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Exclusive Articles written by Ajay Setia

यह आतंकवादियों के तुष्टिकरण का नतीजा

Publsihed: 02.Sep.2008, 20:39

केंद्र सरकार ने नया इतिहास रचा। पीएम जब कमजोर हो, तो ऐसा होना ही था। मंत्री राष्ट्रपति को मेमोरेंडम देने जा पहुंचा। यह सोनिया-मनमोहन नामक सत्ता के दो केंद्रों का नतीजा। संविधान का मजाक बनने लगा। मनमोहन ने अजय माकन को मंत्री बनाया। सोनिया ने पार्टी की जिम्मेदारी सौंप दी। असल में सत्ता के दुरुपयोग का यह नया उदाहरण।  जो केंद्रीय मंत्रियों को गैर कांग्रेसी राज्यों की जिम्मेदारी दी गई। उड़ीसा-झारखंड अजय माकन को। कर्नाटक पृथ्वीराज चव्हाण को। प्रियरंजन दासमुंशी को बंगाल की अध्यक्षी। सैफुद्दीन सोज को जम्मू-कश्मीर की। अपने सुरेश पचौरी अब मंत्री नहीं रहे। पर एमपी का अध्यक्ष मंत्री रहते ही बनाया।

नहीं समझ पा रही देश की नब्ज कांग्रेस

Publsihed: 01.Sep.2008, 20:35

बड़ा ख्वाब देखने में कोई हर्ज नहीं। ख्वाब देखों, तो बड़ा देखो। सो, कांग्रेस फिर बड़े-बड़े ख्वाब देखने लगी। पहले 1998 में पचमढ़ी में ख्वाब देखा था। तब तय किया था- 'कांग्रेस गठजोड़ की राजनीति नहीं करेगी।' असल में तब कांशीराम ने ताजा-ताजा झटका दिया था। सीताराम केसरी से चुनावी गठजोड़ किया। जीतकर बीजेपी की गोदी में जा बैठे। पर 1999 में सरकार बनाने का ख्वाब टूटा। तो सोनिया ने पांच साल बाद शिमला में पचमढ़ी का फैसला पलट दिया।

इटली के इशारे पर उड़ीसा में सीबीआई जांच की बात

Publsihed: 29.Aug.2008, 20:42

लो विकास दर पर भी अपनी भविष्यवाणी सही निकली। अपने मनमोहन-चिदंबरम जब दस फीसदी का ढोल पीट रहे थे। तब अपन ने 13 अगस्त को लिखा था- 'देख लेना विकास दर की भी पोल खुलेगी।' वही हुआ। अप्रेल-मई-जून के आंकड़े आ गए। तीन महीनों में विकास दर 7.9 फीसदी रही। जिस मुद्दे को उठा लीजिए। बंटाधार किया मिलेगा। जीडीपी और महंगाई की बात तो सब के सामने। आतंकवाद-भ्रष्टाचार भी किसी से छिपा नहीं।

बीजेपी को नहीं पची हत्या की नक्सली थ्योरी

Publsihed: 28.Aug.2008, 20:37

राजनीति नेता से क्या-क्या नहीं करवाती। अपने मनमोहन सिंह को ही देखो। जब तक सोनिया को लेकर बिहार की बाढ़ का हवाई सर्वे नहीं किया। तब तक लोग डूबते-मरते, भूख से बिलबिलाते रहे। केंद्र से राहत नहीं भेजी। सोनिया-लालू-पासवान समेत शिव की बारात लेकर बिहार गए। तब राहत राशि का मुंह खोला। राजनीति जम्मू में भी कम नहीं हुई। कंधमाल में भी कम नहीं हो रही।

