कंपकपाने वाली ठंड में रामसेतु की गर्मी

Publsihed: 01.Feb.2008, 20:40

आमतौर पर पहली फरवरी इतनी ठंडी नहीं होती। दिल्ली का सामान्य तापमान नौ डिग्री होना चाहिए था। पर अबके ठंड ने अपने तेवर दिखा दिए। रामभक्त कह सकते हैं- 'यूपीए सरकार के रामसेतु विरोधी होने पर शिव ने रौद्र रूप दिखा दिया।' रामसेतु की बात चली। तो बताते जाएं। अपन को नहीं लगता- सरकार मार्च में भी हल्फिया बयान देगी। अंबिका सोनी कह रही थी- 'एएसआई ने कोई सर्वेक्षण नहीं किया। जब तक खुद सर्वेक्षण न करे। कोई हल्फिया बयान नहीं देगा। जिन एक्सपर्टो ने सर्वेक्षण किया। जिनका दावा- रामसेतु किसी आदमी ने नहीं बनाया। वही सुप्रीम कोर्ट में हल्फिया बयान दे।'

अपन ने एक्सपर्ट कमेटी की रपट कल बताई थी। अपनी अंबिका ने उसी का जिक्र किया। अपने ने भी तो यही लिखा था- 'पिछली बार हल्फिया बयान पर अंबिका की पेशी हुई थी। सो अब अंबिका अपना सिर नहीं फुड़वाना चाहती। एक्सपर्ट कमेटी के कहे पर हल्फिया बयान हुआ। तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ होगा।' यही बात अंबिका सोनी ने अपने मुंह से कह दी। पूछा, तो बोली- 'उन एजेंसियों से पूछो। जिनने रिपोर्ट दी। एएसआई या सांस्कृतिक मंत्रालय तो कोई हल्फिया बयान नहीं देगा।' जब पूछा- 'तो फैसला किस आधार पर होगा?' वह बोली- 'सब पहलू देखेंगे। सुरक्षा की चिंता भी कम नहीं।' सोनी धीरे से बोली- 'उत्तर भारत के पांच राज्यों में चुनाव। एक्सपर्ट कमेटी की रपट पर हल्फिया बयान हुआ। तो उत्तर भारत में कांग्रेस साफ हो जाएगी।' हनुमान ने रामसेतु बनाया या नहीं। यह तो एएसआई सर्वेक्षण करे। तभी पता चलेगा। वैसे दुनियाभर में अलग-अलग राय। मान लो, रामसेतु प्राकृतिक ही हो। तब भी तो सुरक्षित रखना चाहिए। वैसे अपन हिंदू ग्रंथों की मानें। तो रामसेतु का धार्मिक महत्व। स्कंद पुराण में लिखा है- 'एक- सेतु दर्शन करने वालों को मोक्ष मिलेगा। दो- तारे गिने जा सकते हैं, धरती पर पशु-पक्षी गिने जा सकते हैं, सेतु दर्शन का पुण्य नहीं मापा जा सकता। तीन- रामसेतु सभी देवी-देवताओं के दर्शन समान।' रामसेतु तोड़ सेतुसमुद्रम बनाना खालाजी का घर नहीं। बजट सत्र से पहले राजनीतिक बवाल शुरू हो गया। तमिलनाडु विधानसभा में तो हल्ला हुआ ही। तटरक्षक मुखिया रूसी कांट्रेक्टर ने दिल्ली में गर्मी बढ़ा दी। मुरली मनोहर जोशी बोले- 'सुरक्षा के खतरे की बात उनने पीएम को महीनों पहले लिखकर भेजी थी। पर मनमोहन के कान पर जूं नहीं रेंगी।' सो इतनी कंपकपाने वाली ठंड में भी राजनीतिक गर्मी। हां, अपन बात तो बदले मौसम की कर रहे थे। फरवरी ही नहीं। जनवरी में भी ठंड के रिकार्ड टूटे। मोटे तौर पर चार-पांच डिग्री का फर्क रहा। दो जनवरी की ठंड रिकार्ड बना गई। उस दिन का सबसे कम तापमान 1.9 डिग्री सेल्सियस रहा। दूसरे नंबर पर रहा 28 जनवरी। जब 2.03 डिग्री रिकार्ड हुआ। यों बीबीसी लंदन को दिल्ली के तापमान से क्या लेना-देना। पर बीबीसी की भविष्यवाणी थी- 'शुक्रवार को जीरो डिग्री से नीचे जाएगा तापमान।' अपना मौसम विभाग वैसे भी दुनियाभर के फिसडि्डयों में अव्वल। पर गुरुवार को अपने मौसम विभाग ने बीबीसी के आगे ताल ठोकी। कहा- 'तापमान घटेगा नहीं, बढ़ेगा।' अपने मौसम विभाग पर कोई भरोसा नहीं करता। पिछले साल जब तापमान तीन डिग्री तक गिरा। तो वह भविष्यवाणी बीबीसी की ही थी। अपना मौसम विभाग तो तब भी ताल ठोक रहा था। सो शुक्रवार को दिल्ली वालों ने जितने गर्म कपड़े थे। सब निकाल लिए। चारों तरफ लैदर के कोट और जर्सियां दिखने लगीं। अपन को कनॉट प्लेस में लोगों को देख डेनमार्क का अहसास हुआ। पर अपना मौसम विभाग दिनभर 4.1 डिग्री का ढोल बजाता रहा। यह सफदरजंग का रिकार्ड था। पर दिल्ली में ही है पूसा इंस्टीटयूट। पूसा इंस्टीटयूट के आसपास घने जंगल। सो बीबीसी की भविष्यवाणी वहां सच साबित हुई। पूसा का तापमान 0.1 डिग्री रिकार्ड हुआ। बीबीसी की भविष्यवाणी तो 0.7 डिग्री की थी। यानी अपना मौसम विभाग फिर चंडूखाने का निकला।

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