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Exclusive Articles written by Ajay Setia

सीएम प्रोजेक्ट किए तो जाल में फंसेगी कांग्रेस

Publsihed: 27.May.2008, 05:37

कर्नाटक में जब कांग्रेस की लुटिया डूब रही थी। तो सोनिया अपनी बेटी प्रियंका के घर नाते-नाती से खेल रही थी। सोनिया बारह बजे से पांच बजे तक प्रियंका के घर रही। राजीव जब पीएम थे। तो छुट्टियां मनाने की परंपरा दुबारा से शुरू की। यों जवाहर लाल नेहरू भी छुटि्टयां मनाने जाते थे। पहली बार उनने हिमाचल में छुट्टियां मनाई। पर बाद में पीएम छुट्टियों से कन्नी काटने लगे। राजीव अलग तरह के राजनीतिबाज थे। उनने अपने यहां यूरोपियन रिवाज लागू किया। हफ्ते में दो दिन छुट्टियों का। फाइव डे वीक राजीव की देन। सोनिया तो ठहरी ही यूरोपियन। सो हार में वह क्यों अपना संडे बर्बाद करती।

अब आडवाणी का ख्वाब ख्याली पुलाव नहीं

Publsihed: 26.May.2008, 02:36

कर्नाटक में कांग्रेस क्या हारी। सबको कांग्रेस की फिक्र पड़ गई। अपन दिनभर एक चैनल पर रहे। बार-बार यही सवाल दागा गया-'अब कांग्रेस का क्या होगा। कांग्रेस को क्या करना चाहिए'। मीडिया कांग्रेस की हालत पर दुबला हो चला है। पर अपन उन लोगों में नहीं। जो देश से ज्यादा कांग्रेस की फिक्र करे। कांग्रेस ने परिवारवाद अपनाकर खुद अपनी जड़ों में मटठा डाला। अपन उन लोगों में भी नहीं। जो कांग्रेस के लिए नेहरु-गांधी परिवार को जरूरी समझें। सोनिया के बिना भी नरसिंह राव 145 सीटे लाए थे। सोनिया के बिना भी सीताराम केसरी 141 सीटें लाए थे।

तो मनमोहन ने पैदा की यूरेनियम की फर्जी कमी

Publsihed: 23.May.2008, 20:44

यों कहावत तो है- जख्मी शेर ज्यादा हमलावर हो जाता है। पर अपन दुविधा में। शिवराज पाटिल को शेर कहें कैसे? पर चारों तरफ से घिरे पाटिल अब ज्यादा हमलावर। सो बांग्लादेशियों के मुद्दे पर बेनकाब हुए पाटिल अब गुर्जरों के मुद्दे पर हमलावर हों। तो अपन को हैरानी नहीं होगी। बांग्लादेशियों के मुद्दे पर उनने वसुंधरा से खार खा ली। सो अब वसुंधरा केंद्र से नए हमले का इंतजार करें। जब तक पाटिल-वसुंधरा का नया वाकयुध्द हो। तब तक अपन बात करें पाटिल के अफजल वाले बयान की। जिस पर देश में बवाल मचा। पर पाटिल बचाव में नहीं उतरे।

आतंकियों-घुसपैठियों की पीठ पर देश का गृहमंत्री

Publsihed: 22.May.2008, 20:41

जब बाड ही खेत को खाने लगे। तो खेत का खुदा ही रखवाला। गृहमंत्री शिवराज पाटिल पर यह कहावत एकदम फिट। देश को ऐसा गृहमंत्री न पहले कभी मिला। न आगे कभी मिलना। सोनिया गांधी को ऐसे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री पर फख्र। जिनका न कोई राजनीतिक आधार। न जमीनी आधार। अपन तो पाटिल के बयान पर हैरान हुए। जब वह वसुंधरा राजे पर भड़कते हुए बोले- 'यह राजशाही नहीं। लोकतंत्र है।' जी हां, इसीलिए लातूर में हारकर वह देश के गृहमंत्री हो गए। इसीलिए दक्षिण दिल्ली में हारकर मनमोहन देश के पीएम हो गए। इसी लोकतंत्र की बात कर रहे हैं पाटिल। वसुंधरा को बता रहे हैं- 'यह राजशाही नहीं।' जो जनता के वोट से जीतकर सीएम बनी। जिसे किसी सोनिया ने नोमिनेट नहीं किया।

पीएम का जश्न, महंगाई और जयपुर का मातम

Publsihed: 21.May.2008, 20:59

यों तो जयपुर की आतंकी वारदात का आज दसवां दिन। अपने यहां तेरहवीं से पहले मातम मनाने की संस्कृति। मार्च 2006 को आतंकियों ने बनारस के मंदिरों में बम फोड़े। तो सोनिया गांधी ने होली नहीं मनाई थी। वाजपेयी, जो होली के शौकीन। उनने भी होली नहीं मनाई। सो अब तेरहवीं से पहले मनमोहन का डिनर अजीब-ओ-गरीब। बनारस में सिर्फ 28 लोग मरे थे। जयपुर में 66 लोग मर चुके। मनमोहन सालाना रिपोर्ट कार्ड जारी करते। डिनर न रखते। तो संस्कृति भी बची रहती। आतंकवाद के खिलाफ गंभीरता भी दिखती। बीजेपी को भी जनता की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए।