नक्सली-चर्च गठजोड़ तो और खतरनाक होगा

Publsihed: 27.Aug.2008, 20:40

उड़ीसा का कंधमाल इलाका। जहां आजकल हिंदू-ईसाई सांप्रदायिक तनाव। अपन को 22 जनवरी 1999 की याद आ गई। तब ईसाई मिशनरी ग्राहिम स्टेन्स की हत्या हुई थी। स्टेन्स अपने दो बेटों के साथ कार में सो रहे थे। तीनों को जिंदा जला दिया गया। तब अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था- 'स्टेन्स के हत्यारों को माफ नहीं किया जाएगा।' अब अस्सी साल के स्वामी लक्ष्मणानंद की हू-ब-हू वैसे ही हत्या हुई।

टीडीपी के बाद अब तिरुपति से प्रजाराज्यम्

Publsihed: 27.Aug.2008, 06:20

तिरुपति की ठीक वही जगह। जहां मार्च 1982 में नंदमूरि तारक रामाराव ने टीडीपी बनाई थी। यानी एनटीआर की तेलुगूदेशम पार्टी। छब्बीस साल बाद उसी तिरुपति में अब प्रजाराज्यम्। एक और फिल्मी हस्ती चिरंजीवी का नया राजनीतिक दल। फर्क सिर्फ इतनाभर। एनटीआर ने मुअजिज लोगों का महानाडु बुलाया था। पर चिरंजीवी ने लाखों लोगों की रैली कर डाली। लाखों लोगों का हुजूम अपन ने ठीक इसी जगह 1992 में देखा था।

कश्मीर के हालात नेहरू की गलतियों का नतीजा

Publsihed: 25.Aug.2008, 20:39

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी बेहद खफा दिखे। खफा दिखे- बीजेपी ने उन्हें आतंकियों का चीयर्स लीडर क्यों कहा। इसका जवाब अरुण जेटली ने बाखूबी दिया। वह बोले- 'मुस्लिम तुष्टिकरण अब पुरानी बात हो गई। कांग्रेस अब अलगाववादियों-आतंकवादियों का तुष्टिकरण करने लगी।' यह बात अपन ने तेईस अगस्त को लिखी ही थी।

प्याज खाकर जूते खाने वाली बात न हो जाए

Publsihed: 22.Aug.2008, 20:40

अपन ने कल कांग्रेस के चार संकटों का जिक्र किया। जम्मू, स्टिंग, शिबू और एनएसजी। आज उन चारों की आगे पड़ताल। हुआ वही, जो अपन को शुरू से लगता था। एनएसजी ने एटमी ऊर्जा ईंधन व्यापार की छूट नहीं दी। पहली अगस्त को जब आईएईए ने करार पर मुहर लगाई। तब अपन ने लिखा था- 'रुकावटें अभी खत्म नहीं हुई। एनएसजी की शर्तें तो अपन की हालत ईरान जैसी बना देगी।'

कांग्रेस के चार संकट,जम्मू, स्टिंग, शिबू और एनएसजी

Publsihed: 22.Aug.2008, 06:26

यूपीए सरकार की एक मुसीबत हो तो बताएं। आखिरी दिनों में कुकरमुत्तों की तरह उग आई मुसीबतें। आखिरी दिनों की मुसीबत कितनी भारी पड़ती है। यह बीजेपी से बेहतर कोई नहीं जानता। आखिरी महीने में प्याज के भाव ने दिल्ली में बीजेपी के आंसू निकाले। यों कांग्रेस की मुसीबतें तो सारी खुद की खड़ी की हुई।

एनएसजी को फच्चर फंसाने का मौका दिया इराक ने

Publsihed: 21.Aug.2008, 06:08

एटमी करार के लिए अपने मनमोहन ने कितने पापड़ बेले। लेफ्ट की बैसाखी छोड़ मुलायम का सहारा लिया। वह भी कम पडा। तो सांसदों की खरीद-फरोख्त का कलंक माथे लगाया। आज उसी करार का इम्तिहान विएना में होगा। एनएसजी के पैंतालीस देश जांच पड़ताल करेंगे। एनएसजी की हरी झंडी मिली। तभी करार अमरीकी कांग्रेस में मंजूरी के लिए जाएगा। एनएसजी का फच्चर फंसा। तो समझो करार का राम नाम सत्य।