वाजपेयी के बिना बीजेपी की नेशनल काउंसिल आज शुरू होगी। शुक्रवार को वर्किंग कमेटी शुरू हुई। तो वाजपेयी के कुशल क्षेम की कामना की गई। शुक्र को ही सोनिया ने मनमोहन के कुशल क्षेम की कामना की। 'कांग्रेस संदेश' में सोनिया ने लिखा है- 'वह जल्द ही ठीक होकर कामकाज संभालेंगे। आगे भी देश का नेतृत्व करेंगे।' यों अपन को सोनिया के इस कहे पर शक। एक तरफ मनमोहन के नेतृत्व की बात। तो दूसरी तरफ कांग्रेस के पहले होर्डिंग में मनमोहन का जिक्र भी नहीं। पहला होर्डिंग अटल बिहारी वाजपेयी के हल्के लखनऊ में लगा। जिसमें सिर्फ राहुल बाबा का फोटू। नारा है- 'अतीत की नींव पर, भविष्य का निर्माण।' साफ है- राहुल होंगे कांग्रेस का मुखौटा। गोविंदाचार्य तो वाजपेयी को मुखौटा बताकर आडवाणी को पीएम बना रहे थे। पर कांग्रेस ने मुखौटा राहुल का अपना लिया। तो पीएम कोई और कैसे होगा। कांग्रेस की रहनुमाई में यूपीए जीत गया। तो वैसी ही नौटंकी फिर होगी। जैसी अपन ने 2004 में संसद के सेंट्रल हाल मे देखी थी।
पर अबके बीजेपी का मुखौटा भी आडवाणी, चेहरा भी आडवाणी। राजनाथ सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा- 'वाजपेयी को पीएम बनाना हमारा सपना था। वह सपना पूरा हुआ। अब आडवाणी को पीएम बनाना हमारा सपना। वह भी पूरा होगा। आडवाणी इसी पंद्रह अगस्त को लालकिले पर झंडा फहराएंगे।' यों एनडीए का गठबंधन मजबूत होता नहीं दिखता। सो बहुमत तक पहुंचने में शक राजनाथ को भी। इसीलिए तो उन्होंने कहा- 'कांग्रेस चुनाव के वक्त जंग की बात न करे। जंग को राजनीति का औजार न बनाए।' राजनाथ ने यह शक इसलिए जाहिर किया। क्योंकि सोनिया गांधी ने कहा है- 'भारत का पाकिस्तान के खिलाफ सीधी कार्रवाई का विकल्प खुला।' जब यही बात मनमोहन ने कही। प्रणव दा ने कही। पी चिदंबरम ने कही। तो किसी ने भरोसा नहीं किया। पर सोनिया कहे, तो समझिए कुछ पक रहा होगा। पर जब रविशंकर से पूछा- राजग ने भी 1999 के चुनाव में कारगिल युध्द को भुनाया। तो उनने कहा- 'कारगिल को चुनावी मुद्दा कांग्रेस ने बनाया था। हमने नहीं।' यों जंग न भी हो, तो भी अफजल गुरु को फांसी दे देगी कांग्रेस। कोई न कोई चुनावी हथकंडा तो अपनाएगी ही कांग्रेस। यों मौजूदा हालात की बात करें। तो हालत कांग्रेस-यूपीए की भी अच्छी नहीं। पांच साल में सत्रह एसेंबलियों के चुनाव हुए। कांग्रेस सिर्फ चार में जीती। हाल ही की छह एसेंबलियों की चीरफाड़ अपन ने की ही थी। कांग्रेस जीती 244, पर बीजेपी जीती 294 सीटें। राजनाथ बोले- 'यूपीए दरक रहा है, एनडीए का सूरज फिर निकलेगा।' आतंकवाद, महंगाई, आर्थिक हालत, किसानों, विकास और लोकतंत्र के उदाहरण देकर बताया। कैसे कांग्रेस ने देश का बंटाधार किया। बोले- 'जनता यूपीए से तंग आ चुकी। फिर भी हम चूक गए। तो जनता माफ नहीं करेगी।' पर बीजेपी वर्करों में जरा जोश नहीं। इसकी वजह अपन नहीं जानते। राजनाथ सिंह ही जानते होंगे। वर्करों में जोश नहीं, तभी तो उनने कहा- 'जनता माफ नहीं करेगी।' वैसे कांग्रेस ने एनडीए के किए-धरे पर पानी जमकर फेरा। विकास के जितने प्रोजेक्ट शुरू हुए थे। सारे ठंडे बस्ते में डाल दिए। वोट बैंक के नए प्रोजेक्ट शुरू कर दिए। राजनाथ बोले- 'जरा यूपीए के प्रोजेक्ट देखिए। सच्चर कमेटी- मुसलमानों को खुश करने के लिए। पोटा रद्द- मुसलमानों को खुश करने के लिए। आंध्र में मुस्लिम आरक्षण। पीएम ने कहा- देश के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला हक। स्कालरशिप तक में धार्मिक आधार पर भेदभाव।' राजनाथ सिंह यूपीए की मुस्लिमपरस्त राजनीति पर खूब बोले। पर उनके अपने भाषण में राम मंदिर, कामन सिविल कोड, आर्टिकल 371 का जिक्र तक नहीं। यानी बीजेपी का चेहरा भले आडवाणी होंगे। पर राह इस बार भी वाजपेयी की। बात वाजपेयी की चली। तो बताते जाएं- शुक्रवार को उनकी हालत सुबह सुधरी, दुपहर को बिगड़ी, शाम को फिर सुधरी। पर वह वेंटीलेटर पर।
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