बहुमत में नहीं आई थी | भाजपा के वोट बैंक में कोई गिरावट नहीं आई है , बल्कि इजाफा हुआ है |

इसलिए 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में भाजपा का सत्ता से बाहर होना कोई बड़ा राजनीतिक उलट फेर नहीं है | 2018 में जैसे छल से जेडीएस को सत्ता पर बिठा कर देश में बड़े उलटफेर का ढोल पीटा गया था , वैसा ही महाराष्ट्र का छल है | कांग्रेस को डर है कि वहां कभी भी सरकार गिर सकती है , इसलिए विपक्ष ने महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से बाहर करने का कर्नाटक जैसा जश्न नहीं मनाया | वैसे इन राज्यों के चुनावों का राष्ट्रीय राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ता | अगर राज्यों में सरकारें आने जाने का राष्ट्रीय राजनीति पर असर पड़ता तो कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में कर्नाटक , मध्य प्रदेश , छतीसगढ़ और राजस्थान में शर्मनाक हार का सामना क्यों करना पड़ता | न राष्ट्रीय राजनीति से राज्यों की राजनीति प्रभावित होती है | अगर प्रभावित होती तो लोकसभा चुनाव जीतने के पांच महीने बाद ही , वह भी ट्रिपल तलाक , 370 और नागरिकता संशोधन कानूनों के एतिहासिक फैसलों और अयोध्या पर रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसला आने के बाद भाजपा की महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में सीटें क्यों घटती |

मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ और राजस्थान के नतीजों को भी राजनीतिक पंडितों ने बदलाव की हवा मान लिया था , इसलिए भविष्यवाणियाँ की जा रही थीं कि भाजपा दो सौ का आंकडा पार नहीं कर पाएगी | ऐसा ही मुगालता अब झारखंड के चुनाव नतीजे से पाला जा रहा है | अलबत्ता पिछले पांच महीनों के मोदी सरकार के फैसलों से राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की स्थिति मजबूत हुई है | अगर लोग इसे भाजपा का कमजोर होना  और मोदी-अमित शाह का मजबूत होना देखते हैं , तो उस से भी कोई फर्क नहीं पड़ता | ट्रिपल तलाक और  370 पर मोदी सरकार के फैसलों ने तुष्टिकरण की राजनीति पर इतना बड़ा प्रहार किया है कि छद्म सेक्यूलरिज्म की राजनीति करने वालों की चूलें हिल गई हैं | अयोध्या के फैसले ने हिन्दुओं में मोदी के प्रति विश्वाश को और गहरा किया है | सत्तर साल से अयोध्या के नाम पर मुस्लिम राजनीति करने वाले यह मुद्दा हमेशा के लिए हाथ से जाने के कारण छटपटा रहे हैं |

नागरिकता संशोधन क़ानून , एनपीआर और एनआरसी पर अपने ही पूर्व में लिए गए स्टेंड से पीछे हट कर कांग्रेस ने अपनी स्थिति हास्यस्पद बना ली है | इन तीनों मुद्दों पर कांग्रेस अपने पूर्व के ही राष्ट्रीय स्टेंड पर खडी रहती तो भाजपा को जितना फायदा मिल रहा है , उतना नहीं मिलता | नागरिकता संशोधन , एनआरपी और एनआरसी पर नक्सलियों और मुसलमानों के हिंसक आन्दोलन का समर्थन कर के सभी विपक्षी दलों ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है | इन हिंसक आंदोलनों के कारण हिन्दू वोट बैंक पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुआ है क्योंकि मुस्लिम समुदाय ने बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठियों के समर्थन में खड़े हो कर खुद को बेनकाब किया है | मोदी सरकार के इन तीन कदमों ने जितना ध्रुविकरण किया है , इतना गहरा ध्रुवीकरण पिछले पांच साल में किसी मुद्दे पर नहीं हुआ था | अगर आज चुनाव हो जाएं तो भाजपा 350 पार करेगी |

सवाल तो यही होगा कि फिर हिन्दू वोट बैंक राज्यों में भाजपा को वोट क्यों नहीं दे रहा | राज्यों में पार्टी की हार को समझने के लिए दो उदाहरण काफी हैं | जो हरियाणा और महाराष्ट्र में हुआ , वही झारखंड में हुआ | हरियाणा में भाजपा जाटों को किनारे कर के चल रही थी , महाराष्ट्र में मराठों को किनारे कर के चल रही थी और झारखंड में आदिवासियों को | राज्यों की राजनीति जातीय आधारित होती है ,  मुख्यधारा की जातियों को उपेक्षित कर के राज्यों में राज नहीं किया जा सकता | कांग्रेस यह संतुलन बना कर चलती है |

दूसरा बड़ा कारण है भाजपा का स्वरूप बदल जाना , जो निचले स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को स्वीकार्य नहीं हो रहा है | भाजपा में कभी हाईकमान की परम्परा नहीं हुआ करती थी | राज्यों के प्रभारी राज्यों में जा कर हाईकमान का हुक्म नहीं बजाया करते थे | प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ऊपर से थोंपे नहीं जाते थे | ऊपर से थोंपे गए मुख्यमंत्री निरंकुश हो गए हैं | महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री ने अपने ही मंत्री विनोद तावडे का टिकट कटवा दिया था तो झारखंड के मुख्यमंत्री ने अपने ही मंत्री सरयू राय का टिकट कटवा दिया था | भाजपा केंद्र से राज्यों को चलाने वाली अपनी शैली नहीं बदलेगी तो एक एक कर सभी राज्य गंवा लेगी |  बड़ा सवाल यह है कि जिस तरह भाजपा राज्यों में हार रही है , मोदी सरकार इसी टर्म में राज्य सभा में फिर अल्पमत में आ जाएगी , फिर उस के हाथ बंध जाएंगे |

 

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