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Exclusive Articles written by Ajay Setia

चुनावी अटकलों में मां मंदिर में, बेटा लंदन में

Publsihed: 19.Jun.2008, 20:39

मेल-मुलाकातें तो ऐसे शुरू हो गई। जैसे चुनाव आए कि आए। लेफ्ट ने अपना एजेंडा साफ कर दिया। अमेरिका से एटमी करार नहीं होने देंगे। प्रकाश करात-एबी वर्धन दिल्ली छोड़ गए। करात अपनी जन्मभूमि केरल गए। वर्धन रायपुर। लेफ्ट की दिल्ली सीताराम येचुरी के हवाले रही। येचुरी की बात चली। तो अपन को याद आया। बजट सत्र के वक्त अपन ने पूछा। तो आन रिकार्ड बोले थे- 'आईएईए से सेफगार्ड करार का ड्राफ्ट नहीं मांगेंगे। मांगना भी नहीं चाहिए। सरकार देगी भी नहीं, देना भी नहीं चाहिए।' पर अब ड्राफ्ट की मांग पर टकराव की खबर।

आई एटमी करार के आर-पार की घड़ी

Publsihed: 19.Jun.2008, 04:51

अपन बिना लाग-लपेट फिर से बता दें। अपन ऐसे एटमी करार के कतई हिमायती नहीं। जो अपन को एटमी ताकत बनने से रोके। मनमोहन की दिलचस्पी अपन को एटमी ताकत बनाए रखने की नहीं। अलबत्ता अमेरिका से एटमी ईंधन करार की। अपने हाथ भले बंध जाएं। पर अमेरिका के न्यूक्लियर रिएक्टर बिकने चाहिए। अमेरिका का एटमी ईंधन आना चाहिए। फिर भले ही चोर दरवाजे से एनपीटी अपन पर लागू हो जाए। इंदिरा-वाजपेयी ने दुनिया का मुकाबला किया। तब जाकर अपन को एटमी ताकत बनाया।

तो रूस का पूरा दबाव डाल दिया लेफ्ट पर

Publsihed: 17.Jun.2008, 20:39

अपन को जून पहले से फैसलाकुन लगता था। जो अपन गाहे-ब-गाहे लिखते रहे। जून में आईएईए से करार न हुआ। तो अमेरिकी कांग्रेस की मियाद भी खत्म। बुश के रहते तो एटमी करार की भैंस गई पानी में। सो मनमोहन सिंह की धुकधुकी बढ़ गई। सरकार हो या कांग्रेस। मुसीबत की घड़ी आए। तो कुंडी खटकती है प्रणव दा की। महिला आरक्षण पर मुश्किल में फंसे। तो प्रणव दा हल निकालें। एटमी करार की घुंडी फंसे। तो प्रणव दा घुंडी निकालें। अपन एटमी करार पर तो बात करेंगे ही। पहले महिला आरक्षण की बात।

तो मोदी पर देशद्रोह का मुकदमा ठोकेगा केंद्र

Publsihed: 17.Jun.2008, 05:58

नरेंद्र मोदी से फिर उलझ गई कांग्रेस। गांवों में एक कहावत है- 'मोटे-तगड़े आदमी से बार-बार मार खा रहा एक बंदा हार मानने को तैयार नहीं था। जरा सा संभलता, तो चुनौती देकर कहता- अब के मार। इस पर मोटा तगड़ा आदमी एक झापड़ और देता। मार खाने वाला संभलकर फिर कहता- अबके मार।' गुजरात से बार-बार मार खा रही कांग्रेस का यही हाल। वह हर बार मोदी से कहती है- अबके मार। अपने मनीष तिवारी जिस तरह मोदी से भिड़ गए। अपन को तिवारी के लिए इससे बढ़िया कहावत और नहीं मिली। सबसे पहले तो अपन मोदी का वड़ोदरा वाला दस जून का भाषण बताएं।

आज मैं ऊपर आम आदमी नीचे

Publsihed: 14.Jun.2008, 05:50

आपने आज खबर पढ़ ली होगी। मनमोहन की महंगाई रिकार्ड तोड़ गई। अपन ने यह भविष्यवाणी पिछले हफ्ते पांच जून को की थी। जब अपन ने लिखा- 'मनमोहन महंगाई का अपना रिकार्ड तोड़ेंगे।' तब अपन ने मनमोहन के 1995 वाले रिकार्ड की बात की। जो नौ फीसदी मुद्रास्फीति का था। यों तो शुक्रवार को वह रिकार्ड टूट गया। पर सरकार नहीं मानी। असल में सरकार का इरादा अपन को शुगर कोटेट कुनीन खिलाने का। सो 31 मई के असली आंकड़े दो महीने बाद पता चलेंगे। जो सवा नौ फीसदी से ऊपर होंगे। पर सरकार कितना छुपाएगी। किसी ने हजामत कराते समय नाई से पूछा- 'मेरे सिर पर कितने बाल?'

