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Exclusive Articles written by Ajay Setia

मोनार्क की जगह महारानी

Publsihed: 22.Jan.2008, 20:35

नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर होम मिनिस्ट्री के दस्तावेज डि-क्लासीफाईड हुए। पर सारे दस्तावेज अभी भी नहीं। सच जानने के लिए तीन आयोग बने। कांग्रेस सरकारों ने तीनों आयोगों में अडंग़ा लगाया। होम मिनिस्ट्री के दस्तावेज भी कभी नहीं दिए। पर आरटीआई के तहत अब जब दस्तावेज दिए। तो उसमें कुछ नया नहीं। वही कांग्रेसी सरकारों का पुराना स्टेंड- 'नेताजी 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में मारे गए थे।' यूपीए सरकार के ताजा कदम का बंगाल में क्या असर होगा। अपन नहीं जानते। पर नेहरू परिवार शक से बाहर नहीं होगा। जो दस्तावेज डि-क्लासीफाईड नहीं हुए। अब उनकी जंग होगी।

मिस्टर ब्राउन यह दर्द तो आपका दिया है

Publsihed: 21.Jan.2008, 20:35

पाकिस्तान में अपने एक अजीज दोस्त हैं- शाहिद अब्दुल कयूम। वहां के एक टीवी चैनल में सीनियर सब एडिटर। चार साल पहले अपन जब पाक गए। तो कयूम से दोस्ती हुई। फिर गाहे--गाहे बजरिया ई-मेल बातचीत होती रही। कभी कभार एसएमएस भी। कयूम से हुई ताजा चर्चा पर आप भी गौर फरमाएं। लिखते हैं- 'मेरा देश जल रहा है। हालात बद से बदतर हो रहे हैं। आपने भी सीमा पार की बुरी खबरें सुनी होंगी। फिदायिन हमले, विद्रोही गतिविधियां। भुट्टो की हत्या के बाद राजनीतिक संकट। हमारी सीमाओं में जंग छेड़ने की अमेरिकी धमकियां। हमारे परमाणु बम की सुरक्षा का सवाल। आप क्या सोचते हैं- इस सबके लिए कौन जिम्मेदार है?'

महिलाओं को टिकट बीजेपी का नया पैंतरा

Publsihed: 18.Jan.2008, 20:40

अपन ने बीजेपी की चुनावी रणनीति तीस दिसंबर को बताई थी। तब से टुकड़ों-टुकड़ों में बीजेपी तीन बार खुलासा कर चुकी। तीसरा खुलासा शुक्रवार को सुषमा ने किया। पर टुकड़ों-टुकड़ों में जो बातें सामने आईं। अपन ने सारी की सारी तीस दिसंबर को लिख दी थीं। उन्हीं में से एक थी- 'पिछले छह चुनावों में जीती 300 सीटों पर निशाने की।' यह खुलासा सुषमा स्वराज ने पंद्रह जनवरी को किया। उन्हीं में से एक थी- 'महिलाओं को टिकट की।' शुक्रवार को यह खुलासा हुआ। सुषमा स्वराज के घर हुई एक ग्रुप मीटिंग को छोड़ दें। तो शुक्रवार को तीसरी मीटिंग आडवाणी के घर हुई। आडवाणी के घर की बात चली। तो याद करा दें- आडवाणी की जब संघ से कुट्टी शुरू हुई। तो संघ के एक खेमे को एतराज इसी बात पर था।

नगालैंड वाला फैसला गोवा में क्यों नहीं

Publsihed: 17.Jan.2008, 20:40

अपन को लगता है कांग्रेस ने अभी सबक नहीं सीखा। सत्ता हथियाने के बेजा तरीकों ने कांग्रेस को कमजोर किया। नौ साल बाद सत्ता में लौटी। तो देश को उम्मीद थी कांग्रेस ने सबक सीख लिया होगा। सत्ता के लिए लोकतंत्र से बलात्कार अब नहीं करेगी। पर सत्ता में आते ही कांग्रेस फिर वही करने लगी। लोकतंत्र से बलात्कार के लिए गवर्नरों, स्पीकरों का बेजा इस्तेमाल। पहले बूटा सिंह-सिब्ते रजी ने सुप्रीम कोर्ट की डांट खाई। अब नगालैंड के बाद गोवा ताजा मिसाल। नगालैंड साठ सीटों की विधानसभा। गोवा चालीस की। एक-दो एमएलए भी इधर-उधर हो जाएं। तो सरकार पर संकट। छोटे राज्यों से सबक लेना चाहिए।

पश्चिम ने शुरू की, एशिया रोकेगा सभ्यताओं की जंग

Publsihed: 17.Jan.2008, 02:15

बुधवार को भी अपनी दिल्ली और दिनों की तरह रही। अभिषेक मनु सिंघवी तेलंगाना-बुंदेलखंड पर उलझे रहे। प्रकाश जावड़ेकर बोफोर्स घोटाले में सीबीआई की कारगुजारी पर। मधु कोड़ा अपनी सरकार बचाने दिल्ली दरबार में घूमते रहे। पिछले हफ्ते अर्जुन मुंडा दिल्ली आए। तो अपन को बता रहे थे- 'झारखंड की गद्दी फिर आ रही है।' यों बिल्लियों की लड़ाई में बंदरों का ही फायदा। पर दिल्ली में राजनीति के अलावा भी बहुत कुछ। कम से कम दो जगह अपनी दिलचस्पी बनी। एक था ताज पैलेस में जागरण कनक्लेव। जहां लाल कृष्ण आडवाणी सभ्यताओं की जंग पर बोले। दूसरा था एसोचम में जीएफसीएच कांफ्रेंस। ग्लोबल फाउंडेशन फॉर सिविलाइजेशनल हारमोनी।

