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Exclusive Articles written by Ajay Setia

यह है डायनेस्टिक डेमोक्रेसी मेरे भाई

Publsihed: 29.May.2009, 04:12

बीजेपी ने कर्नाटक में छह मंत्रियों के रिश्तेदारों को टिकट दिए। तो कितना बवाल मचा। पर कर्नाटक का नतीजा ही बेहतरीन रहा। सीएम येदुरप्पा का बेटा राघवेंद्र भी जीत गया। हिमाचल के सीएम धूमल का बेटा अनुराग तो दूसरी बार जीता। जसवंत सिंह के बेटे को टिकट मिला तो बवाल। वसुंधरा के बेटे को टिकट मिला तो बवाल। पर परिवारवाद का विरोध करने वाली पार्टी बेटों-बेटियों को टिकट दे। तो बवाल होगा ही। बीजेपी को पंद्रहवीं लोकसभा से सबक लेना चाहिए। सौ से ज्यादा सांसदों के बाप-दादा भी एमपी या एमएलए थे। अपनी जम्हुरियत सौ परिवारों में सीमित हो गई। एक दलील अपन खूब सुनते हैं- 'जब डाक्टर का बेटा डाक्टर हो सकता है। जब पत्रकार का बेटा पत्रकार हो सकता है। तो सांसद का बेटा सांसद क्यों नहीं। मंत्री का बेटा मंत्री क्यों नहीं।' पर ऐसी दलील देने वाले धंधे और जम्हुरियत में फर्क नहीं समझते। धंधे और समाज सेवा में फर्क नहीं समझते।

दिखा राहुल का 'टच' मनमोहन की 'पसंद'

Publsihed: 27.May.2009, 20:36

बात अपनी पीठ थपथपाने की नहीं। शोभा भी नहीं देता। पर आपका अखबार सबसे आगे निकला। सबसे ज्यादा भरोसेमंद निकला। पीएमओ से चौबीस घंटे पहले जारी पूरी लिस्ट देख अपन चौंके। बाईस मई को अपन ने 47 नाम लिखे थे। सिर्फ पांच गलत निकले, 42 सही। संगमा की बेटी अगास्था का 43 वां नाम अपन ने 26 मई को जोड़ा। जब अपन ने लिखा- 'तो प्रफुल्ल पटेल इंडीपेंडेंट चार्ज के मंत्री होंगे। पीए संगमा की बेटी अगास्था स्टेट मिनिस्टर।' तो अब यह साफ- मनमोहन समेत 34 केबिनेट। सात इंडिपेंडेंट चार्ज के स्टेट मिनिस्टर और 38 स्टेट मिनिस्टर। राजस्थान से जोशी के साथ मीणा और पायलट मंत्री बनेंगे। यह तो अपन ने बाईस मई को ही लिखा। पर ओला की जगह महादेव सिंह खंडेला की लाटरी निकलेगी। अपन को अंदाज नहीं था। यानी ब्राह्मण, मीणा, गुर्जर, जाट।

सात रेसकोर्स में चल रहा लिखने-मिटाने का खेल

Publsihed: 27.May.2009, 08:06

तो बजट चार जुलाई को पेश करने का इरादा। यों तो चार जुलाई को शनिवार। पर मनमोहन-प्रणव ठान लें। तो कौन रोकेगा। ठान लिया, तो कोई पहली बार नहीं बैठेगी संसद। प्रणव दा ने खुलासा किया- 'वोट ऑन अकाउंट की दूसरी किस्त पेश करने का इरादा नहीं।' आपको याद होगा। चिदंबरम ने जुलाई तक का वोट ऑन अकाउंट पेश किया था। तो अब बजट पर अटकलें शुरू होंगी। इस बार कांग्रेस ने बीजेपी को शहरों में भी पीटा। सो शहरियों को भी मिलेगा तोहफा। नौकरीपेशा को भी, छोटे धंधे वालों को भी। चुनाव फंड का बंदोबस्त करने वालों को एफबीटी से राहत। नौकरीपेशा को इनकम टेक्स से। चिदंबरम पूंजीवादियों के हमदर्द दिखते थे। तो प्रणव बजट को समाजवादी पुट देंगे। मंदी से निपटना कोई खाला जी का घर नहीं। सरकार का खजाना पहले से खाली। एनडीए की सरकार आती। तो अपन इन दिनों खाली खजाने की खबरें पढ़ते। पर अब खजाना प्रणव दा के हवाले। तो थोड़े में गुजारा प्रणव दा का मंत्र होगा।