तो शिक्षा के अधिकार का दुरुस्त होगा कानून

Publsihed: 12.Jun.2008, 20:39

सामाजिक सरोकार पर बाकी मीडिया इतना गंभीर नहीं। जितना अपन। सो मीडिया की बेरुखी पर सेमीनार हुआ। तो अपन सोशल वर्करों की खरी-खरी सुनकर आए। मौका था- 'बाल मजदूरी और शिक्षा पर दक्षिण एशिया सम्मेलन का।' यों तो बारह जून बाल मजदूरी के खिलाफ दिन था। जो दुनियाभर में मनाया गया। कैलाश सत्यार्थी के ग्लोबल मार्च ने तीन दिन का सम्मेलन रखा। तो उसमें एक सेशन मीडिया की बेरुखी पर भी हुआ। दिल्ली के कई खबरची मौजूद थे। कई अखबारों के ब्यूरो चीफ और राजनीतिक संपादक। सोशल वर्करों ने अपना गुस्सा उतारा।

अफजल की ढाल बन जाल में फंसी कांग्रेस

Publsihed: 11.Jun.2008, 20:37

कांग्रेस-बीजेपी में गाली-गलौज तेज हो गया। अपन को चुनाव की आहट सुनाई देने लगी। यों भी जून का महीना मनमोहन सिंह पर भारी। पर बात वेंकैया नायडू और मनीष तिवारी के तीखे तेवरों की। वेंकैया ने कर्नाटक में फर्टिलाइजर की कमी का ठीकरा केंद्र के सिर फोड़ा। फर्टिलाइजर की कमी ने कर्नाटक में गोली चलवा दी। एक किसान मारा गया। बुधवार को अपने येदुरप्पा मौके पर गए। उनने जो बात बेंगलुरु में कही। वही वेंकैया दिल्ली में बोले। येदुरप्पा ने कहा- 'फर्टिलाइजर की कमी के लिए गवर्नर राज जिम्मेदार। गवर्नर राज में बंदोबस्त नहीं हुए।

माया-मुलायम खिचड़ी न पकी, न पकेगी

Publsihed: 10.Jun.2008, 20:37

यूपी में है दम। जुर्म यहां है कम। अमिताभ बच्चन का यह नारा चुनाव में खूब चला। पर अमिताभ का यह नारा जमीनी हकीकत से दूर था। सो मुलायम सिंह निपट गए। अपन असल बात कहें। तो मुलायम सिंह मंत्रियों-विधायकों की गुंडागर्दी से ही निपटे। पर मंत्रियों-विधायकों के मुंह में खून लग जाए। तो सपा क्या, बसपा क्या। सो अब मायावती भी उसी रोग की शिकार। पर माया-मुलायम में एक फर्क। मुलायम अपनों के मददगार थे। भले ही वे जुर्म करके आ जाएं। पर मायावती इस मामले में मुलायम के उलट। क्रप्शन के लिए रोकती नहीं। जुर्म करने पर छोड़ती नहीं।

अफजल के इंटरव्यू से कांग्रेस की बोलती बंद

Publsihed: 09.Jun.2008, 20:35

अपने शिवराज पाटिल अब दोहरी मुसीबत में। अफजल की पैरवी पर बीजेपी हमलावर थी ही। हरियाणा में बेटे-बहू के नाम पर धंधे का राज भी खुल गया। मंत्री सत्ता का कैसे दुरुपयोग करते हैं। यह उसकी जीती जागती मिसाल। हरियाणा में सरकार अपनी। सो कांग्रेसी मंत्रियों को खुल खेलने की छूट। केंद्र के गृहमंत्री होकर बहती गंगा में हाथ न धोएं। तो लोग क्या कहेंगे। पर अपन आज भ्रष्टाचार की इस बहती गंगा की बात नहीं कर रहे। अलबत्ता पाटिल के उस बयान की परतें उधेड़ेंगे। जिसमें उनने अफजल-सरबजीत की बराबरी की।

परिवारवाद की राजनीति और परिवार में राजनीति

Publsihed: 06.Jun.2008, 20:39

अपने राजस्थान में भरतपुर के पति-पत्नी की राजनीति। तो मध्यप्रदेश में भूरिया बाप-बेटी की राजनीति चर्चा में। अपने शिवराज सिंह चौहान ने निर्मला भूरिया को मंत्री बनाया। तो अपनी आंखों के सामने मध्यप्रदेश की खेमेबाजी लौट आई। एक जमाना था। जब मध्यप्रदेश की राजनीति अर्जुन- विद्या भैया खेमों में थी। माधव राव सिंधिया की तब छोटी सी अपनी राजनीतिक दुकान थी। जो ग्वालियर -गुणा से आगे कभी नहीं बढ़ी। तब अर्जुन के सारथी थे दिग्गी-जोगी-सुभाष यादव। विद्या भैया के साथ बड़े भाई श्यामा चरण तो थे ही। साथ थे परसराम भारद्वाज-राधाकृष्ण मालवीय।