ऐतिहासिक हो गया ग्यारह अगस्त। अभिनव बिंद्रा ने इतिहास रच दिया। यों तो अस्सी साल पहले अपन ओलंपिक में शुरू हुए। पर अस्सी साल में अपन हॉकी पर ही अटके रहे। जितने भी स्वर्ण मेडल मिले। सब हॉकी की बदौलत ही। बाकी खिलाड़ी तो रजत और कांस्य से आगे नहीं बढ़े। सो अभिनव बिंद्रा ने रिकार्ड बनाया। पर ओलंपिक शुरू हुए। तो अपन ने लिखा था- 'ओलंपिक बीजिंग में, खेल इस्लामाबाद में।' सो ओलंपिक में अपन ने पहला स्वर्ण जीत इतिहास रचा। तो उधर पाकिस्तान में भी राजनीतिक इतिहास की इबारत लिखी गई।
परवेज मुशर्रफ को चलता करने की शुरूआत हो गई। पंजाब एसेंबली ने मुशर्रफ के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिया। बाकी तीनों एसेंबलियां भी जल्द करेंगी। अब फौज भी मुशर्रफ के साथ नहीं। पर मुशर्रफ अपने मनमोहन सिंह से सबक सीख चुके। मुशर्रफ को कम से कम बीस सांसदों के एबस्टेन रहने का भरोसा। मनमोहन सिंह ने लोकसभा में वह कर दिखाया। जो मनमोहन सिंह जैसे भले आदमी से होता नहीं। अगर अमर सिंह जैसे जांबाज न होते। अमर सिंह की अमर कहानी भी सोमवार को खुल गई। अपन को पता था- राजदीप सरदेसाई सोमवार को वह स्टिंग ऑपरेशन दिखा देंगे। पर भरोसा नहीं था। राजदीप ने पहले भी वादा किया था। सो क्या पता, अब भी पूरा हो या नहीं। राजदीप ने सोमवार को वे दोनों टेप भी जांच कमेटी को दे दी। जो उनने अब तक छुपा रखी थी। राजदीप समेत चैनल के पांच जने कमेटी के सामने पेश हुए। राजदीप बीजेपी के दबाव में तो थे ही। सो रात आठ बजे सारा स्टिंग ऑपरेशन दिखा ही दिया। हू-ब-हू वही बातें निकली। जो बीजेपी ने जांच कमेटी को लिखकर दी थीं। अपन ने तो चार अगस्त को ही लिख दिया था- 'बीजेपी ने चैनल के दफ्तर में सेंध लगा ली। तभी तो ट्रांस्क्रीप्ट तैयार कर पाए होंगे।' सोमवार को जब सब कुछ जारी हुआ। तो साफ हो गया- बीजेपी की ट्रांस्क्रीप्ट सीएनएन के टेप से ही बनी थी। सुहेल हिंदुस्तानी बिचौलिया बना था। वह बार- बार टेप में दिखाई दिया। अर्गल के घर दोनों दिन की टेप में। अमर सिंह के घर जैन कार नंबर- डीएल 5 सीसी-7218 पर जाते हुए। अपन बताते जाएं- यह कार सुहेल हिंदुस्तानी के दोस्त इस्मत की। इस्मत खुद ड्राइव कर रहा था। अब रेवती रमण सिंह का अर्गल के घर आना साबित हो गया। वह बार-बार कह रहे थे- 'वे बड़े आदमी हैं। आप चलो तो। दस मिनट में बात हो जाएगी। मैंने अभी पैसे की बात नहीं की है। वह आप खुद कर लेना।' सुहेल जब दोनों सांसदों को लेकर अमर सिंह के घर गए। तो वह कार पर आगे बैठे थे। कार पर टेंटिड शीशे चढ़े थे। पीछे वाली सीट पर अर्गल और कुलस्ते बैठे थे। पर दोनों दिखाई नहीं दिए। सुहेल कार से उतरकर अंदर गया। थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला, कार अंदर गई। यानी सुहेल बिचौलिए का काम कर रहा था। यह तब भी साबित हुआ। जब बाईस जुलाई को संजीव सक्सेना एक करोड़ रुपए लेकर आया। संजीव के साथ एक शख्स और था। काफी देर बात होती रही। संजीव अपने मोबाइल से अमर सिंह से बात करवाने की कोशिश करता रहा। पर फोन हर बार कट जाता। तभी भगोरा ने कहा- 'चलो तब तक खोलकर अपना-अपना ले लेते हैं।' संजीव थैला खोलता है। थैला वही कनवास का। जो अपन ने पहले भी लिखा था। पर अपन बात कर रहे थे सुहेल की। सुहेल का बिचौलिया होना तब साबित हुआ। जब नोट गिन लिए गए। तो वह कमरे में दाखिल हुआ। सुहेल ने संजीव के साथ आए व्यक्ति के साथ हाथ मिलाया। यानी वह संजीव के साथ आए व्यक्ति को जानता था। वह व्यक्ति भी सुहेल को जानता था। वह जरूर अमर सिंह के घर में संजीव सक्सेना का जूनियर होगा। नोटों से भरा थैला वही उठाकर लाया था। खाली थैला भी वही उठाकर ले गया था। अब अट्ठारह अगस्त को रेवती रमण सिंह, सुहेल हिंदुस्तानी, संजीव सक्सेना के साथ सुधींद्र कुलकर्णी की भी पेशी। सुधींद्र के बारे में अपन पहले लिख चुके। वह सारे स्टिंग ऑपरेशन का स्टिंग मास्टर रहा। पर अपन बात कर रहे थे अमर सिंह से बीजेपी सांसदों से फोन पर बात कराने की। आखिर बात हुई, तो बात अर्गल और भगोरा के साथ भी कराई गई। बातचीत हू-ब-हू वही। जो बीजेपी के ट्रांस्क्रीप्ट में थी। जब सब उठ गए। तो फिर उधर से फोन आया। फिर अर्गल, कुलस्ते, भगोरा तीनों से बात हुई। इस तरह स्टिंग ऑपरेशन चैनल पर दिख गया।
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