ताजा अक्ल, करार पर चुनाव अक्लमंदी नहीं
मिड टर्म चुनाव हुए। तो बीस महीने पहले देश पर तीन सौ करोड़ का बोझ। यह तो सरकारी खर्च। कोई दस गुना राजनीतिक दलों का खर्च समझ लो। देश पर सवा तीन हजार करोड़ का बोझ पड़ेगा। तो महंगाई का अंदाजा लगा लो। वैसे भी महंगाई और कांग्रेस का चोली-दामन का साथ। आजकल प्याज से सेब सस्ता। सो इस महंगाई में चुनाव जितने दिन टलें। उतना अच्छा। गुरुवार को लालू-पवार ने चुनाव टलने की बात कही। तो शुक्र को खुद सोनिया-मनमोहन ने चुनाव से तौबा की। वैसे अपन को बजट के बाद अब भी चुनाव का अंदेशा।