दादागिरी पर भारी पडी अण्णागिरी
मनमोहन सिहं इतने भोले भी नही। आधुनिक गांधी अण्णा हजारे की बातें नहीं मानने की पूरी कोशिश की थी उनने। तीन दिन तक मनमोहन सिंह के नुमाइंदे कपिल सिब्बल संविधान की दुहाई देकर समझाने-बुझाने की कोशिश कर रहे थे। अण्णा के नुमाइंदे अरविद केजरीवाल को बता रहे थे जो निवाचित नही हुए, वे कानून बनाने वाली कमेटी में कैसे आएंगे। आएंगे भी, तो सरकारी नोटिफिकेशन कैसे होगा। कपिल सिब्बल के मन में धुकधुकी भी थी, किसी ने सोनिया गांधी की रहनुमाई वाली एनएसी पर सवाल उठाया तो क्या होगा। एनएसी मैंबर कौन से चुनकर आए हैं, सारे सरकारी बिलों की हरी झंडी पहले उन्हीं से लेती है सरकार। उनके नामों की नोटिफिकेशन कैसे की थी सरकार ने।