निराशा को आशा में बदल दिया मोदी ने 

Publsihed: 26.May.2017, 09:26

मोदी के तीन साल-1 /अजय सेतिया/ अंग्रेजी के एक बड़े समाचार पत्र ने मोदी सरकार के तीन साल पर जन सर्वेक्षण करवाया  है | इस सर्वेक्षण का लब्बोलुबाब यह है कि देश की जनता के सिर पर मोदी का जादू अभी चढ़ा हुआ है | सर्वेक्षण का नतीजा यह कि अगर अभी चुनाव् हो जाए तो 61 प्रतिशत  लोगों का मानना है कि भाजपा की सीटें बढेंगी, 23 प्रतिशत का मानना है कि भाजपा की इतनी ही सीटें बनी रहेंगी | सिर्फ 16 प्रतिशत लोगों का मानना है कि भाजपा की सीटें घटेंगी | यानि समूचा विपक्ष कुल मिला कर 16 प्रतिशत पर आ कर खडा हो गया है | यह हालत 2014 के चुनाव से पहले नहीं थी | तब ज्यादातर सर्वेक्षण भाजपा को 200 सीटों से कम पर ही खडा पा रहे थे | जब कि अब तीन साल तक सरकार चलने के बाद अगर 61 प्रतिशत लोग भाजपा की सीटें बढ़ने की बात करते हैं तो इस का मतलब है कि लोग मोदी सरकार के काम से संतुष्ट हैं | 
अगर यूपीए सरकार के दस साल नहीं , तो कम से कम यूपीए-2 के पांच सालों ने देश को निराशा के सागर में डुबो दिया था | मोदी सरकार की उपलब्धियां भले ही उतनी ज्यादा न हों , लेकिन यह सरकार देश की जनता को निराशा के उस वातावरण से निकालने में सफल हुई है | राजनीति में भ्रष्टाचार के वातावरण ने देश की जनता में निराशा का माहौल बना दिया था | मोदी राजनीतिज्ञों के बारे में बनी उस निराशाजनक धारणा को तोड़ने और विशवास  पैदा करने में कामयाब हुए हैं | इस की सब से बड़ी वजह है मोदी का मूल मन्त्र- "न खाऊँगा,न खाने दूंगा |" मोदी के इस मन्त्र से अफसर और मंत्री पूरी तरह दहशत में हैं | भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोदी सरकार ने अपनी स्वच्छ छवि से देश की जनता को बेहद प्रभावित किया है | हालांकि प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने ब्यूरोक्रेसी को चुने हुए नुमाईन्दों  ( जिन में मंत्री भी थे ) से ज्यादा महत्व दे कर ब्यूरोक्रेसी के भंवर में फंसने से शुरुआत की थी, लेकिन जल्द ही उन्हें समझ आ गया कि ब्यूरोक्रेसी ही ज्यादातर समस्याओं की जड़ है , अब ब्यूरोक्रेसी पर शिकंजा कसा जा रहा है और देश भर में ब्यूरोक्रेसी पर छापे डाल कर उन का रिश्वत का काला धन उगलवाया जा रहा है | 
मोदी सरकार की जनधन योजना और उज्ज्वला योजना ने ग्रामीणों की जीवन स्तर को सुधारा है और उन की जिन्दगी को प्रभावित किया है | प्रधानमंत्री की अपील पर कुछ दिनों के भीतर ही एक करोड़ खाते खुल जाना कोई मामूली बात नहीं थी | प्रधानमंत्री की अपील पर लाखों लोगों की और से रसोई गैस की सब्सिडी छोड़ देने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था | जनधन के बाद उज्ज्वला योजना ने ग्रामीणों का जनजीवन सुधारा है | मोदी सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे डेढ़ करोड़ परिवारों को रसोई गैस उपलब्ध करवाई | अगले दो वर्षों में तीन करोड़ और परिवारों को धुंआ रहित रसोई उपलब्ध करवाई जाएगी , जिस से महिलाओं को कई असाध्य बीमाँरियों से मुक्ति मिलेगी | भाजपा की उत्तर प्रदेश में जीत का एक बड़ा कारण उज्ज्वला योजना को माना जा रहा, जिस ने गावों की महिलाओं को धुंए के नारकीय जीवन से मुक्ति दिलाई थी | 
मोदी सरकार के दो फ्लैगशिप प्रोग्रामों "स्वच्छ भारत" और "बेटी बचाओ, बेटी पढाओ" और नए जुड़े "जेनरिक मेडिसन" प्रोग्राम में देश की जनता पूरी तरह सहयोग दे रही है और उसे देश व समाज के हित में मानती है | पहले की सरकारें इस तरह की समस्याओं और सामाजिक बदलाव के कार्यक्रमों में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं लेती थी | हालांकि देश भर में सफाई कर्मचारियों और स्कूलों में अध्यापकों की कमी है | यह दोनों ही क्षेत्र राज्य सरकारों के हैं , लेकिन  केंद्र सरकार बड़े पैमाने पर सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति और प्राईमरी व मिडिल स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति में केंद्र सरकार की मैचिंग ग्रांट जैसी कोई योजना ला कर इस समस्या का हल निकाल सकती है | यह इस लिए भी जरुरी है क्योंकि केंद्र सरकार के क़ानून से आठवी तक शिक्षा अनिवार्य है | मोदी सरकार बनने के बाद टायलेट बनाने का सफलतापूर्ण अभियान चला, सरकारी सब्सिडी से लाखों नए टायलेट बनाए गए , लेकिन एनएसएसओ के सर्वे में पाया गया है कि 60 प्रतिशत टायलेट में पानी की व्यवस्था नहीं है | यह स्थिति दूर दराज के सरकारी स्कूलों की भी है | 
