बधाईयों वाले खूब काम कर रही सरकार

Publsihed: 14.Aug.2008, 08:53

अपने मनमोहन सिंह को फिर बधाई। बधाई के पात्र अब अभिषेक मनु सिंघवी भी बन गए। पर पहले बात मनमोहन सिंह की। अपन ने आठ अगस्त को खुलासा किया था। खुलासा था- मनमोहन की आडवाणी से बातचीत का। मनमोहन ने आडवाणी से कहा था- 'आर्थिक नाकेबंदी बंद न हुई। तो अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा। पाकिस्तान संयुक्तराष्ट्र में राहत सामग्री भेजने की मांग कर दे। तो क्या होगा। सेबों के उत्पादक अपने ट्रक मुजफ्फराबाद की ओर मोड़ दें। तो क्या होगा।' आखिर बारह अगस्त को वह सब कुछ हो गया।

हुर्रियत-पीडीपी ने ट्रकों के मुंह मुजफ्फराबाद की ओर मोड़ दिए। वही मुजफ्फराबाद सड़क। जिसे दो साल पहले सोनिया-मनमोहन ने हरी झंडी दिखाकर खोला था। अब वही सड़क आफत बन गई। बात आर्थिक नाकेबंदी की। असल में कोई आर्थिक नाकेबंदी हुई ही नहीं। मनमोहन सिंह ने तिल का ताड़ बनाकर पेश किया। भारत का प्रधानमंत्री इस तरह की बात करेगा। पाकिस्तान फायदा क्यों न उठाएगा। अपन बीजेपी की बात नहीं करते। श्री अमरनाथ श्राइन संघर्ष समिति की बात भी नहीं करते। अपन बात करते हैं गवर्नर एन एन वोहरा की। बीजेपी-संघर्ष समिति ने जिसे हटाने की मांग की। वही वोहरा बुधवार को दूरदर्शन पर बोल रहे थे- 'कोई आर्थिक नाकेबंदी नहीं हुई। एक-दो दिन ट्रेफिक जाम हुआ था। उसे खुलवा दिया गया। कहीं फलों के ट्रक नहीं रुके। कहीं खाने-पीने के सामान की किल्लत नहीं हुई।' तो अपने पीएम ने किस आधार पर आर्थिक नाकेबंदी की अफवाह उड़ाई। अपन ने कल मनमोहन सिंह को बधाई दी। तो अपन ने दो बातों का जिक्र किया था। पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयान का। उनने कश्मीर में मुसलमानों की आर्थिक नाकेबंदी का आरोप लगाया। दूसरा जिक्र किया अपन ने विकास दर की पोल खुलने का। अपन को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। सी. रंगराजन ने बुधवार को कहा- 'मुद्रास्फीति 13 फीसदी के पार जाएगी। विकास दर नौ फीसदी से घटकर सात पर आएगी।' वाजपेयी के चुनावी साल में मुद्रास्फीति घटी थी, विकास दर बढ़ी थी। मनमोहन सिंह उल्टे बांस बरेली को। जहां तक बात महमूद करैशी की। तो अपने नवतेज सरना ने भारत के अंदरूनी मामलों में दखल पर टोका। अपन को पाक के परहेज की उम्मीद थी। पाक ने परहेज तो क्या करना था। उल्टे विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद सादिक ने वह बात कह दी। जो मनमोहन ने आडवाणी को बताई थी। सादिक ने कहा- 'हम कश्मीर के बिगड़ते हालात पर संयुक्तराष्ट्र से संपर्क कर रहे हैं।' इसीलिए अपन ने कहा- मनमोहन सिंह को बधाई। दूरदर्शी होने की बधाई। अपन ने कल बधाई गुलाम नबी आजाद को भी दी थी। जिक्र सरदार पटेल की कुर्सी पर बैठे शिवराज पाटिल का भी किया। जो जम्मू कश्मीर से दिल्ली आकर कह रहे थे- 'खुशी की बात यह है कि हालात सुधर रहे हैं।' पर उनके दिल्ली आते ही हालात बिगड़ गए। देश पर जब-जब संकट आया। पाटिल कमजोर होम मिनिस्टर साबित हुए। पाटिल की खिल्ली उड़ाते जितने कार्टून बने। उतने किसी और होम मिनिस्टर के नहीं बने। पर अभिषेक मनु सिंघवी को ऐसा नहीं लगता। वह बोले- 'पाटिल का कोई कसूर नहीं। वह सुस्त होम मिनिस्टर भी नहीं।' सो आज बधाई अभिषेक मनु सिंघवी को भी। सिंघवी सिर्फ पाटिल की तरफदारी करके बधाई के पात्र नहीं बने। लालू यादव की तरफदारी ने भी बधाई का पात्र बनाया। पहले एक चैनल ने खुलासा किया। फिर जेडीयू ने दस्तावेज बांटे। दस्तावेजों में दिखाया गया- 'लालू ने रेलवे में नौकरियों के बदले जमीनों की रजिस्ट्री अपने रिश्तेदारों के नाम करवाई।' और तो और कांति सिंह ने भी अपनी जमीन लालू के बेटे को दी। तब जाकर केंद्र में मंत्री बनाई गई। अपने अभिषेक मनु सिंघवी खंडन करते। दस्तावेजों को झुठलाते। अपन कतई ऐतराज न करते। सवाल पूछने पर उनने कहा- 'जब जमीन देने वाले को ऐतराज नहीं, तो आपको क्यों।'भ्रष्टाचार की ऐसी खुली पैरवी के लिए कांग्रेस बधाई की पात्र।

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