करुणानिधि की केकैई बनी तीसरी बीवी राजाथी अम्मल

Publsihed: 26.May.2009, 08:02

अपन को पहले से शक था। इतनी जल्दी झगड़ा नहीं निपटना। सो अपन ने शनिवार को लिख दिया था- 'मंगल-बुध को मंत्रिमंडल विस्तार होगा।' वही हुआ, तैयारी करके टालना पड़ा मंगल का शपथग्रहण। यों वजह तो बंगाल में आया तूफान बताया। जो उड़ीसा की ओर बढ़ गया। पंजाब में फैले जातीय दंगे भी वजह बताया। पर असल वजह करुणानिधि के घर में मचा बवाल। अपन ने इस बवाल का जिक्र पिछले शुक्रवार भी किया। उसी की वजह से शनिवार को सिर्फ कांग्रेस परिवार की शपथ हुई। बात कांग्रेस परिवार की चली। तो बताते जाएं- करुणानिधि के फच्चर का फायदा पवार ने उठाया। उनके खाते दो मंत्री ही होते। पर अब तीन हो जाएंगे। बुधवार को शपथ ग्रहण हुआ। तो प्रफुल्ल पटेल इंडिपेंडेंट चार्ज के मंत्री होंगे। पीए संगमा की बेटी अगास्था स्टेट मिनिस्टर। पवार खुद बन गए। तो अब सुप्रिया सूले नहीं। पवार की रणनीति एक तीर से दो शिकारों की।

सोनिया की रणनीति से हुई सिर्फ कांग्रेसियों की शपथ

Publsihed: 23.May.2009, 08:20

फारुख अब्दुल्ला ने खुलासा किया। तो अपने कान खड़े हुए। दक्षिण अफ्रीका जाने से पहले बोले- 'मंत्री तय करना मनमोहन-सोनिया का काम। पीएम ने मुझे फोन किया। उनने कहा- डीएमके का मामला फंस गया है। उसे पहले निपटा लें।' पर फारुख को फोन भी तब गया। जब उमर ने गुरुवार की रात खुलासा किया- 'फारुख अब्दुल्ला शुक्रवार को मैच देखने दक्षिण अफ्रीका जाएंगे। शपथ ग्रहण में नहीं होंगे। कांग्रेस घमंडी हो गई है। फोन तक नहीं किया।' अपन ने टीवी पर अभिषेक मनु को मिमियाते देखा। बोले- 'फारुख को चौबीस घंटे तो इंतजार करना चाहिए।' टीवी पर हुए इस ब्रेकिंग खुलासे के बाद फारुख को फोन गया। फब्ती कसते हुए फारुख बोले- 'मैं नहीं होऊंगा तो शपथ ग्रहण नहीं रुकेगा।' चीफ मिनिस्टर बेटे ने कहा- 'शपथ ग्रहण का न्योता नहीं आया। पर आईपीएल का न्योता था। सो वह दक्षिण अफ्रीका चले गए।' पर अब खबर है- 'मंगल-बुध को मंत्रिमंडल विस्तार होगा। तो फारुख के साथ बालू, राजा, अजगरी, कन्नीमुरी की शपथ भी होगी।' एक जमाना था- जब शपथ लेने वाले को 24 घंटे पहले फोन जाता।