आग बुझ नहीं रही, ऊपर से बर्ड फ्ल्यू की आफत

Publsihed: 16.Jan.2008, 03:08

अपने बंगाल में 30 साल से कम्युनिस्ट सरकार। इतना लंबा अर्सा स्थाई शासन मिल जाए। पर एक मार्केट की आग न बुझा सके। तो समझ लो- तीस साल क्या किया धरा होगा। बंगाल में उद्योगों का बंटाधार तो हुआ ही। गरीबी की हालत देखने लायक। पिछड़ेपन का ठीकरा अपन किसी और के सिर नहीं फोड़ सकते। सिर्फ नेता ही जिम्मेदार। फिर भी नेता नक चढ़े। बंगाल के फायर ब्रिगेड मंत्री प्रतिम चटर्जी का रवैया देखो। सोमवार को अपने राजस्थानी सांसद सुभाष महेरिया कोलकाता गए। साथ में दो मंत्री कालीचरन सर्राफ और खेमा राम मेघवाल भी थे। अपनी वसुंधरा राजे ने हालात जानने भेजा। पर नक चढ़े प्रतिम चटर्जी मिलने तक को राजी नहीं हुए। बोले- 'पहले से मुलाकात का वक्त क्यों नहीं मांगा।'

एटमी ईंधन को चीन भी राजी, अब लेफ्ट लाचार

Publsihed: 14.Jan.2008, 20:37

अपने गोपालस्वामी ने तीन राज्यों में चुनावी बिगुल बजा दिया। त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड। तीनों एसेंबलियों की मियाद मार्च में खत्म। पर कर्नाटक में चुनावी बिगुल नहीं बजा। अपने नरेंद्र मोदी सोमवार को पहुंचे तो चेन्नई। पर बात बेंगलुरु की बोले। कहा- 'बीजेपी लोकसभा चुनाव जीतने का श्रीगणेश दक्षिण से करे।' चेन्नई में बीजेपी वर्करों ने मोदी से जीत का मंत्र पूछा। तो वह बोले- 'महिलाओं की अहम भूमिका रही।' सो मोदी तमिलनाडु की बीजेपी को जीत का मंत्र दे आए।

एटमी करार के दो फैसलाकुन महीने

Publsihed: 12.Jan.2008, 20:39

अपन ने बारह अक्टूबर को लिखा था- 'तो रूस से एटमी करार तोड़ेगा लेफ्ट से गतिरोध। ' हू-ब-हू वही हुआ। मनमोहन सिंह रूस गए। लौटे भी नहीं थे। लेफ्ट ने आईएईए से बात की हरी झंडी दे दी। यह अलग बात। जो रूस से एटमी करार नहीं हुआ। जिस पर लेफ्ट लाल-पीला भी हुआ। तब प्रणव दा ने सफाई दी थी- 'जब तक आईएईए के सेफगार्ड तय न हों। जब तक एनएसजी की हरी झंडी न हो। तब तक किसी से करार का कोई फायदा नहीं।' पर अपन ने बारह अक्टूबर को यह भी लिखा था- 'आईएईए-एनएसजी समझौते तीन महीने ठंडे बस्ते में पड़ेंगे।' सो तीन महीने कुछ नहीं हुआ।

आईएईए से बात का पीएम के चीन दौरे से सीधा रिश्ता

Publsihed: 11.Jan.2008, 20:35

मनमोहन सिंह आज रात चीन उड़ेंगे। नेहरू हों या वाजपेयी। सवाल चीन का हो। तो दोनों गलतियों के पुतले। नेहरू ने भारत-चीन भाई-भाई का डंका पीट धोखा खाया। अपनी 90 हजार वर्ग किमी जमीन अब भी चीन के कब्जे में। वह 21 नवंबर 1962 किसे भूलेगा। जब चीन ने बीस किमी घुसकर एकतरफा सीजफायर किया। जमीन वापस लेने के अपने संसदीय प्रस्ताव पर धूल जम चुकी। प्रस्ताव तो पाक के कब्जे वाले कश्मीर को लेने का भी। पर किसी पीएम की हिम्मत नहीं। कारगिल के वक्त भी जब अपना हाथ ऊपर था। तो वाजपेयी की हिम्मत नहीं हुई। आगे बढ़ रही फौजें मढ़ी तक पहुंच जाती। तो वाजपेयी भारत रत्न हो जाते।

तो सोनिया के लिए बेल्लारी के रास्ते बंद

Publsihed: 10.Jan.2008, 20:40

ऑटो एक्सपो में लखटकिया कार दिखाने रतन टाटा खुद आए। तो बोले- 'कार के नाम की बात चली। तो सुझाव आया- बुध्दू रखा जाए।' यों बुध्ददेव भट्टाचार्य सिंगूर मामले में बुध्दू तो साबित नहीं हुए। पता नहीं यह सुझाव क्यों आया? टाटा ने भले सुझाव नहीं माने। पर चुटकी तो कर ही गए। उनने कहा- ''दूसरा सुझाव 'ममता' नाम का था। आखिर ममता के बावजूद कार आएगी।'' पर वह बुध्ददेव-ममता के चक्कर में नहीं फंसे। कार का नाम 'नैनो' रखा। सत्तर के दशक में संजय गांधी ने छोटी कार बनाई। तो नाम 'मारुति' रखा। कार आने में बहुत वक्त लगा। तब चुटकीबाज वाजपेयी कहा करते थे- 'यह मारुति नहीं, बेटे के लिए मां-रोती है।'