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Exclusive Articles written by Ajay Setia

मुशर्रफ का फच्चर निकला तो अब इफ्तिकार चौधरी

Publsihed: 20.Aug.2008, 06:16

पाकिस्तान से चार खबरें चौंकाने वाली आई। पहली- अपनी अरुंधति राय ने कहा है- 'कश्मीरियों को भारत से आजादी चाहिए।' एपीपी ने यह खबर एक इंटरव्यू के हवाले से दी। अरुंधति राय को बहुतेरे लोग इज्जत की नजर से देखते होंगे। अपन पहले भी नहीं देखते थे। पंचमड़ी में जंगलात की जमीन पर कब्जे ने अपना मन खट्टा कर दिया था। अब तो उनने देशद्रोह का काम किया।

तो मुशर्रफ जुगाड़ नहीं कर पाए एबस्टेन का

Publsihed: 19.Aug.2008, 07:10

परवेज मुशर्रफ को जाना पड़ा। जाना नहीं चाहते थे। भले ही उनने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा- 'महाभियोग में मैं हारूं, या जीतूं। हार देश की होती। तो मैं इस्तीफा दे रहा हूं।' परवेज मुशर्रफ भले ही अब कुछ कहें। कितना ही जम्हूरियत प्रेमी होने का दावा करें। पर असलियत किसी से छिपी नहीं। मुशर्रफ की नीयत में शुरू से खोट था। नीयत में खोट न होता। तो भंग हो रही असेंबलियों से खुद को न चुनवाते।

अपनी जम्हूरियत और उनकी जम्हूरियत का फर्क

Publsihed: 15.Aug.2008, 06:08

यों अपन आज बात करेंगे जश्न-ए-आजादी की। फिर भी शुरूआत मनमोहन सिंह को एक और बधाई से कर दें। अबके महंगाई के नए रिकार्ड पर बधाई। तीन महीने पहले मुद्रास्फीति सात फीसदी हुई। तब अखबारों में बैनर छपे थे- 'महंगाई सातवें आसमान पर।' अब 12.44 फीसदी होकर महंगाई तेरहवें आसमान पर। पर लीड भी नहीं छपती। अपन महंगाई के इतने अभ्यस्त हो गए। मनमोहन-चिदंबरम को इसीलिए महंगाई की फिक्र नहीं। सो सोलह साल का रिकार्ड तोड़ने पर दोनों को बधाई। सोलह साल पहले मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बने थे। तो यह रिकार्ड बनाया था। जिसकी बराबरी आज फिर से कर ली है। अपन बाजार से जो सब्जी बीस रुपए की लाते थे। अब पचास रुपए में भी नहीं आ

बधाईयों वाले खूब काम कर रही सरकार

Publsihed: 14.Aug.2008, 08:53

अपने मनमोहन सिंह को फिर बधाई। बधाई के पात्र अब अभिषेक मनु सिंघवी भी बन गए। पर पहले बात मनमोहन सिंह की। अपन ने आठ अगस्त को खुलासा किया था। खुलासा था- मनमोहन की आडवाणी से बातचीत का। मनमोहन ने आडवाणी से कहा था- 'आर्थिक नाकेबंदी बंद न हुई। तो अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा। पाकिस्तान संयुक्तराष्ट्र में राहत सामग्री भेजने की मांग कर दे। तो क्या होगा। सेबों के उत्पादक अपने ट्रक मुजफ्फराबाद की ओर मोड़ दें। तो क्या होगा।' आखिर बारह अगस्त को वह सब कुछ हो गया।

तेरह साल पुराना कर्फ्यू इतनी पुरानी महंगाई भी

Publsihed: 13.Aug.2008, 05:39

मनमोहन सिंह को बधाई। गुलाम नबी आजाद को भी। दोनों ने रिकार्ड तोड़ दिया। पर इससे पहले कि अपन इन दोनों के बारे में लिखें। जरा नरसिंह राव को याद कर लें। बात तब की जब वह पीएम नहीं बने थे। किसी ने उनसे कहा- 'आप भी हो सकते हैं पीएम।' तो उनने कहा था- 'मेरा पीएम बनना तबाही होगा।' राव का कहा सच निकला। एस बी चव्हाण उनके गृहमंत्री थे। उनने अपने इंटरव्यू में कहा- 'मैं प्रधानमंत्री के कारण बाबरी ढांचा नहीं बचा पाया।'