करुणानिधि के फच्चर से उड़ी मनमोहन की नींद

Publsihed: 22.May.2009, 06:46

अपन को लगता था- करुणानिधि जिद्द छोड़ देंगे। पर न मनमोहन ने जिद्द छोड़ी। न करुणानिधि जिद्द छोड़ने को तैयार। जिद्द का जिक्र अपन बाद में करेंगे। पहले बात दो दिन चली कसरत की। बुधवार को यूपीए मीटिंग निपटी। तो बंद कमरों में शुरू हुई मंत्रालयों की मलाई बांटने की बात। करुणानिधि, ममता, पवार, फारुख, शिबू से हो रही थी बात। रात भर चली कसरत। करुणानिधि के सामने प्रस्ताव था- दो केबिनेट, दो स्टेट मिनिस्टर। वह पहले ही मिनट नामंजूर हो गया। करुणानिधि बोले- 'फार्मूला वही चलेगा। जो 2004 में था।' वैसे अपन बता दें- 2004 में कोई फार्मूला नहीं था। जो मांगा, सो मिल गया। मनमोहन सड़क परिवहन मंत्रालय से नाखुश थे। पर टीआर बालू को हटा नहीं पाए। आईटी मंत्री ए राजा की शिकायतें थी। पर हटा नहीं पाए। अबके कांग्रेस की 206 सीटें आई। तो मनमोहन-सोनिया ने कई अहम फैसले किए। जैसे लालू-शिबू-मुलायम को मिनिस्ट्री में नहीं लेंगे। बात लालू की चली। तो बता दें- गुरुवार को भड़कते हुए बोले- 'मुझे दूध से मक्खी की तरह निकाल दिया।'

न्योता मनमोहन को अटकलें राहुल की

Publsihed: 20.May.2009, 20:36

राहुल गांधी का कद अब यूपीए में भी ऊंचा। यूपीए की पहली मीटिंग में मौजूद थे राहुल। प्रणव, एंटनी, चिदंबरम तो मंत्री। सोनिया यूपीए की चेयरपर्सन। बुध को दुबारा भी चुनी गई। सो मीटिंग में कांग्रेस के दो नुमाइंदे थे- 'राहुल और अहमद पटेल।' पटेल कांग्रेस अध्यक्ष के पालिटिकल सेक्रेट्री। वैसे भी जब गैर दलों के तीन-तीन मुस्लिम चेहरे हों। तो एक अपना भी होना चाहिए। यूपीए मीटिंग में बाकी तीन मुस्लिम चेहरे थे- 'मुस्लिम लीग के ई. अहमद, इत्तेहदुल मुस्लमीन के असदुदीन ओवेसी और नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला।' तीनों मंत्री बनेंगे। फारुख की अहम बात अपन बाद में बताएंगे। पहले बात राहुल की। मंत्री बनने से आनाकानी कर उदाहरण पेश किया। बात युवा चेहरे की चली। तो बताते जाएं- चौदहवीं लोकसभा का चुनाव हुआ। तो राहुल, नवीन जिंदल, सचिन, जतिन, मिलिंद का फोटू छपा था। इस बार ज्योति मिर्धा, श्रुति चौधरी और मौसम बेनजीर नूर का। तीनों कांग्रेस की नई युवा सांसद। पर बीजेपी का दिखाने लायक युवा चेहरा सिर्फ वरुण।

पवार को ठिकाने लगाने का नौ पर दो का फार्मूला

Publsihed: 20.May.2009, 04:21

इस बार नौटंकी की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। कोई इमोशनल ब्लैकमेल नहीं। स्क्रिप्ट, डायलाग पहले से तय थे। अपने प्रणव दा ने नाम पेश किया सोनिया का। शुरूआत हुई तो बीस ने नाम पेश किया। बीस ने समर्थन किया। सोनिया चेयरपरसन चुनी गई। तो बाकी काम रहा सोनिया का। उनने मनमोहन को पीएम के लिए नोमीनेट किया। सबने तालियां बजा दी। प्रणव दा लोकसभा में नेता होंगे। मनमोहन लोकसभा के मेंबर नहीं। सोनिया-मनमोहन के भाषण हुए। पार्लियामेंट्री पार्टी की मीटिंग खत्म। अब चर्चा सरकार की। तो आज यूपीए मीटिंग से शुरूआत होगी। फिर सोनिया-मनमोहन-प्रणव दा महामहिम से मिलेंगे। अपन ने कल लिखा ही था- बाईस मई। तो अब तक 22 मई का ही फैसला। बात सरकार की चली। तो बता दें- मायावती ने बिन मांगा समर्थन दे दिया। माया बाजी मार ले गई। तो मुलायम की धुकधुकी तेज हुई। सो उनने अमर सिंह को सीधे राष्ट्रपति भवन भेज दिया। अमर सिंह कांग्रेस को समर्थन की चिट्ठी दे आए। है ना अजब बात।

