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राष्ट्रपति भवन में सरसंघ चालक के जाने का मतलब

Publsihed: 18.Jun.2017, 17:39

अजय सेतिया / राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन और राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ की दूरी खत्म करने का रिकार्ड बनाया है | प्रणव मुखर्जी देश के पहले राष्ट्रपति बन गए हैं जिन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति भवन में भोज पर आमंत्रित किया | वैसे मोहन भागवत पहले भी दो बार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिल चुके हैं | यानी ये इन नेताओं की पहली मुलाकात नहीं थी |  

शौ-बिज में बच्चो से काम करवाने का भी बना क़ानून-कायदा 

Publsihed: 14.Jun.2017, 13:10

अजय सेतिया / टेलीवीजन की दुनिया ने व्यस्क, अवयस्क तो क्या बच्चों की भी जीवन शैली बदल दी है | जब से टेलीवीजन की दुनिया ने बच्चो में छिपे कलाकार की खोज करना शुरू किया है, तब से तो बच्चो का दिन रात का चैन गायब होता जा रहा है | उब की ज्यादा दिलचस्पी उन विषयों की तरह हो गई है, जिन के माध्यम से टेलीवीजन के मुकाबलों में हिस्सा लिया जा सकता है | बच्चों का ध्यान पढाई से हट कर टीवी आर्टिस्ट बनने की ओर आकर्षित हुआ है | बड़ी तादाद में बच्चे कलाकार बनने के लिए टीवी मुकाबलों में हिस्सा ले रहे हैं , जिस की ट्रेनिंग और रिहर्सल में उन से दिन-रात मेहनत करवाई जाती है, अनेक बच्चों की पढाई तक छू

बाल श्रम पर आधे-अधूरे मन से रोक 

Publsihed: 13.Jun.2017, 12:41

अजय सेतिया / भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने 2016 में बाल श्रम रोकने के लिए बने नए क़ानून की नियमावली जारी कर दी है | साल भर पहले जब क़ानून पास होने की प्रक्रिया चल रही थी, तब बच्चों के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ के साथ श्रम मंत्री की एक बैठक हुई थी | इस बैठक से पहले बिल संसद में पेश हो चुका था, इस बिल पर कार्यकर्ताओं को दो बड़ी आपत्तियां थीं, पहली यह कि जब किशोर न्याय अधिनियम में बच्चे की आयु 18 वर्ष तय की गई है, तो नए क़ानून में सिर्फ 14 वर्ष की आयु तक के बच्चे को बाल श्रम निषेध के कानूनी दायरे में क्यों रखा जा रहा | दूसरी आपत्ति यह थी कि बच्चो को अपने पारिवारिक कार्य में

बेचारा कर्जदार किसान क्या करे 

Publsihed: 09.Jun.2017, 08:41

अजय सेतिया / मोदी सरकार के तीन साल पूरे हुए तो 26 मई को लोकसभा टीवी पर घंटे भर की चर्चा थी | तीन पत्रकारों को बुलाया हुआ था , चर्चा के आखिर में एंकर ने आख़िरी वाक्य बोलने को कहा | संयोग से आखिर में मुझे बोलने को कहा गया था | मैंने पांच मुद्दों की शिनाख्त की थी और  कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बाकी के दो साल में इन पांच मुद्दों से निपटना होगा | अगले दिन 27 मई को इन्हीं पांच मुद्दों पर मेरा लेख नवज्योति में भी छपा था | ये पांच मुद्दे हैं  किसान, बेरोजगारी,कश्मीर,आतंकवाद और नक्सलवाद | बाद में अपने एक लेख में मैंने आतंकवाद और नक्सलवाद के चीर स्थाई मुद्दों को

अब न्यायमूर्ति भी बन गए रवीश कुमार 

Publsihed: 06.Jun.2017, 06:25

कभी वे पत्रकार थे। रिपोर्टर थे, तो गांव-गांव घूम कर बेहतरीन रिपोर्टिंग करते दिखते थे। फिर उन्होंने चोला बदला, लेकिन अंदाज़ वही रहा अर्थात देहाती लहज़े वाला सूट-बूट धारी एंकर। फिर यकायक वे अपने मीडिया हाउस के कर्मचारी से 'गोदी कर्मचारी' में तब्दील हो गए, तो चर्चा में भी आ गए। उन्हें ख़ुद लम्बे-लम्बे ख़त लिखने का भारी शौक है, लेकिन कोई उनके पत्र का उत्तर दे दे, तो पेट में ऎसी मरोड़ उठती है कि वे उसे चम्पू और सत्ता का दलाल कहने लगते हैं। अर्थात अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देशभर में सिर्फ़ उन्हें है। किसी अन्य को नहीं है। अब वे बिना जांच हुए, बिना मुक़दमा फ़ैसला भी सुनाने लगे हैं यानी अब वे न्यायमूर्ति भी

