अपन ने शुक्र और शनिवार को मेघालय का जिक्र किया। तो होने वाले घमासान का अंदेशा बताया। अपने अंदेशे के मुताबिक ही एसेंबली लंगड़ी निकली। शुक्रवार को अपन ने लिखा था- 'अपन से पूछो तो लंगड़ी एसेंबली आएगी। संगमा सीएम पद के दावेदार। पवार भले ही सोनिया के साथ हो चुके। संगमा घुटने टेकने को तैयार नहीं।' आगे अपन ने लिखा- 'अब लाख टके का सवाल यह- क्या सोनिया संगमा को सीएम बनने देगी? क्या लंगड़ी विधानसभा में कांग्रेस-एनसीपी गठजोड होगा। या संगमा कांग्रेस को किनारा कर गठबंधन सरकार बना लेंगे? इसी बात की संभावना ज्यादा। यों भी संगमा को आडवाणी कबूल होंगे, सोनिया नहीं।'
तो अपन बता दें- शनिवार को संगमा का खेल शुरू हो गया। भले ही एनसीपी को सिर्फ चौदह सीटें मिली। पर उनने यूडीपी के ग्यारह और बीजेपी का एक मिलाकर बढ़त बना ली। अब संगमा के नए मोर्चे एमपीए के छब्बीस एमएलए। कांग्रेस के एमएलए पच्चीस। अपनी दूसरी भविष्यवाणी भी सही निकली। जो अपन ने शनिवार को लिखी थी। अपन ने लिखा था- 'संगमा को यूडीपी-बीजेपी पर भरोसा था। पर तीनों मिलकर छब्बीस पर अटक गए। संगमा ने पांचों इंडीपेंडेंट पटा लिए। तो करिश्मा होगा।' सचमुच करिश्मा हो गया। इससे पहले कि कांग्रेस के नेता डीडी लपांग दावा ठोकते। संगमा का एमपीए बन गया। एमपीए के 31 एमएलए राजभवन में जाकर परेड भी कर आए। छब्बीस का गणित तो अपन ने बताया ही था। पर जो एचएसपीडीपी के दो और केएचएनएएम का एक एमएलए कांग्रेस के साथ दिखते थे। वे तीनों एमपीए के साथ राजभवन में दिखे। साथ में दो इंडीपेंडेंट एमएलए भी। सो आंकड़ा मिलाकर 31 का हो गया। पर सोनिया क्यों संगमा या संगमा के दोनुकूपर राय को सीएम बनने देंगी? दोनुकूपर राय यूडीपी के नेता। चुनाव से पहले यूडीपी-कांग्रेस गठबंधन था। चुनाव से ठीक पहले टूटा। अपन को पहले से पता था- यूडीपी अबके एनसीपी के साथ जाएगा। मेघालय की एनसीपी महाराष्ट्र जैसी नहीं। संगमा की एनसीपी पवार जैसी नहीं। जो कांग्रेस और सोनिया के पीछे हो जाए। अब लाख टके का सवाल यह- इक्कतीस एमएलए की परेड के बावजूद संगमा सरकार बनवा पाएंगे? अपन को यह खेल आसानी से होता नहीं दिखता। सेंटर में सरकार और अपने गवर्नर के होते सोनिया ऐसा क्यों होने देगी। अपन ने शनिवार को ही लिखा था- 'सेंटर में सरकार अपनी। शिलांग में गवर्नर अपना।' गोवा का उदाहरण अपने सामने। एससी जमीर को भले ही कितने पापड़ बेलने पड़े। पर वह कांग्रेस की सरकार बनवाकर रहे। मेघालय में अब यह जिम्मेदारी गवर्नर एसएस सिध्दू के कंधों पर। याद करो मनोहर परिकर राष्ट्रपति भवन में बहुमत विधायकों की परेड करा गए थे। पर जमीर ने राष्ट्रपति भवन की परेड को नहीं माना। कांग्रेसी सीएम को तोड़फोड़ का वक्त दिया। अब वही जिम्मेदारी मेघालय में सिध्दू की। सेंटर में अपनी सरकार। राज्य में अपना गवर्नर। फिर भी कांग्रेसी सरकार न बनी। तो करिश्मा ही होगा। फिलहाल मेघालय में सोनिया-संगमा आमने-सामने। देखते हैं, पवार क्या करेंगे।
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