कांग्रेस शुक्रवार को भी वसुंधरा पर भड़की हुई थी। अबके भड़ास अपने शकील अख्तर ने निकाली। बोले - 'बीजेपी और बीएसपी सोनिया और राहुल से डरे हुए हैं।' सोनिया तो चलो जयपुर गई। जिस पर वसुंधरा भड़की। पर राहुल बाबा बीच में कहां से आ गए। अपन को समझ नहीं आया। असल में कांग्रेसियों को राहुल बाबा पर ज्यादा ही भरोसा। इसलिए बाकी किसी महामंत्री का नाम तक नहीं लेते। पर अपन बात कर रहे थे वसुंधरा के खिलाफ निकली भड़ास की। मनीष तिवारी गुरुवार को ही अपनी भड़ास निकाल चुके थे। अब रह गए अभिषेक मनु और जयंती नटराजन।
आज नहीं तो कल उनकी बारी। कोई सोनिया-राहुल के खिलाफ बोले। तो कांग्रेसी आपे से बाहर हो जाते हैं। कांग्रेस इस बार आतंकवाद और महंगाई के दोहरे जाल में फंस गई। इधर महंगाई थमने का नाम नहीं ले रही। उधर जयपुर के बम धमाकों का ठीकरा भी यूपीए की नीतियों पर फूटने लगा। शुक्रवार को आतंकवाद के साथ महंगाई का मुद्दा भी जुड़ा। जब मुद्रास्फीति बढ़कर 7.83 हो गई। तो शिवराज पाटिल की राह पर चले अपने चिदंबरम भी। पाटिल ने वही पुराना राग अलापा- 'आतंकवाद के खिलाफ हर कीमत पर लड़ेंगे।' तो चिदंबरम ने भी वही पुराना बयान दोहराया- 'महंगाई जल्द काबू में आ जाएगी। जरा धीरज रखिए।' पर सबसे आगे निकले अपने शकील अख्तर। चौबीस अकबर रोड के चबूतरे से बोले- 'हमारे पास महंगाई रोकने के लिए जादू की कोई छड़ी नहीं। पर आतंकवाद हो या महंगाई, जीतेंगे हमीं।' शकील अख्तर का इशारा कर्नाटक की ओर था। कर्नाटक में दूसरे दौर के चुनाव भी निपट गए। अब तीसरा दौर ही बाकी। अपन एक्जिट पोलों पर भरोसा नहीं करते। गुजरात, यूपी, हिमाचल, उत्तराखंड में एक्जिट पोलों की पोल खुल चुकी। पर अबके बीजेपी वालों के लिए कूदने वाले एक्जिट पोल। एक्जिट पोलों में बीजेपी आगे। अपने एक्जिट पोलों पर भरोसा न करने का अलग कारण। अपन एक्जिट पोल करने वालों के चेहरों से अच्छी तरह वाकिफ। पर कांग्रेस का भरोसा न होने का दूसरा कारण। एक्जिट पोल कांग्रेस के हक में होते। तो भरोसा करते। बात कांग्रेस की चल निकली है। तो बताते जाएं- इस बार भी लंगड़ी विधानसभा होगी। देखना बस यही है- कांग्रेस पहले नंबर पर या बीजेपी। अपन को बीजेपी के पहले नंबर आने का भरोसा। पर अपने मित्र बीएस अरुण की राय अलग। उनकी दलीलें भी वजनदार। बोले- 'पिछली बार वाजपेयी का करिश्मा था। बंगारप्पा भी साथ थे। अब तो दोनों नहीं। सो बीजेपी 89 से आगे नहीं जानी।' जहां तक बात बंगारप्पा की। तो वह हमेशा जीतने का रिकार्ड टूटने के लिए तैयार रहें। पर बात कांग्रेस के दावे की। जो शकील अख्तर ने शुक्रवार को ताल ठोककर किया। जब बोले- 'महंगाई हो या आतंकवाद, जीतेंगे हमीं।' महंगाई से कांग्रेस को कैसे फायदा होगा। यह पहेली अपन नहीं बूझ पाए। आतंकवाद से फायदे की बात अपन को तब ठनकी। जब अपन ने राजस्थान में बांग्लादेशियों के खिलाफ मुहिम की खबर सुनी। अपन को डर सताने लगा। कहीं अशोक गहलोत बांग्लादेशियों की मदद पर न उतर आएं। कांग्रेस असम में बांग्लादेशियों की सियासत कर चुनाव जीत चुकी। पाटिल से लेकर सोनिया तक। अभी कोई भी बांग्लादेशियों के खिलाफ नहीं बोला। सो अपना डर खाम-ख्याली नहीं। अपन बांग्लादेशियों का चुनावी फायदा न जानते होते। तो यह शक जाहिर न करते। कांग्रेस को अपना चुनावी गणित आतंकवाद में भी दिखे। तो अपन को हैरानी नहीं होगी। कांग्रेस असम में बांग्लादेशियों को वोट बैंक बना चुकी। तो पंजाब में आतंकवाद को आजमा चुकी।
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