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Exclusive Articles written by Ajay Setia

दे बाबा- अफजल, अजहर, सोहराबुद्दीन के नाम पर

Publsihed: 14.Dec.2007, 20:40

गुजरात के चुनावी महासमर का आज आखिरी दिन। कल बाकी की 95 सीटों पर भी वोट पड़ेंगे। संग्राम तो कांग्रेस-बीजेपी में रहा। पर महाभारत संघ परिवारियों में हुई। आधा परिवार कौरव बन गया। आधा पांडव। आधे मोदी के साथ। बाकी बचे केशुभाई के साथ। केशुभाई की तुलना अपन भीष्म पीतामह से करें। तो ठीक ही रहेगा। भीष्म पीतामह का शरीर कौरवों के साथ था। मन पांडवों के साथ। केशुभाई का शरीर बागियों के साथ था। मन बीजेपी के साथ। सिर्फ बीजेपी ही क्यों। बाकी संघ परिवारिए भी महाभारत में कूदे। वीएचपी को ही लें। तोगड़िया अंदरखाते कांग्रेस के साथ थे। तो अशोक सिंघल-आचार्य धर्मेंद्र बीजेपी के साथ।

तुम्हारा अजहर, तो हमारा अफजल

Publsihed: 13.Dec.2007, 20:40

चुनाव आयोग से मोदी को नोटिस मिला। अलबत्ता मोदी को नोटिस दिलवाया। तो कांग्रेस बहुत खुश थी। पर मोदी के जवाब ने आयोग की जुबान तो बंद की ही। कांग्रेस की जुबान पर भी ताला पड़ गया। अपन अगर चुनावी दांव-पेंच की पड़ताल करें। तो सोनिया गांधी को बधाई देनी पड़ेगी। जिनके एक वाक्य पर चुनावी घमासान अटक गया। यह वाक्य था- 'गुजरात में शासन चलाने वाले मौत के सौदागर।' सोनिया ने दो काम किए। एक तो सारा चुनाव इसी के इर्द-गिर्द कर दिया। दूसरा- मोदी को मुद्दा बना दिया। वही चाहते थे मोदी। मोदी की बात चली। तो इस बार का खास नारा बताएं। नारा लगा- 'न दर्द चाहिए, न हमदर्द चाहिए। मोदी जैसा मर्द चाहिए।'

मोदी को अभिमन्यु की तरह घेरने की कोशिश

Publsihed: 12.Dec.2007, 20:39

अपनी सुप्रीम कोर्ट ने मोदी को नोटिस दिया। तो जयंती नटराजन बाग--बाग हो गई। बोली- 'अदालत पहले भी कई बार मोदी की निंदा कर चुकी। फासिस्ट मोदी गोधरा की लाशों पर सवार होकर सत्ता में पहुंचे।' लाशों की राजनीति पर अपने जावड़ेकर बोले- 'लाशों की राजनीति में कांग्रेस की महारत।' उनने याद कराया 1984 का चुनाव। उनने याद कराया 1991 का चुनाव। बात 1984 की चली। तो बता दें- बुधवार को अपने सिध्दू भाजी ने अमदाबाद में मनमोहन को 84 के दंगे याद कराए।

आडवाणी के नाम से मनमोहन क्यों परेशां

Publsihed: 11.Dec.2007, 20:40

गुजरात का पहला दौर निपटा। कोई छप्पन फीसदी वोटिंग हुई। पचास फीसदी से कम होती। तो बीजेपी के तम्बू उखड़ते। छप्पन फीसदी से मोदी की बल्ले-बल्ले। पर जितने खुश बीजेपी महासचिव ओम माथुर। उतने ही कांग्रेस महासचिव बी के हरिप्रसाद। दोनों का डेरा गुजरात में। बी के हरिप्रसाद बोले- 'मंगलवार को सौराष्ट्र-कच्छ ने मोदी को नकार दिया।' अपन ने माथुर से पूछा, तो बोले- 'जिन 87 सीटों पर चुनाव हुआ। उनमें 54 बीजेपी के पास थी। ज्यादा नहीं, तो 54 बरकरार रहेंगी।'

