India Gate Se

Exclusive Articles written by Ajay Setia

आडवाणी के धोबीपाट से कांग्रेस की बोलती बंद

Publsihed: 09.Jan.2008, 20:40

यों तो 'भारतरत्न' पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। पर यूपीए सरकार अटल बिहारी वाजपेयी को देगी नहीं। सर्वोच्च सम्मान का इतिहास इस बात का गवाह। नेहरू-इंदिरा-राजीव तीनों लिस्ट में शामिल। पर कांग्रेस को डॉ. अम्बेडकर-सरदार पटेल याद नहीं आए। अम्बेडकर को भारतरत्न दिया वीपी सरकार ने। सरदार पटेल को चंद्रशेखर ने। इंदिरा ने मदर टरेसा को भारतरत्न दिया। पर जब वाजेपयी ने वीर सावरकर की सिफारिश की। तो सोनिया ने वीएन नारायणन से फाइल रुकवा दी। सावरकर की बात चली। तो बता दें- दिल्ली में जब पहली वीर सावरकर कमेटी बनी। तो वसंत साठे अध्यक्ष थे, वीएन गाडगिल महासचिव। पर जैसे-जैसे कांग्रेस अल्पसंख्यकवाद की ओर बढ़ी। वैसे-वैसे सावरकर राष्ट्रविरोधी लगने लगे।

माथुर-मोदी की रणनीति का जादू सर चढ़ बोला

Publsihed: 08.Jan.2008, 20:40

अपन ने कल क्रिकेट पर कलम घिसाई। अंपायरों की टुच्चई बताई। अंपायरों के खिलाफ बीसीसीआई ने आंखें दिखाई। तो आईसीसी के होश फाख्ता हो गए। बकनर को पर्थ टेस्ट की अंपायरी से हटाना पड़ा। मार्क बेनसन को अंपायरी करनी ही नहीं थी। जहां तक भज्जी की बात। तो अपील पर आयोग बन गया। जब तक रपट नहीं आती। अपने भज्जी खेलेंगे। देखा, आंख दिखाने का असर। तभी तो अपने नवजोत सिद्दू ने बीसीसीआई की तारीफ की। वरना सिद्दू और बीसीसीआई की तारीफ कर दें। क्रिकेट का विवाद फिलहाल थमा। तो अपन अपनी पर लौट आएं। तो आज बात बीजेपी की। अपने ओम माथुर की ताजपोशी शानदार ढंग से हुई। अहमदाबाद में मोदी के विजयरथ पर पीछे खड़े थे।

असली रंगभेदी तो हैं अंपायर

Publsihed: 07.Jan.2008, 20:40

अपन को क्रिकेट का कोई बुखार नहीं। सो अपन क्रिकेट के पंडित भी नहीं। पर इतने भी घसियारे नहीं। जो स्टीव बकनर और मार्क बेनसन की टुच्चई न समझ सकें। अंपायरों की टुच्चई पर बाद में चर्चा करेंगे। पहले अपने हरभजन सिंह भज्जी की बात। भज्जी ने नस्लभेदी टिप्पणीं की या नहीं। अपन नहीं जानते। पर आईसीसी का फैसला जरूर नस्लभेदी। अपने होठों को सफेद रंगने वाले साइमंड ने कहा- 'भज्जी ने मुझे मंकी कहा।' अंपायर कह रहे थे- उनने कुछ नहीं सुना। पर आईसीसी ने अपने भज्जी को तीन मैचों में सस्पेंड कर दिया। रंगभेदी कौन? अपने भज्जी या आईसीसी। अपन को नहीं लगता- भज्जी ने गुस्से में अंग्रेजी बोली होगी।

मोदी विरोधी फिर कोर्ट की शरण में

Publsihed: 04.Jan.2008, 20:40

गुजरात की हार पर कांग्रेस में मुर्दनी। सोनिया गांधी चौथे दिन भी अस्पताल में। गंगाराम अस्पताल में भर्ती की बात समझ नहीं आई। मामला इतना गंभीर था। तो ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीटयूट क्यों नहीं ले जाई गई। बताया तो गया था सिर्फ चेस्ट इंफेक्शन। पर अपन दिल्ली की सर्दी से वाकिफ। दमे के मरीजों के लिए यह सर्दी जानलेवा। सो अपन ही नहीं। ज्यादातर लोगों का मानना था- दमे का दौरा। अपन को पहले से पता था- सोनिया दमे की मरीज। बात चली है तो बताते जाएं। नेताओं में जयललिता भी दमे की मरीज। करुणानिधि भी। और येरा नायडू भी। पर शुक्रवार को गंगाराम अस्पताल ने कहा- 'सांस की नली में सूजन जैसी कोई बात नहीं।' यानी दमे का गंभीर मामला तो नहीं। चेस्ट इंस्फेक्शन की मामूली बात, और चार दिन।

यूपीए को लेने होंगे आम आदमी के हक में फैसले

Publsihed: 03.Jan.2008, 20:35

सरकार पर चुनावी झटके का असर दिखने लगा। पर कांग्रेस अपनी जहनियत बदलने को तैयार नहीं दिखती। अपन ने 19 दिसम्बर को लिखा था- 'नगालैंड में कांग्रेसी छेड़छाड़ की तैयारी' उसमें अपन ने लिखा- 'गुजरात-हिमाचल में लोकतंत्र का कार्यक्रम निपट चुका। अब नगालैंड में लोकतंत्र के क्रियाक्रम की तैयारी।' देर भले ही लगी, पर हुआ वही। मंगलवार को इसी काम के लिए कैबिनेट हुई। मनमोहन सिंह ने वही किया। जिसका हुक्म दस जनपथ से आया। आखिर विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति राज की सिफारिश हो गई। अपनी राष्ट्रपति दिल्ली से बाहर थी। सो देर लगी। गुरुवार को वह काम भी हो गया। रबड़- स्टैंप लग गई।

