शौ-बिज में बच्चो से काम करवाने का भी बना क़ानून-कायदा 

Publsihed: 14.Jun.2017, 13:10

अजय सेतिया / टेलीवीजन की दुनिया ने व्यस्क, अवयस्क तो क्या बच्चों की भी जीवन शैली बदल दी है | जब से टेलीवीजन की दुनिया ने बच्चो में छिपे कलाकार की खोज करना शुरू किया है, तब से तो बच्चो का दिन रात का चैन गायब होता जा रहा है | उब की ज्यादा दिलचस्पी उन विषयों की तरह हो गई है, जिन के माध्यम से टेलीवीजन के मुकाबलों में हिस्सा लिया जा सकता है | बच्चों का ध्यान पढाई से हट कर टीवी आर्टिस्ट बनने की ओर आकर्षित हुआ है | बड़ी तादाद में बच्चे कलाकार बनने के लिए टीवी मुकाबलों में हिस्सा ले रहे हैं , जिस की ट्रेनिंग और रिहर्सल में उन से दिन-रात मेहनत करवाई जाती है, अनेक बच्चों की पढाई तक छूट रही है | असल बात यह है कि टेलीविजन की दुनिया ने उन का बचपन छीन कर उन्हें मजदूर बना दिया है | टेलीवीजन के रिएलटी शौ, क्विज शौ, प्रतिभा खोज शौ, रेडियो मुकाबलों और ड्रामा में हिस्सा लेने वाले कई बच्चों ने अपने इंटरव्यू में यह बात कबूल की है कि उन की नींद पूरी नहीं होती, उन्हें देर रात तक रिहर्सल करनी पड़ती है, उन्हें घर का खाना खाए हफ्तों हो जाते हैं , उन की पढाई छूट गई है, वे स्कूल में पूरा समय नहीं दे पाते | बच्चो के अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की लम्बे समय से मांग चल रही थी कि बच्चों के फिल्मों और टेलीवीजन में काम करने के नियम कायदे तय किए जाएं , ताकि बचपन में व्यवसाय का बोझ उन का बचपन न छीन सके |  
2016 में पास किए गए नए बाल श्रम निरोधक क़ानून की पिछले हफ्ते जारी नई नियमावली में यह एक अच्छी बात जोड़ी गई है कि बच्चा कलाकार के तौर पर काम कर सकता है, लेकिन दिन में ज्यादा से ज्यादा पांच घंटे और उस में भी तीन घंटे से ज्यादा  लगातार काम नहीं कर सकता, यानि तीन घंटे के बाद आराम का एक ब्रेक देना होगा |  जहां कहीं भी बच्चों से कलाकार के तौर पर काम करवाया जा रहा होगा , प्रोड्यूसर को वहां के मजिस्ट्रेट से पहले अनुमति लेनी होगी | इस सम्बन्ध में नियमावली के साथ एक फ़ार्म नत्थी किया गया है, जिसे प्रोड्यूसर को भर कर मजिस्ट्रेट को देना होगा, इस में माँ-बाप या गार्जियन की सहमती, अनुमति और उस शख्स का नाम होगा, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होगा | हर पांच बच्चो पर एक अलग व्यक्ति जिम्मेदार होगा | 
जिस फिल्म या टीवी प्रोग्राम में बच्चों का इस्तेमाल किया गया होगा, उस प्रोग्राम में स्पष्टीकरण दर्शाना होगा कि प्रोग्राम बनाते समय बच्चे का किसी तरह का शोषण नही किया गया | एक मैजिस्ट्रेट से एक क्षेत्र में प्राप्त अनुमति सिर्फ छह महीने के लिए मान्य होगी , प्रोड्यूसर को बच्चे की बिना बाधा शिक्षा, समय पर भोजन, आराम, नींद सब बातों का ध्यान रखना होगा | और बच्चे की ओर से कलाकार के तौर पर कमाए गए पैसे में से कम से कम 20 प्रतिशत राशि बच्चे के फिक्स्ड अकाऊंट में जमा करवानी होगी , जो किसी राष्ट्रुकृत बैंक में खोला जाएगा, यह राशि वह व्यस्क होने बाद ही इस्तेमाल कर सकेगा | प्रोड्यूसर की जिम्मेदारी होगी कि जब तक बच्चा उस की निगरानी में है वह बच्चे की शारीरिक और मानसिक सेहत का पूरा ध्यान रखेगा | उसे समय पर पोष्टिक भोजन उपलब्ध करवाना होगा , उस के रहने की व्यवस्था सुरक्षित, साफ़-सुथरी और सभी जरूरतों को पूरा करने वाली होनी चाहिए | बच्चों की पढाई न छूटे, इस के लिए नियमावली में यह विशेष व्यवस्था की गई है कि कोई भी बच्चा लगातार 27 दिन से ज्यादा काम नहीं करेगा | इसे सुनिश्चित करने के लिए नियमावली में यह व्यवस्था की गई है कि अगर कोई बच्चा बिना अनुमति के 30 दिन से ज्यादा स्कूल से गैरहाजिर रहता है तो यह स्कूल की जिम्मेदारी होगी कि वह सम्बंधित अधिकारी को अवगत करवाएगा |  
कई बार मां बाप किसी लालच या किसी के कहने पर अपने बच्चे को उस की इच्छा के खिलाफ इस तरह के आकर्षक कार्यों में धकेलने की कोशिश करते हैं, जिस से बच्चे का स्वाभाविक विकास रुक जाता है, इस लिए बाल श्रम रोकने के क़ानून की इस नियमावली में प्रावधान किया गया है कि किसी भी बच्चे को उस की बिना अनुमति और उस की इच्छा के खिलाफ किसी आडियो-वीडियो , मनोरंजन, खेलों, विज्ञापन आदि में काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा |  नियमावली में कहा गया है कि बच्चे से ऐसा कोई कोई काम नहीं लिया जा सकता, जिस से उसे थकावट होती हो | बच्चे को लगातार तीन घंटे से ज्यादा किसी भी हालत में काम में नही लगाए रखा जाएगा | उस से इस तरह का भी कोई काम नहीं लिया जाएगा, जिस से किसी अन्य क़ानून का उलंघन होता हो | काम करवाने वाले प्रोड्यूसर को इस बात का विशेष ध्यान देना होगा कि बच्चे का यौन शोषण न हो | 
(पूर्व अध्यक्ष , बाल अधिकार संरक्षण आयोग, उत्तराखंड )

 

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