आडवाणी-शेखावत देंगे सोनिया को चुनौती

Publsihed: 10.Dec.2007, 20:40

ताकि सनद रहे, सो याद कराएं। अपन ने बारह सितम्बर को लिखा था- 'आडवाणी ताकतवर होकर मुम्बई से लौटे।' दस दिसम्बर को बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड ने एलान किया- 'आडवाणी होंगे पीएम पद के दावेदार।' वैसे यह एलान सितम्बर में ही होता। पर कई आडवाणी विरोधी जल-भुन गए थे। जिसकी झलक अपन ने 25-26 सितम्बर को भोपाल में देखी। जब राजनाथ ने पहले ही दिन अटल की चिट्ठी का पैंतरा चल दिया। जिन्ना प्रकरण से कईयों के मुंह में पानी था।

आयोग की निष्पक्षता सवालों के घेरे में

Publsihed: 07.Dec.2007, 20:32

शीत सत्र का भोग पड़ गया। यानी सत्रावसान हो गया। सत्रावसान के वक्त पीएम गायब थे। लोकसभा के नेता प्रणव दा भी होते। तो गनीमत थी। पर वह भी गायब। राज्यसभा में तो मनमोहन के साथ विपक्ष के नेता जसवंत सिंह भी गायब। संसद की ऐसी अनदेखी अपन ने पहले नहीं देखी। मनमोहन शाम को गुजरात जाते। तो पहाड़ नहीं टूट पड़ता। वैसे भी मनमोहन वोटरों को कितना प्रभावित करेंगे। किसी से छिपा नहीं। पर गुजरात की बात चली। तो बता दें- मनमोहन ने वहां क्या कहा।

स्वर्गीय श्री सोहराबुद्दीन के कटघरे में मोदी

Publsihed: 06.Dec.2007, 20:45

अपन चुनाव आयोग की मजबूरी नहीं जानते। पर नरेंद्र मोदी को भेजा गया नोटिस अपने गले नहीं उतरा। अपन ने शाम सवा सात बजे ओम माथुर से बात की। तो नोटिस अभी उन्हें मिला ही था। नोटिस अरुण जेटली को थमाते हुए उनने अपन से बात की। चुनाव आयोग से निपटने में जेटली की महारत। पर कोई अपन से पूछे। तो इससे मोदी को राजनीतिक फायदा ही होगा। आयोग जितना कड़ा रुख अपनाएगा। मोदी उतने फायदे में।

लेफ्ट ने गलती सुधारी लोस पर लटकी तलवार

Publsihed: 06.Dec.2007, 04:13

एटमी करार पर बहस देर रात तक चली। मनमोहन भी शौरी-सिब्बल को सुनने बैठे रहे। यों तो राज्यसभा में सिब्बल-जेटली की नोंक-झोंक मजेदार होती। पर करार के एक्सपर्ट शौरी। वैसे भी जेटली गुजरात के मोर्चे पर। गुजरात की बात चली। तो बता दें- कांग्रेस का अपना सर्वेक्षण 85 का। बीजेपी के खाते में 95 सीटें। कांटे की लड़ाई का अहसास दोनों को। सो सोनिया ने पूरा जोर लगा दिया। मोदी ने भी तलवार म्यान से निकाल ली। मंगल की रात सिब्बल गुजरात छोड़ राज्यसभा में लेफ्ट से जूझ रहे थे। तो मोदी ने सोहराबुद्दीन का मुद्दा उठा दिया।

नटवर के कटघरे में खड़े मनमोहन

Publsihed: 04.Dec.2007, 20:40

संसद की बहस का स्तर कितना गिर गया। यह अपन ने मंगलवार को राज्यसभा में देखा। पीएम जब कटघरे में खड़े हुए। तो पर्सनल अटैक पर उतर आए। फिर लालू यादव क्यों पीछे रहते। सो वे भी अपनी पर आ ही गए। देखते-देखते राज्यसभा गली-मोहल्ला दिखने लगा। एटमी करार पर बहस शुरू हुई। तो यशवंत सिन्हा ने पीएम पर बमबारमेंट शुरू कर दी।

मौत का सौदागर मोदी या अफजल? नया सवाल

Publsihed: 04.Dec.2007, 08:13

यह तो अपन को पहले से पता था-'मोदी पर जहर बुझे तीर चलाएगी सोनिया।' पर अपन को भरोसा था-सोनिया चक्रव्यूह में नहीं फसेगी। भले ही अनारी कितनी ऊट-पटांग बाते लिखकर थमाएं। पर अपना भरोसा टूट गया। जब सोनिया ने चिकली में मोदी को बेइमान और मौत का सौदागर कह दिया। साथ में गांधी के गुजरात को गोडसे से जोड़ बलंडर किया।