वह सत्ता का नशा ही क्या, जो सिर चढ़ कर न बोले

Publsihed: 02.Jan.2008, 20:40

ऐसे नेता अब विरले। जिन पर सत्ता का नशा न चढ़ता हो। मायावती यूपी का चुनाव क्या जीती। पीएम बनने के सपने लेने लगी। पर गुजरात-हिमाचल ने नशा चूर-चूर किया होगा। सत्ता का नशा तो सोनिया गांधी का भी उतर गया। गुजरात-हिमाचल में मायावती को भले कुछ नहीं मिला। सोनिया का खेल तो बिगाड़ ही दिया। सोनिया ने इशारा किया होगा। तभी तो रीता बहुगुणा ने मायावती पर तीर चलाए। अगले ही दिन मायावती ने सोनिया-मनमोहन सरकार की चूलें हिला दी।

रावलपिंडी-रामपुर में फर्क नहीं आतंकियों की नजर में

Publsihed: 01.Jan.2008, 20:35

आखिर मुशर्रफ ने चंडूखाने की गप से पीछा छुड़ाया। कार के लीवर से बेनजीर की मौत वाली थ्योरी छोड़ दी। पाक के इंटीरियर मिनिस्टर हामिद नवाज खान बोले- 'हमें माफ करें और चीमा के बयान को भूल जाएं।' चीमा ने जो चंडूखाने की थ्योरी दी थी। उस बारे में अपन ने कल ही लिखा था। इसे मुशर्रफ पर बुश का दबाव समझें। या पाकिस्तानी आवाम के भरोसा न करने का असर। मानो, न मानो। जरूर बुश ने फटकारा होगा। मुशर्रफ की थ्योरी से बुश संकट में फंस गए थे। एक तरफ हिलेरी क्लिंटन की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग। दूसरी तरफ आतंकवाद के खिलाफ बुश की लड़ाई कमजोर पड़ती।

प्रियंका-फातिमा नहीं राहुल-बिलावल

Publsihed: 31.Dec.2007, 20:39

अपने यहां कांग्रेस-भाजपा में चुनावी तैयारियां। तो उधर पीपीपी-पीएमएल में गठजोड़ की खबर। आखिर नवाज शरीफ ने माना- 'पीपीपी-पीएमएल मिल जाएं। तो पाक में जमहूरियत का भला होगा। दोनों मिलकर उखाड़ सकते हैं तानाशाही।' पाकिस्तान में पीपीपी-पीएमएल हू--हू वैसे ही। जैसे अपने यहां भाजपा-कांग्रेस। अपने यहां पाक जैसी समस्या तो नहीं। जहां हर दूसरे-तीसरे साल फौजी तानाशाही का फच्चर। पर अपने यहां राजनीतिक हुड़दंग इतना हो गया। विकास की गाड़ी पटरी से उतर चुकी। सोचो, अपने यहां भी कांग्रेस-बीजेपी मिल जाएं। तो देश का कितना भला होगा। छोटी-छोटी पार्टियों की ब्लैकमेलिंग खत्म होगी। विकास की गाड़ी सरपट दौड़ेगी। पर कांग्रेस-बीजेपी का मिलना खालाजी का घर नहीं।

आडवाणी की क्लास से निकले चुनावी फार्मूले

Publsihed: 29.Dec.2007, 20:39

बीजेपी की कमान अब पूरी तरह आडवाणी के हाथ। गुजरात-हिमाचल के नतीजों ने जोश भर दिया। यों तो बीजेपी की कोर कमेटी अपना काम करेगी। पर आडवाणी ने चुनावी शतरंज की अलग कोर कमेटी बना ली। कहीं मनमोहन-सोनिया की तरह दोहरी सत्ता न दिखे। सो कोर कमेटी में राजनाथ सिंह भी। पर साथ ही नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली भी। राजनाथ ने मोदी को पार्लियामेंट्री बोर्ड से बाहर किया। तो जेटली को प्रवक्ता पद से हटाया। राजनाथ के इन दोनों कदमों से पार्टी में फूट दिखी। पर गुजरात जीतकर मोदी ने अपना कद बढ़ा लिया। अब पार्टी में आडवाणी के बाद मोदी दूसरी हस्ती। आडवाणी ने अपनी कोर कमेटी में सिर्फ एक सीएम को रखा। वह भी नरेंद्र मोदी।

जेहादियों की निगाह पाक के एटम बम पर

Publsihed: 28.Dec.2007, 20:39

आखिर वही हुआ। जिसका अपन ने अंदेशा जताया। अपन ने लिखा था- 'अमेरिकापरस्ती बनी बेनजीर की मौत।' शुक्रवार को वाया इटली खबर आई- 'अल कायदा ने हत्या की जिम्मेदारी ले ली।' अल कायदा के कमांडर मुश्तफा अबू अल याजीद ने कहा- 'हमने अमेरिका की वह सबसे महत्वपूर्ण नेता खत्म कर दी। जिसने मुजाहिद्दीन को खत्म करने की कसम खाई थी।' याजीद ने यह भी बताया- 'बेनजीर का काम तमाम करने का हुक्म अल कायदा के नंबर दो- अल जवाहरी ने दिया था।' पर पाकिस्तान में ज्यादातर लोगों को मुशर्रफ पर शक। मुशर्रफ अपने रास्ते के रोड़े हटाने में माहिर। यों भी भुट्टो परिवार का फौज से छत्तीस का आंकड़ा रहा। फौज-आईएसआई ने भुट्टो परिवार को कभी पसंद नहीं किया।