मोदी सरकार हेल्थ सेक्टर की तरफ काफी ध्यान दे रही है, हालांकि सरकारी हेल्थ सेंटरों में डाक्टरों और नर्सों के पद रिक्त पड़े हैं , जिस कारण मरीजों की देखभाल नहीं हो पाती | 2014-15 में डाक्टरों के 18000 पद रिक्त थे, जबकि अब 24000 पद रिक्त बताए जा रहे हैं | लेकिन सरकार ने गरीबो के लिए 12 रूपए में अकल्पनीय बीमा योजना शुरू की है और दवाईयों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए गए हैं , जैसे एंजियोप्लास्टी  में इस्तेमाल होने वाले स्टंट की कीमतें कई गुना घटा कर फिक्स कर दी गयी हैं | दवाईयों की बड़ी कम्पनियां दवाईयों की कीमतें वास्तविक कीमत से कहीं ज्यादा रखती है | कुछ कम्पनियों की कीमतें बहुत कम होती है, लेकिन डाक्टर उन दवाईयों का नाम नहीं लिखते, मोदी सरकार ने क़ानून जरुरी कर दिया है कि डाक्टरों को दवाई का केमिकल लिखना होगा, नहीं तो डाक्टरों को खामियाजा भुगतना पडेगा | इस के अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर में जेनरिक मेडिसन के केमिस्ट शाप खुलवाने शुरू किए हैं , जिस से मरीजों को बहुत ही कम कीमत पर दवाई मिल सके | 
व्यापार चलाने को आसान बनाने और इन्स्पेक्टर राज से मुक्ति व्यापारी वर्ग की सब से बड़ी अपेक्षा थी, इस क्षेत्र में मोदी सरकार को कुछ सफलता जरुर मिली है विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक़ भारत 2014 में 142 वे स्थान पर था , 2016 में 130वें स्थान पर आ गया है | वित्त मंत्री ने इस साल के बजट में सभी विभागों में सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने की बात कही थी, लेकिन दो-तीन विभागों को छोड़ कर बाकी विभागों में अभी तक शुरू नहीं हुआ है | भाजपा सरकार ने व्यापारियों की सहूलियत के लिए क्रेडिट गारंटी योजना शुरू की है , जिसे एक पोर्टल पर आवेदन कर के हासिंल किया जा सकता है  | साल 2015-16 में ही  5 लाख आवेदकों को गारंटी की मंजूरी हो चुकी थी , यह अब तक का सब से बड़ा आंकडा है और पिछले साल के मुकाबाले 28 प्रतिशत की रिकार्ड तोड़ बढौतरी है | नोटबंदी और जीएसटी मोदी सरकार के आर्थिक विकास को दिशा देने के दो महत्वपूर्ण कदम हैं | जीएसटी काले धन पर रोक लगाने और टेक्स चोरी रोकने में कारगर साबित होगी | जीएसटी को लागू करना इस साल की मोदी सरकार की सब से बड़ी उपलब्धि होगी , जिस से व्यापार करना काफी आसान हो जाएगा | टेक्स चोरी करीब करीब खत्म होगी और टेक्स वसूली बढ़ेगी |   
लेकिन जनता की अपेक्षाएं अभी और हैं, भले ही चुनाव में किए गए वायदे अभी 25 प्रतिशत भी पूरे नहीं हुए, लेकिन जनता को पूरा भरोसा है कि मोदी ही उन की आशाएं पूरी कर सकते हैं | प्रधानमंत्री ने राजनीतिक दलों के चंदे की पारदर्शिता के लिए ठोस कदम उठा कर अपनी ही पार्टी भाजपा को भी आश्चर्य चकित कर दिया , अब राजनीतिक दल दो हज़ार रूपए से ज्यादा नकद चन्दा नहीं ले सकेंगे | राजनीति के शुद्धीकरण के लिए अभी बहुत काम होना बाकी है | प्रधानमंत्री ने वायदा किया था कि अपराधियों को राजनीति से निकाल बाहर किया जाएगा | इस दिशा में सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है | फिलहाल तीन साल या उस से ज्यादा सजा होने पर चुनाव लड़ने से वंचित किए जाने का प्रावधान है | देश में यह बहस लम्बे समय से चल रही है कि इस प्रावधान में बदलाव किया जाए | कई तरह के विचार हैं , जिन पर आम सहमती बनाए जाने की जरुरत है , जैसे सजा की कोई सीमा नहीं रखी जानी चाहिए, कुछ लोगों का मत है कि मुकदमा दायर होते ही नेता को चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जाना चाहिए , जब कि कुछ लोगों का मत है कि जब कोर्ट चार्जशीट का संज्ञान ले तब उसे चुनाव से वंचित किया जाना चाहिए | राजनीति के शुद्धीकरण के लिए यह भी जरुरी है कि जो व्यक्ति चुनाव लड़ने से वंचित हो, वह किसी राजनीतिक दल का पदाधिकारी भी नहीं बन सके |  नरेंद्र मोदी के लिए यह काम आसान नहीं है, लेकिन उन्होंने आम सहमती बनाने के लिए अभी शुरुआत ही नहीं की है | 
पांच महत्वपूर्ण विषय हैं ,जिन पर देश की जनता मोदी सरकार से नतीजे चाहती है | इन पाँचों विषयों पर मोदी ने बहुत आशाएं जगाई हुई हैं | इन पाँचों विषयों पर जनता अभी तक के मोदी सरकार के काम काज से अपेक्षाकृत संतुष्ट नहीं है | कौन से हैं ये पांच विषय, इन पर कल चर्चा | 

 

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