कमजोर निकला मजबूत तो मजबूत पड़ा कमजोर

Publsihed: 18.May.2009, 20:36

कांग्रेस की खुशी का ठिकाना नहीं। कितनी खुशियां एक साथ आ गई। बोफोर्स के कलंक से पीछा छूटा। मंडलवादी लालुओं-पासवानों-मुलायमों से भी। बताते जाएं- तीनों को मीटिंग में नहीं बुलाया सोनिया ने। पासवान तो पूरी तरह निपट गए चुनाव में। लालू भी निपटे जैसे ही। मुलायम की नाक जरूर बची। पर रीता बहुगुणा ने दिल्ली आकर खम ठोक दिया है- 'मुलायम से दूरी बरकरार रखी जाए।' अपन को उसका असर भी दिखा। जब बताया गया- 'सोनिया ने बुधवार को यूपीए मीटिंग में नहीं बुलाया।' यों लालू ने बिना शर्त समर्थन का एलान किया। और करते भी क्या। पर सोनिया भाव नहीं देगी। कैसे तीन सीटों की ऑफर कर रहे थे। अब कहते हैं- 'गलती हुई।' गलती हुई, तो भुगतो। पर अपन बात कर रहे थे कांग्रेस को मिली खुशियों की। तो खुदा जब देता है, छप्पर फाड़कर देता है।

आडवाणी खारिज राहुल कबूल

Publsihed: 16.May.2009, 18:06

अपना आकलन भले गलत निकला। क्षेत्रीय और जातीय राजनीति के मुंह पर तमाचा लगा। तीसरी ताकत के दिन भी लदने लगे। सो देश के लिए अच्छी बात। बीजेपी 138 से 121 पर आ गई। पर दो दलीय राजनीति को आवाम की मान्यता मिली। अब इसे बरकरार रखना बीजेपी के जिम्मे। बीजेपी वक्त के साथ न बदली। तो नेहरू-इंदिरा का एकदलीय दौर लौटने में देर नहीं। अपन कांग्रेस की जीत का सेहरा राहुल के सिर बांधेंगे। सोनिया की रहनुमाई में कांग्रेस दो चुनाव लड़ी। पहले चुनाव में 112 पर अटकी। दूसरे में 145 पर। तब तक राहुल सिर्फ उम्मीदवार थे। अबके कांग्रेस का चेहरा थे। सो राहुल के चेहरे पर कांग्रेस 200 के पार हो गई। राजीव कांग्रेस को 191 पर छोड़कर गए थे। उसके बाद तो कांग्रेस को कभी 150 भी नहीं मिली। सवा साल पहले की घटना बताना जरूरी। राजस्थान पत्रिका के संपादक गुलाब कोठारी के साथ बैठे थे। देश की राजनीति पर बात चली। तो उनने पूछा- 'त्रिशंकु लोकसभा कब तक बनती रहेगी?' अपन ने कहा- 'पंद्रहवीं-सोलहवीं लोकसभा तो त्रिशंकु ही होगी। सत्रहवीं लोकसभा में किसी दल को बहुमत मिलेगा।' तब गुलाब कोठारी ने कहा था- 'सोलहवीं लोकसभा में त्रिशंकु संकट खत्म हो जाएगा।' अपन ने तब नहीं माना। पर अब अपन को कोई शक नहीं।