क्या सुषमा वह कहेगी, जो पावेल ने कहा था/ अजय सेतिया
अब सब की निगाह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के सोमवार रात को संयुक्त राष्ट्र के 71वें सत्र में होने वाले भाषण पर है. देश की जनता मोदी सरकार की ओर से अब तक उठाए गए कदमो से संतुष्ट नहीं है. दो चार दिन की चुप्पी के बाद मोमबत्तियो और अमन की आशा वाले सोशल मीडिया पर फिर सक्रिय हो गए हैं. जिस से भारत की छवि सोफ्ट स्टेट की बनती जा रही है. यह ठीक है कि दस साल के यूपीए शाषण के दौरान भारतीय सेना की हालत करीब करीब 1962 जैसी हो गई है, तब सेना गोला बारूद से खाली हाथ ही थी.