इस लिए जरूरी है यूनिफार्म सिविल कोड

Publsihed: 19.Sep.2019, 14:23

अजय सेतिया / हिंदू मैरिज ऐक्ट के मुताबिक शादी के लिए लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की 21 साल है | चाइल्ड मैरिज प्रोहिब्शन ऐक्ट के मुताबिक भी 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी नहीं हो सकती | अगर यह शादी होती है, तो अमान्य होगी | पोक्सो क़ानून में 18 साल से कम आयु की लडकी के साथ शारीरिक सम्बन्धों को रेप माना गया है , भले ही वे सम्बन्ध सहमती से बने हों या असहमति से | भले ही वह बाल विवाह निरोधक क़ानून का उलंघन कर के उस की पत्नी बनी हो |

लटकाने की कोशिशें हुई नाकाम 

Publsihed: 18.Sep.2019, 12:30

अजय सेतिया / जब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भोले भले निर्मोही अखाड़े को अपनी चुपड़ी चुपड़ी बातों में फंसा कर अयोध्या मुद्दे पर फिर से बातचीत शुरू करने की संयुक्त चिठ्ठी लिखी तो अपने कान खड़े हुए थे | अपन को आशंका थी कि यह सुप्रीमकोर्ट में चल रही सुनवाई को ठप्प करने की नई साजिश है | सुप्रीमकोर्ट ने भी इस साजिश को समझा होगा , इसलिए उस ने दो-टूक कह दिया कि सुनवाई तो नहीं रुकेगी आप चाहें तो बातचीत जारी रखें | वैसे भी कोर्ट में गए पक्ष जब चाहे आपसी समझौता कर के कोर्ट के सामने आ सकते हैं , अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा बिना चिठ्ठी लिखे भी फैसले से पहले सब पक्षों को मान्य हल ले कर कोर्ट के सामने जा

कश्मीर के हालात पर ग्रांऊड जीरो रिपोर्ट

Publsihed: 17.Sep.2019, 22:02

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद अब जम्मू कश्मीर और लददाख बदलाव और उम्मीद की एक नई करवट ले रहा है।कश्मीर में आम आदमी की जिंदगी जहां आशा और आशंका में लिपटी हुई नजर आती है वहीं कश्मीर से अलग केंद्र शासित राज्य बनने को लेकर लददाख में आम आदमी खुलकर खुशी जताता मिलता हैं।घाटी में शांतिपूर्ण चुप्पी छाई है तो जम्मू में विकास की नई उम्मीद जागी है। इस सबके बीच कश्मीर में अलगवादियों और आतंकवादियों की ओर से बंदूक,पत्थरबाजी भड़काऊ पोस्टर—बयान और हरकतों से डर का वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही है। नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के नेतृत्व में विभिन्न मीडिया संस्थान

कश्मीर के सच को स्वीकारना होगा

Publsihed: 17.Sep.2019, 17:32

अजय सेतिया / विदेशी मीडिया की यह खबरें तो पूरी तरह गलत साबित हो रही हैं कि कश्मीर में मीडिया को आज़ादी नहीं | अगर ऐसा होता तो मीडिया कश्मीर की अंदरुनी खबरे इतनी बड़ी मात्रा में देता कैसे | भारत की तरफ से 370 हटाए जाने की खुलेआम मुखालफत करनी वाली ब्रिटिश वेबसाईट बीबीसी पर भी ऐसी अनेक खबरें भरी पड़ी हैं , जिन में वीडियो भी दिए गए हैं | अब दिल्ली के कई पत्रकार भी कश्मीर हो आए हैं , और अपने अपने नजरिए से जमीनी हकीकत की रिपोर्टिंग कर रहे हैं | नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट का एक प्रतिनिधिमंडल भी कश्मीर और लद्दाख हो कर लौटा है | वहां से लौट कर आए प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने बताया कि जम्मू कश्मीर के सभी