अक्सर नंगा सच बोल जाते हैं ट्रम्प

Publsihed: 04.Jun.2017, 10:34

दीपक शर्मा / जिस देश में ‘समृद्ध’ नेताओं की कमाई सरकारी दलाली पर निर्भर हो, जहाँ नौकरशाह रिश्वतखोर  और उद्योगपति कर-चोर हों, उस देश के बारे में अगर डोनाल्ड ट्रम्प ये कहें कि भारत अरबों डालरों के दान और ग्रांट का भूखा है तो बुरा तो बहुत लगता है...लेकिन ट्रम्प की बात गलत नही है. 

निराशा को आशा में बदलना होगा मोदी को 

Publsihed: 27.May.2017, 15:11

मोदी के तीन साल-2 / अजय सेतिया/ पांच महत्वपूर्ण विषय हैं ,जिन पर देश की जनता मोदी सरकार से नतीजे चाहती है | इन पाँचों विषयों पर जनता अभी तक के मोदी सरकार के काम काज से अपेक्षाकृत संतुष्ट नहीं है | सब से पहला मुद्दा रोजगार का है , दूसरा मुद्दा भ्रष्टाचार का है, तीसरा मुद्दा पाकिस्तान सीमा पर तनाव और कश्मीर , चौथा मुद्दा नक्सलवाद का है और पांचवां किसानों की बाद से बदतर होती जिन्दगी का है | हाल ही में जिस बड़े सर्वेक्षण संस्थान ने मोदी सरकार के तीन सालों का सर्वेक्षण किया , उस के अनुसार 25 प्रतिशत लोग मानते हैं कि रोजगार पैदा करने में सफल नहीं हुए, 20 प्रतिशत लोग मानते हैं मोदी भ्रष्टाचार के मु

निराशा को आशा में बदल दिया मोदी ने 

Publsihed: 26.May.2017, 09:26

मोदी के तीन साल-1 /अजय सेतिया/ अंग्रेजी के एक बड़े समाचार पत्र ने मोदी सरकार के तीन साल पर जन सर्वेक्षण करवाया  है | इस सर्वेक्षण का लब्बोलुबाब यह है कि देश की जनता के सिर पर मोदी का जादू अभी चढ़ा हुआ है | सर्वेक्षण का नतीजा यह कि अगर अभी चुनाव् हो जाए तो 61 प्रतिशत  लोगों का मानना है कि भाजपा की सीटें बढेंगी, 23 प्रतिशत का मानना है कि भाजपा की इतनी ही सीटें बनी रहेंगी | सिर्फ 16 प्रतिशत लोगों का मानना है कि भाजपा की सीटें घटेंगी | यानि समूचा विपक्ष कुल मिला कर 16 प्रतिशत पर आ कर खडा हो गया है | यह हालत 2014 के चुनाव से पहले नहीं थी | तब ज्यादातर सर्वेक्षण भाजपा को 200 सीटों से

जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद बदल जाएंगे रिश्ते

Publsihed: 25.May.2017, 21:43

(इकनॉमिक टाइम्स से साभार) नई दिल्ली | छोटे व्यवसाय भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। ये देश की अर्थव्यव्स्था और औद्योगिक विकास को गति देकर नौकरियां पैदा करते हैं। हालांकि, देश में बहुत से व्यवसाय नियमित रूप से रिटर्न फाइल नहीं करते और न ही टैक्स अदा करते हैं। इसकी कुछ वजहें हो सकती हैं। मसलन, जानकारी का अभाव, परिस्थितिजन्य परेशानियां या कारोबारियों की यह धारणा कि आकार, संचालन और कमाई के लिहाज से उनका बिजनस बहुत छोटा है, इसलिए डेडलाइन मिस भी हो जाए तो चलता है। यही वजह है कि उन्हें टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस भेजकर टैक्स पेमेंट, इंट्रेस्ट, लेट फी और पेनल्टीज की मांग करता

पाकिस्तान को कटघरे में खडा करने की सफलता 

Publsihed: 18.May.2017, 21:08

अजय सेतिया / पाकिस्तान में इस तरह की आवाजें भी उठ रही है कि अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट का कोई  फैसला बाध्यकारी नहीं है | पाकिस्तान अगर अपनी पुरानी  फितरत दिखाते हुए कुलभूषण जाधव को सरबजीत की तरह मारने की कोई  चाल चलेगा तो अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट  के फैसले का उलंघन संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद का मामला बनता है |