मेल-मुलाकातें तो ऐसे शुरू हो गई। जैसे चुनाव आए कि आए। लेफ्ट ने अपना एजेंडा साफ कर दिया। अमेरिका से एटमी करार नहीं होने देंगे। प्रकाश करात-एबी वर्धन दिल्ली छोड़ गए। करात अपनी जन्मभूमि केरल गए। वर्धन रायपुर। लेफ्ट की दिल्ली सीताराम येचुरी के हवाले रही। येचुरी की बात चली। तो अपन को याद आया। बजट सत्र के वक्त अपन ने पूछा। तो आन रिकार्ड बोले थे- 'आईएईए से सेफगार्ड करार का ड्राफ्ट नहीं मांगेंगे। मांगना भी नहीं चाहिए। सरकार देगी भी नहीं, देना भी नहीं चाहिए।' पर अब ड्राफ्ट की मांग पर टकराव की खबर।
लेफ्ट में कोई खंडन करने को तैयार नहीं। कपिल सिब्बल ने जरूर कहा- 'मुझे नहीं लगता, उनने ड्राफ्ट मांगा होगा। ड्राफ्ट देना संभव नहीं।' पर बात दिल्ली की गहमागहमी की। कांग्रेस यूपीए को एकजुट करती दिखाई दी। लेफ्ट भी सेक्युलर दलों को समझाता-बुझाता दिखा। सीताराम येचुरी की लालू से बात हुई। उनने डीएमके से भी संपर्क साधा। समाजवादी पार्टी से भी फुनियाए। यों येचुरी पर अपन को कभी भरोसा नहीं रहा। येचुरी का ख्याल आते ही अपन को याद आती है एक घटना। इंडिकेट-सिंडिकेट की खींचतान चरम पर थी। डा. शंकर दयाल शर्मा कांग्रेस महासचिव थे। दिन में सिंडिकेट के साथ। रात को इंडिकेट के साथ। उन दिनों खूब चर्चा थी। दिनभर जो सिंडिकेट में पकता। उसे रात को इंदिरा गांधी को परोस आते। बाद में शंकर दयाल शर्मा को मुआवजा भी मिला। सीताराम येचुरी भी दिनभर गोपालन भवन में। रात को दस जनपथ। यह वही सीताराम येचुरी। जिनने कुछ दिन पहले कहा था- 'लेफ्ट का एतराज अमेरिका से करार पर। आईएईए से सेफगार्ड करार पर नहीं।' पर गुरुवार को जब करात केरल गए। तो दिल्ली का मोर्चा उन्हीं ने संभाला। बोले- 'सरकार एक कदम भी आगे बढ़ी। तो खामियाजा भुगतेगी। लेफ्ट समर्थन वापस ले लेगा।' पर रात को येचुरी बीच-बचाव की मीटिंग में दिखाई दिए। दिनभर बाघ-बकरी का खेल चलता रहा। यूपीए अपनी एकजुटता दिखाने में जुटा। तो येचुरी सेक्युलर दलों से संपर्क साधते रहे। लालू-पासवान-करुणानिधि ने करार की हिमायत में बयान दिए। लालू तो एक कदम आगे जाकर बोले- 'करार विरोधी, विकास विरोधी।' इसे कहते हैं मुदई से ज्यादा गवाह का चुस्त होना। यों पिछले साल यह नौबत आई थी। तो इन्हीं लालू ने करार के लिए चुनाव की मुखालफत की थी। अब सरकार के करार पर अड़ने से मिड टर्म की खुसर-पुसर शुरू हो चुकी। चुनाव नवंबर में होंगे, या जनवरी में। आंध्र प्रदेश के सीएम राजशेखर रेड्डी बोले- 'मैं दिसंबर के बाद कभी भी तैयार।' वैसे नवंबर-दिसंबर में चुनाव होने हुए। तो भी आंध्र-असम के चुनाव साथ होंगे। जम्मू कश्मीर सितंबर में निपट जाएगा। सात राज्यों के चुनाव लोकसभा के साथ। चुनावी अटकलों में प्रणव दा की जिम्मेदारी बढ़ गई। हर रोज की तरह गुरुवार को भी प्रणव दा के घर मीटिंग हुई। दिन में लालू बीच-बचाव में जुटे थे। पहले येचुरी से मिले। फिर प्रणव मुखर्जी से। रात को प्रणव-लालू-येचुरी की महफिल जमी। सोनिया गांधी भी इस गहमागहमी में दिल्ली से गायब हो गई। चुनाव के वक्त शिरडी के साईं याद आ गए। यों जन्म दिन तो राहुल बाबा का था। पर जून के महीने में जुलाई का मौसम हो। तो राहुल बाबा दलित की झोपड़ी से लंदन चले गए। मां अपने बेटे के जन्मदिन पर साईं बाबा से आशीर्वाद लेने गई। अर्जुन सिंह ने राहुल को पीएम बनाने की पैरवी की। तो मुफ्त में बदनाम हुए। अपन ने चार सालों में मनमोहन का ऐसा जन्मदिन मनता नहीं देखा। जैसा कांग्रेसियों ने राहुल बाबा का मनाया। राहुल बाबा पता नहीं लंदन के किस होटल में होंगे। पर कांग्रेसी चौबीस अकबर रोड के सामने ढोल-नगाड़ों पर नाचते रहे।
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