आतंकवाद के माहौल में सालगिरह का जश्न

Publsihed: 21.May.2008, 06:59

आडवाणी कर्नाटक की भागदौड़ से लौटे। तो हरकिशन सुरजीत का हालचाल पूछने गए। मनमोहन की सरकार बनवाने में अहम भूमिका थी सुरजीत की। सो मनमोहन इतवार को ही अस्पताल हो आए। मनमोहन के साथ सुरजीत कभी संसद में नहीं रहे। पर आडवाणी-सुरजीत एक ही वक्त राज्यसभा में थे। आडवाणी-सुरजीत ने तब भी इकट्ठे काम किया। जब बीजेपी-सीपीएम ने वीपी सरकार को समर्थन दिया। सो आडवाणी ने येचुरी को फोन किया। तो पुराने किस्से याद किए। वैसे अभी ऐसा वक्त नहीं आया था। वाहे-गुरु सुरजीत को चंगा भला करें। जैसे चंगे-भले होकर करुणानिधि अस्पताल से लौटे। सुरजीत का हालचाल पूछ अपने मनमोहन तो चुनावी तैयारियों में जुट गए। कल सरकार की चौथी सालगिरह। इसे अपन चौथा तो नहीं कह सकते।

तुम्हारी कमीज पर मेरी कमीज से ज्यादा धब्बे

Publsihed: 19.May.2008, 20:41

जयपुर के धमाकों ने राजनीति तेज कर दी। कांग्रेस-बीजेपी में एक-दूजे को कटघरे में खड़ा करने की होड़। आतंकवाद पर कांग्रेस का रिकार्ड अच्छा नहीं। तो उसने भाजपा का रिकार्ड याद कराने का तरीका अपनाया। कांग्रेस अपने रिकार्ड पर बात करने को तैयार नहीं। अरुण जेटली ने इतवार को मनमोहन सिंह की बखिया उधेड़ी। तो कांग्रेस जल-भुन गई। जेटली की बाकी बातें बाद में। पहले फेडरल एजेंसी की बात। अपन ने यह बात पंद्रह मई को ही लिख दी थी। जब अपन ने लिखा- 'पोटा हटाकर फेडरल एजेंसी की वकालत।' तो अपन ने उस दिन खुलासा किया- 'फेडरल एजेंसी का आइडिया छह साल पहले आडवाणी का था। तब कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने विरोध किया।' यही बात पांच दिन बाद जेटली ने याद कराई।

कांग्रेस बांग्लादेशियों के भरोसे असम जीत चुकी

Publsihed: 16.May.2008, 20:41

कांग्रेस शुक्रवार को भी वसुंधरा पर भड़की हुई थी। अबके भड़ास अपने शकील अख्तर ने निकाली। बोले - 'बीजेपी और बीएसपी सोनिया और राहुल से डरे हुए हैं।' सोनिया तो चलो जयपुर गई। जिस पर वसुंधरा भड़की। पर राहुल बाबा बीच में कहां से आ गए। अपन को समझ नहीं आया। असल में कांग्रेसियों को राहुल बाबा पर ज्यादा ही भरोसा। इसलिए बाकी किसी महामंत्री का नाम तक नहीं लेते। पर अपन बात कर रहे थे वसुंधरा के खिलाफ निकली भड़ास की। मनीष तिवारी गुरुवार को ही अपनी भड़ास निकाल चुके थे। अब रह गए अभिषेक मनु और जयंती नटराजन।

वोट बैंक की जमहूरियत में इंसानियत हुई स्वाहा:

Publsihed: 15.May.2008, 20:41

अपन को चुनाव करना होगा। इंसानियत और जमहूरियत में से किसे चुनें। शायद ही कोई ऐसा शख्स मिले। जो इंसानियत पर जमहूरियत को तरजीह दे। इकसठ साल पहले अपन को आजादी मिली। तो अपन ने जमहूरियत को खुद अपनाया था। पर अब जब जमहूरियत ही इंसानियत में आड़े आए। तो क्या अपन को सोचना नहीं चाहिए? अपन ऐसी जमहूरियत का क्या करेंगे? जिसमें इंसानियत ही न बचे। अब तो जमहूरियत ने इंसानियत पर ही हमला बोल दिया। सोचो, जमहूरियत में वोटों का लालच न होता। तो बांग्लादेशी निकाल बाहर न किए जाते। बांग्लादेशी घुसपैठिए कब वोटर बन गए। अपन को पता ही नहीं चला। पता तब चला, जब अपनी जमहूरियत घुसपैठियों ने लूट ली। अब आजादी लूटने पर भी आमादा।

पोटा हटाकर फैडरल एजेंसी की वकालत

Publsihed: 14.May.2008, 20:41

अपनी आशंका सही ही निकली। घुसपैठ-धमाकों के तार पाकिस्तानी सियासत से ही जुड़े हैं। अपन ने कल सांभा सेक्टर में घुसपैठ का जिक्र किया। जिस पर एंटनी ने पाक फौज पर ऊंगली उठाई। घुसपैठ और विस्फोट के बाद बुधवार को तंगधार सेक्टर में गोलाबारी हुई। पाकिस्तान ने दूसरी बार सीज फायर का उल्लंघन किया। पाकिस्तानी फौज-आतंकवादियों का रिश्ता छुपा नहीं। यह कारगिल के वक्त भी साबित हुआ। जयपुर के विस्फोटों की जांच की सुई भी लश्कर-हूजी की ओर। लश्कर पाकिस्तानी आतंकी संगठन। तो हूजी आईएसआई का बांग्लादेशी आतंकी मॉडल। गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल जयपुर से लौटकर बोले- 'वारदात के पीछे सीमा पार की ताकतें।' पर जायसवाल के अलावा कोई पाक पर ऊंगली उठाने से बचा। शिवशंकर मेनन को ही लो। पूछा तो बोले- 'अभी किसी पर ऊंगली उठाना ठीक नहीं।' यह है आतंकवाद से लड़ने की भूल-भुलैया।