देर से ही सही, दुरुस्त रहा 11 अगस्त का दिन

Publsihed: 12.Aug.2008, 05:45

ऐतिहासिक हो गया ग्यारह अगस्त। अभिनव बिंद्रा ने इतिहास रच दिया। यों तो अस्सी साल पहले अपन ओलंपिक में शुरू हुए। पर अस्सी साल में अपन हॉकी पर ही अटके रहे। जितने भी स्वर्ण मेडल मिले। सब हॉकी की बदौलत ही। बाकी खिलाड़ी तो रजत और कांस्य से आगे नहीं बढ़े। सो अभिनव बिंद्रा ने रिकार्ड बनाया। पर ओलंपिक शुरू हुए। तो अपन ने लिखा था- 'ओलंपिक बीजिंग में, खेल इस्लामाबाद में।' सो ओलंपिक में अपन ने पहला स्वर्ण जीत इतिहास रचा। तो उधर पाकिस्तान में भी राजनीतिक इतिहास की इबारत लिखी गई।

ओलंपिक बीजिंग में खेल इस्लामाबाद में

Publsihed: 09.Aug.2008, 06:36

बीजिंग में ओलंपिक की शुरूआत जोरदार हुई। जैसे अपनी दीवाली में चीन की लड़िया-फुलझड़ियां आ चुकी। हू-ब-हू वैसे ही चीनी लड़ियों-फुलझड़ियों से शुरूआत हुई। ऐसा लगा- जैसे चीन में दीवाली मन रही हो। ओलंपिक का 29वां महाकुंभ। आठवें महीने की आठ तारीख। सन् भी 2008 टाइम भी आठ बजकर आठ मिनट, आठ सेकेंड। सिर्फ बीजिंग नहीं। पूरा चीन दुल्हन की तरह सजाया गया।

पीएम की दलील वाजिब पर समस्या तो हल हो

Publsihed: 08.Aug.2008, 10:32

मनमोहन के बाद अब मुशर्रफ की अग्निपरीक्षा। अपने यहां जम्मू का संकट। तो वहां कारगिल करने वाला संकट में। जम्मू कश्मीर सिर्फ अपने लिए नहीं। अलबत्ता पाकिस्तान के लिए भी मुसीबत। मुसीबत कोई बताकर नहीं आती। इसलिए तो मुशर्रफ को ऐन वक्त पर अपना चीन दौरा रद्द करना पड़ा। पर अपनी सोनिया पूरे परिवार के साथ चीन चली गईं। अपने कलमाड़ी ने राहुल को ओलंपिक मशाल के लिए बुलाया। तो डांट पड़ी थी। तब तिब्बती मशाल की मुखालफत कर रहे थे। पर अब सोनिया-राहुल-प्रियंका ही ओलंपिक देखने नहीं गए। अलबत्ता कांग्रेस के भावी रहनुमा भी उद्धाटन समारोह में दिखेंगे।

श्राइन बोर्ड के झगड़े का हल तो है, कोई चाहे तो

Publsihed: 07.Aug.2008, 06:45

आज बात कांग्रेसी फिरकापरस्ती की। सोचो, हज कमेटी को जमीन देने का सवाल होता। संघ परिवारी विरोध कर रहे होते। तो क्या कोई गुलामनबी आजाद अपने फैसले से पलटता। पर अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन देने का हुर्रियत कांफ्रेंस ने विरोध किया। तो गुलामनबी आजाद अपने फैसले से पलट गए। बात सिर्फ श्राइन बोर्ड को जमीन की नहीं। बात सिमी के मामले में होम मिनिस्टर के लुंज-पुंज होने की भी।  यों लालुओं-मुलायमों से पूछो। तो सिर्फ बीजेपी-शिवसेना ही फिरकापरस्त।

मनमोहन पर अब जल्द वादे निभाने का दबाव

Publsihed: 05.Aug.2008, 20:39

राजनीति में जो दिखता है, होता नहीं। जो होता है, वह दिखता नहीं। शरद पवार जब बोले- 'सपा की सरकार में शामिल होने में दिलचस्पी नहीं।' तो अपन असलियत समझ गए। मुलायम-अमर की उतावली समझ आ गई। इसीलिए तो बुधवार को अमर-मुलायम पीएम से मिलेंगे। पर अमर-मुलायम से ज्यादा उतावली तो शिबू सोरेन को। सरकार जब संकट में थी। तो सोनिया ने वादा किया था। सो अब शिबू ने सोनिया को याद कराया।