प्रियंका क्या आग से खेल रही हैं

Publsihed: 30.Dec.2019, 10:19

अजय सेतिया / उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव 2022 में होने हैं | दिल्ली और बिहार विधानसभाओं के चुनाव इसी साल , यानी कल से शुरू होने वाले 2020 में | दिल्ली विधान सभा के चुनावों का बिगुल तो इसी हफ्ते बजने वाला है | पर प्रियंका गांधी न दिल्ली पर फोकस कर रही हैं , न बिहार पर | उन का सारा फोकस उत्तर प्रदेश पर है | लोकसभा चुनावों में अपने भाई की सीट भी न बचा सकी प्रियंका वाड्रा को गलतफहमी हो गई है कि यूपी की अगली मुख्यमंत्री वह होंगी | इसलिए वह मायावती और अखिलाश यादव को नसीहत देने लगी हैं कि उन्हें कैसे राजनीति करनी चाहिए | एक तरह से वह उन्हें दो-टूक कह रही हैं कि चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन करना है तो अभी से सक्रिय हो जाएं , नहीं तो कांग्रेस अकेले लड़ेगी |

प्रियंका ने दोनों दलों से कहा, अपनी आवाज़ क्यों नहीं उठाते...उनको सरकार के ख़िलाफ़ खड़ा होना चाहिए...वो पहल नहीं लेते, आवाज़ नहीं उठाते... वही जानें क्यों नहीं करते, करना चाहिए...हमें अकेला चलना पड़े तो अकेले चलेंगे...कई महीनों से लड़ रहे, लड़ते रहेंगे.. हम अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ेंगे...2022 में अकेले लड़ सकते हैं...|” यह सही है , प्रियंका अकेली लड रही हैं , लेकिन वह उन्हीं मुद्दों पर लड रही हैं , जिन के कारण कांग्रेस की आज यह हालत हुई है और लोग कांग्रेस से नफरत करने लगे हैं | मुस्लिम परस्ती को कांग्रेस अपनी विरासत समझती है , लेकिन वह यह नहीं समझ पा रही कि भारत जाग चुका है |

हिन्दुओं की युवा पीढी रोज रोज के दंगों और धार्मिक उन्मांद भरे हिंसक नारों से तंग आ चुके हैं | जैसे जैसे शिक्षा का विस्तार हुआ है और इंटरनेट आया है वे हर घटना की पृष्ठभूमि में जा कर विश्लेष्ण करने लगे हैं | वे देख रहे हैं कि 1947 में भारत आज़ाद हुआ तो धर्म के आधार पर भारत के दो टुकड़े हो गए , एक मुसलमानों को दे दिया गया और दुसरे का नाम हिन्दुस्तान से बदल कर भारत कर दिया गया | हिन्दुओं को कुछ नहीं मिला , जो दो-तिहाई हिस्सा हिन्दुस्तान को मिलना था , वह भी मुस्लिम परस्ती की भेंट चढ़ गया | जैसे पाकिस्तान में हिन्दुओं का जीवन दूभर हुआ , वैसे ही भारत में हिन्दुओं पर कटाक्ष किए जा रहे हैं | देश का बटवारा करने वाली कांग्रेस हिन्दुओं से उसके अराध्य देवता भगवान राम के अस्तित्व का सबूत मांगती है | सुप्रीमकोर्ट हिन्दुओं के सब से बड़े त्यौहार दिवाली पर पटाखे चलाने पर प्रतिबंध लगाती है |

कांग्रेस की नई पीढी राहुल और प्रियंका को मंथन करना चाहिए कि उन के बाप-दादाओं से क्या भूल हुई कि देश की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कांग्रेस की देश में स्वीकार्यता सिर्फ 19 फीसदी रह गई है | देश भर में 4033 विधायक होते हैं , कभी कांग्रेस के विधायकों की तादाद ढाई हजार से ज्यादा हुआ करती थी अब झारखंड का चुनाव हो जाने के बाद उस के विधायकों की तादाद सिर्फ 856 हैं | जिस यूपी में वह सत्ता का सपना ले ही हैं , वहा समाजवादी पार्टी से महागठबंधन के बाद भी 105 सीटें लड कर सिर्फ 7  जीती थीं , उन में से भी उन की माँ सोनिया गांधी की रायबरेली लोकसभा सीट के दो विधायक कांग्रेस की 370 , ट्रिपल तलाक और नागरिकता संशोधन बिल पर अपनाई गई नीतियों के खिलाफ बगावत कर चुके हैं | जामिया मिल्लिया में हुए आन्दोलन से बात जाहिर हो गई कि मोदी सरकार के इन तीनों सुधारवादी और प्रोग्रेसिव कदमों को मुस्लिम उन के खिलाफ मानते हैं और कांग्रेस उन को समझाने की बजाए उन के साथ खडी है |  

प्रियंका गांधी यूपी में जितनी सक्रिय दिख रही हैं, देश की जनता में कांग्रेस से उतनी ही नफरत बढ़ रही है | क्योकि यूपी ने 15-16 दिसम्बर को जो तांडव देखा है , उस से ध्रुविकरण बहुत तीखा हो गया है | इस बात को मायावती और अखिलेश बेहतर समझते हैं , इस लिए वे इस मुद्दे पर अपने यादव दलित वोटबैंक को नाराज कर के दंगाईओं के साथ खड़े होने का दुसाहस नहीं कर रहे | कांग्रेस के पल्ले कुछ नहीं है , इसलिए वह बसपा और सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने के लालच में खुलेआम दंगाईओं के साथ खडी हैं | इसलिए मायावती ने प्रियंका पर पलटवार करते हुए उन्हें आग से नहीं खेलने की नसीहत दी है | मायावती ने उन्हें कहा-“दूसरों पर चिंता व्यक्त करने के बजाए कांग्रेस स्वयं अपनी स्थिति पर आत्मचिंतन करती तो बेहतर होता, जिससे निकलने के लिए उसे अब किस्म-किस्म की नाटकबाजी करनी पड़ रही है |" पर प्रियंका का यह नाटक कांग्रेस को देश भर में महंगा पड़ेगा |

 

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