क्या सुषमा वह कहेगी, जो पावेल ने कहा था/ अजय सेतिया

Publsihed: 25.Sep.2016, 13:02

अब सब की निगाह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के सोमवार रात को संयुक्त राष्ट्र के 71वें सत्र में होने वाले भाषण पर है. देश की जनता मोदी सरकार की ओर से अब तक उठाए गए कदमो से संतुष्ट नहीं है. दो चार दिन की चुप्पी के बाद मोमबत्तियो और अमन की आशा वाले सोशल मीडिया पर फिर सक्रिय हो गए हैं. जिस से भारत की छवि सोफ्ट स्टेट की बनती जा रही है. यह ठीक है कि दस साल के यूपीए शाषण के दौरान भारतीय सेना की हालत करीब करीब 1962 जैसी हो गई है, तब सेना गोला बारूद से खाली हाथ ही थी. लेकिन 1999 में कारगिल के समय हमारी फौज अपना जलवा दिखा चुकी है, जब धीरे धीरे सावधानी से आगे बढते हुए हमारी फौज ने उन सभी चोटियो को खाली करवा लिया था, जिन्हे पाकिस्तान की मक्कार फौज ने बिना युद्ध का एलान किए चोरी छिपे हथियाया था. हमारी फौज को अगर थोडा सा सशक्त कर दिया जाए तो वह कश्मीर समस्या का सथाई हल निकाल सकती है. 

नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान ज्यादा ध्यान कश्मीर पर ही केंद्रित रखा था। ऐसे में सुषमा से उम्मीद की जा रही है कि वह शरीफ के उस भाषण का कड़ा जवाब देंगी। लेकिन पाकिस्तान हर बार कश्मीर का सवाल उठाता है और भारत हर बार जवाब देता है, पर इस बार सवाल सिर्फ़ नवाज शरीफ के कश्मीर सम्बंधी बयान का जवाब देने का नही. सवाल पकिस्तानी आतंकियो की ओर से भारत की सेना को निशाना बनाने की नई नीति का है, जो निश्चित ही पाकिस्तानी सेना की रणनीति का ही हिस्सा है. नवाज शरीफ ने कहा है कि उरी की वारदात बुहरान वानी कि हत्या की प्रतिक्रिया है. इतना ही नहीं अलबत्ता बुहरान वानी को कश्मीर का "यंग लीडर" बता कर कश्मीर में आतंकवाद का खुला समर्थन किया है. बुहरान वानी हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर था, जो कि आतंकी संगठन है. भारत, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका हिजबुल मुजाहिदीन को आतंकी देश घोषित कर चुका है, फिर संयुक्त राष्ट्र के मंच से किसी देश का प्रधानमंत्री घोषित आतंक्वादी संगठन के कमांडर को "यंग लीडर" कैसे सम्बोधित कर सकता है.

नवाज शरीफ का संयुक्त राष्ट्र में दिया गया भाषण ही पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित किए जाने के लिए काफी है. भारत मांग करता रहा है कि पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित किया जाए, लेकिन भारत ने खुद इस सम्बंध में कदम नहीं उठाया है. अलबता भारत ने तो पाकिस्तान को "मोस्ट फेवरिट " देश का दर्जा दिया है. भारत को पाकिस्तान के सम्बंध में अपनी कथनी और करनी में अंतर दिखाना होगा. भारत की जनता इसी उम्मींद के साथ भाजपा को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लाई है. मोदी सरकार ने अभी तक पाकिस्तान को न तो "मोस्ट फेवरिट " की सूची से निकाला है और न ही आतंकवादी देश घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की है. भारत की जनता मोदी सरकार से यह उम्मींद तो करती है कि भले ही वह पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का एलान न करे, पर पठानकोट और उरी की घटनाओ के बाद कम से कम पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करते हुए अपने उच्चायुक्त को वापिस बुला ले और पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित का बिस्तर बांध दे, जो भारत सरकार की पालिसी के खिलाफ आए दिन हुर्रियत के नेताओ को दावत देते रहते हैं.

शनिवार और रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा की राष्ट्रीय परिषद बैठक के दौरान जनसभा और पार्टी की बैठक में पाकिस्तान को दुनिया में अलग-थलग करने की बात कही है, पाकिस्तान को दुनिया भर में आतंकवाद फैलाने वाला देश भी कहा है. यह भी कहा है कि 18 सैनिको का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. उन्होने बदला लेने की बात भी कही है.  तो सवाल पैदा होता है कि इन तीनो लक्ष्यो को प्राप्त करने के लिए मोदी सरकार क्या क्या कदम उठाने जा रही है. भारत की जनता कम से कम यह उम्मींद करती है कि नरेंद्र मोदी की तरफ से सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र महासभा में इन तीनो मुद्दो पर भारत की स्थिति साफ कर दे. पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक सम्बंध तोडने का एलान करे , पाकिस्तान को  "मोस्ट फेवरिट " की सूची से निकालने का एलान करे और पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करते हुए दुनिया से पाक के खिलाफ कार्रवाई की गुहार लगाए.

क्या नरेंद्र मोदी वैसा स्टैंड ले सकते हैं जैसा "नाईन इलेवन" के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने लिया था. बुश ने आतंकवाद के खिलाफ जंग का एलान किया था. इस में कोई शक नहीं कि सुषमा सवराज का भाषण पाकिस्तान और नवाज शरीफ की बखिया उधेडने वाला होगा, वह एक बेहतरीन वक्ता हैं,लेकिन क्या सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में पाकिस्तान की करतूतो की वैसी तस्वीर पेश कर सकती है , जैसी "नाईन इलेवन" के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री जनरल पावेल ने प्रस्तुत की थी. उन्होने कहा था कि कूटनीति फेल हो गई है , इस लिए दुनिया यह आतंक के खिलाफ अमेरिका की बनाई रणनीति  में उस का साथ दे. उन्होने दो टूक शब्दो में कहा था कि जो हमारे साथ आना चाहे उस का स्वागत है, जो न आना चाहे न आए. क्या सुषमा स्वराज यह कह सकती हैं कि " हम पाकिस्तान को आतंकवादी देश मानते हैं, हमारे सब्र का प्याला भर गया है, पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का समय आ गया है."

मोदी ने पाकिस्तान को दुनिया में अलग-थलग करने का जो संकल्प लिया है, क्या उस के लिए यह जरूरी नहीं कि दुनिया को अंतिम चेतावनी के लिए इतना कहा जाए. आखिर नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में सभी की मौजूदगी में  दुनिया की ओर से घोषित आतंकवादी संगठन के कमांडर को "यंग लीडर" कह कर सम्बोधित किया है, जो पूरी दुनिया के लिए चुनौती है. सुषमा स्वराज को पाकिस्तान के खिलाफ स्पष्ट तस्वीर पेश करनी होगी, जिस में दिखया जाए कि भारत की संसद पर हुए हमले के बाद अब तक कितने आतंकवादी हमले हुए हैं और इन हमलो पर पाकिस्तान के हुकमरानो का कैसा रूख रहा है. भारत ने अमेरिका जैसा सख्त और दो टूक स्टैंड लिया तो दुनिया भारत का लोहा मानेगी, अन्यथा जैसे दुनिया जैसा पहले पाकिस्तान पर लच्चर रूख अपनाती रही है, वैसा ही अपनाती रहेगी.

 

 

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