जनभावनाओं को समझे कांग्रेस 

Publsihed: 15.Sep.2019, 21:52

अजय सेतिया / यह अच्छी बात है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश कर रही है | अपना मानना रहा है कि यह सोनिया गांधी का राजनीतिक दांवपेच वाला विजन ही था कि उन्होंने 1998 में पचमढी शिविर में लिए गए “एकला चलों”  के निर्णय को बदल कर 2004 में पार्टी को सत्ता तक पहुंचा दिया | पार्टी को सिद्धांतों और नीतियों पर चलाने के लिए पचमढी में हुए फैसले को 2003 में शिमला में मुख्यमंत्रियों की बैठक में इस लिए बदल दिया गया था क्योंकि उस साल कांग्रेस तीन विधानसभाओं का चुनाव हार गई थी | पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने हाल ही में अपनी पुस्तक में खुलासा किया है कि वह 2003 में गठबंध

अब समान नागरिक संहिता का एजेंडा

Publsihed: 14.Sep.2019, 14:03

अजय सेतिया / भारतीय जनता पार्टी अपने तीन एजेंडों के लिए जानी जाती है | इन तीन एजेंडों में से एक अनुच्छेद 370 की समाप्ति था , जिसे संविधान में जोड़ते समय ही संविधान सभा में वायदा किया गया था कि यह अस्थाई है | भाजपा का दूसरा एजेंडे समान नागरिक संहिता का जिक्र तो संविधान के नीति निर्देश सिद्धांतों में भी है , जिस में वायदा किया गया है कि सरकार इसे लागू करने का प्रयास करेगी | सुप्रीमकोर्ट कई बार सरकार को संविधान के निति निर्देश सिद्धांतों की याद दिला चुका है , लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने समान नागरिक संहिता को अल्पसंख्यक और शरीयत विरोधी बता कर अछूत मुद्दा बनाया हुआ है | जनसंघ के जमाने तक मौजूदा भ

राज्यसभा अपना महत्व खो रही है 

Publsihed: 12.Sep.2019, 16:48

अजय सेतिया / मोंत्गू-चेम्सफोर्ड कमेटी के भारतीय शासन प्रणाली में बदलाव के सुझावों के अनुरूप 1919 में “कानुन्सिल आफ स्टेट “ का गठन किया गया था | तब “कानुन्सिल आफ स्टेट” के 60 सदस्य थे, जिन में से 34 भारतीय सम्भ्रान्त परिवारों से चुने जाते थे | जब भारत का संविधान बन रहा था तो इस सदन की जरूरत पर बहस हुई थी | संविधान सभा के कुछ सदस्यों का मानना था कि राज्यसभा की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह बिला-वजह कानूनों के निर्माण में विलम्ब पैदा करेगी , लेकिन इस दलील को नहीं माना गया | बाद में राज्यसभा के पहले चेयरमैन के नाते डाक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने एक बार कहा था कि आम धारणा यह कि यह सदन न सरकार बन

जिंदगी पहले , आज़ादी बाद में

Publsihed: 11.Sep.2019, 22:43

अजय सेतिया / कश्मीर की आज़ादी और कश्मीरियों की व्यक्तिगत आज़ादी दोनों अलग अलग बातें हैं | कश्मीर के मौजूदा हालात में कश्मीरियों की व्यक्तिगत आज़ादी एक मसला बना हुआ है | अपन जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के इस जुमले से सहमत नहीं हैं कि आज़ादी से ज्यादा महत्वपूर्ण जिंदगी है | व्यक्तिगत आज़ादी के बारे में जनता क्या सोचती है , उस का एक उदाहरण आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे हैं | आपातकाल में लोगों की व्यक्तिगत आज़ादी का हनन करने वाली इंदिरा गांधी को करारी हार का मुहं देखना पड़ा था | जब से केंद्र सरकार ने कश्मीर को विशेषाधिकारों से वंचित किया है , वहां आपातकाल जैसी स्थिति है