इस लिए जरूरी है यूनिफार्म सिविल कोड

Publsihed: 19.Sep.2019, 14:23

अजय सेतिया / हिंदू मैरिज ऐक्ट के मुताबिक शादी के लिए लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की 21 साल है | चाइल्ड मैरिज प्रोहिब्शन ऐक्ट के मुताबिक भी 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी नहीं हो सकती | अगर यह शादी होती है, तो अमान्य होगी | पोक्सो क़ानून में 18 साल से कम आयु की लडकी के साथ शारीरिक सम्बन्धों को रेप माना गया है , भले ही वे सम्बन्ध सहमती से बने हों या असहमति से | भले ही वह बाल विवाह निरोधक क़ानून का उलंघन कर के उस की पत्नी बनी हो |
लेकिन शरिया के मुताबिक़ 15 साल की लडकी भी शादी कर सकती है | अलबत्ता शरिया तो यह भी कहता है कि लडकी प्यूबर्टी ( पीरियड आने ) की उम्र पार कर जाए तो वह शादी के लायक हो जाती है | भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने 370 खत्म किए जाने के बाद बड़े गर्व से कहा था कि एक देश में दो विधान , दो निशान और दो प्रधान खत्म हो गए , लेकिन शरिया उन के इस दावे को चुनौती देता है | जैसे संसद से पारित कोई भी क़ानून कश्मीर पर लागू नहीं होता था , वैसे ही विवाह की आयु संबंधी संसद से पारित कोई क़ानून मुसलमानों पर लागू नहीं होता है , यहाँ तक कि बच्चो के यौन शोषण को रोकने वाला पोक्सो क़ानून भी लागू नहीं होता | 
संसद में पारित हर क़ानून की पहली पंक्ति में लिखा जाता था कि यह क़ानून जम्मू कश्मीर को छोड़ कर शेष भारत पर लागू होगा , लेकिन बच्चों और विवाह की आयु सबंधी संसद में रखे गए किसी बिल पर यह नहीं लिखा होता कि यह क़ानून मुस्लिम लडकों और लडकियों पर लागू नहीं होगा | शरिया के मुताबिक़ 21 साल से कम उम्र का लडका भी शादी कर सकता है | मुस्लिम कट्टरपंथियों और उन के समर्थक राजनीतिक दलों ने पांच साल तक तीन तलाक के खिलाफ कडा क़ानून बनने से रोकने की कोशिश की , लेकिन मोदी  सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते वे नाकाम हो गए |
अब नया टकराव विवाह की उम्र को ले कर होने वाला है | इक्कीसवें विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि देश सामान नागरिक संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड  के लिए इन्तजार कर सकता है , लेकिन शादी की न्यूनतम उम्र सारे देश में सब के लिए एक समान होनी चाहिए | हालांकि आयोग ने लडके और लडकी दोनों की उम्र एक समान रखने की सिफारिश भी की थी , लेकिन वह दूसरा मसला है | अपन क्यों कहते हैं कि यूनिफार्म सिविल कोड की लड़ाई शादी की उम्र तय करने से शुरू होने वाली , इस का कारण है कि इस से जुड़ा एक मामला सुप्रीम कोर्ट में आ गया है | 
उतर प्रदेश की 16 साल की एक मुस्लिम लडकी ने घर से भाग कर अपने प्रेमी से शादी कर ली थी , लडकी का पिता कोर्ट में गया , जहां अदालत ने शादी को शून्य करार दे दिया , हाई कोर्ट ने शादी को शून्य करार दे कर लडकी को शैल्टर होम भेजने के आदेश दे दिए  | अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और लडकी शरिया क़ानून का हवाला दे कर अपनी शादी को वैध ठहरा रही है | सुप्रीमकोर्ट ने याचिका स्वीकार कर के यूपी सरकार को नोटिस दे दिया है | अपन इसे अगली लड़ाई इस लिए भी मानते है , क्योंकि शाहबानों के गुजारा भत्ते का मामला और तीन तलाक का मामला भी सुप्रीमकोर्ट के फैसलों के कारण राजनीतिक मुद्दे बने थे |

  

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