पीएम की दलील वाजिब पर समस्या तो हल हो

Publsihed: 08.Aug.2008, 10:32

मनमोहन के बाद अब मुशर्रफ की अग्निपरीक्षा। अपने यहां जम्मू का संकट। तो वहां कारगिल करने वाला संकट में। जम्मू कश्मीर सिर्फ अपने लिए नहीं। अलबत्ता पाकिस्तान के लिए भी मुसीबत। मुसीबत कोई बताकर नहीं आती। इसलिए तो मुशर्रफ को ऐन वक्त पर अपना चीन दौरा रद्द करना पड़ा। पर अपनी सोनिया पूरे परिवार के साथ चीन चली गईं। अपने कलमाड़ी ने राहुल को ओलंपिक मशाल के लिए बुलाया। तो डांट पड़ी थी। तब तिब्बती मशाल की मुखालफत कर रहे थे। पर अब सोनिया-राहुल-प्रियंका ही ओलंपिक देखने नहीं गए। अलबत्ता कांग्रेस के भावी रहनुमा भी उद्धाटन समारोह में दिखेंगे।

पर अपन बात कर रहे थे मुशर्रफ की। अग्निपरीक्षा के लिए ग्यारह अगस्त मुकर्रर हो गई। अपने यहां मनमोहन की 22 जुलाई को जो अग्निपरीक्षा हुई। उसके जख्म अब तक सेंक रहे हैं मनमोहन। खरीद-फरोख्त की जांच गुरुवार को भी हुई। किशोर चंद्र कमेटी ने अपने अर्गल और कुलस्ते को सुना। अपने महावीर भगोरा अस्पताल में। अपन ने छह अगस्त को लिखा था- 'सीएनएन की सीडी पूरी नहीं।' गुरुवार को यही आरोप अर्गल ने भी लगाया। खैर बात मुशर्रफ की। आपको याद न हो, तो याद दिला दें। कांग्रेस ने 19 जुलाई को कहना शुरू कर दिया था- 'विपक्ष के सांसद एबस्टेन कर सरकार बचाएंगे।' अपन ने भी बीस जुलाई को लिखा था- 'सरकार बची तो बीजेपी के कारण ही बचेगी।' वही हुआ भी। कुछ  एबस्टेन हुए, कुछ सरकार के साथ हो लिए। अब मनमोहन जैसी हालत मुशर्रफ की। तो मुशर्रफ भी विरोधियों के खेमे में एबस्टेन की सेंध लगाने की फिराक में। दस-बारह एबस्टेन हो गए। तो मुशर्रफ बच जाएंगे। पर मुशर्रफ को बीस मेंबरों के एबस्टेन होने का भरोसा। भारत-पाक का कल्चर एक जैसा। खान-पान एक जैसा। मानसिकता एक जैसी। दोनों देशों के सांसद एक जैसे। दोनों देशों के रहनुमा मनमोहन-मुशर्रफ की जहनियत भी एक जैसी। पर अपन ने बात शुरू की थी जम्मू की भी। अपन ने कल बताया ही था- ऑल पार्टी मीटिंग में क्या हुआ। सो अब शनिवार को ऑल पार्टी डेलीगेशन जम्मू जाएगा। आंदोलनकारियों से बात होगी। शिवराज पाटिल की रहनुमाई में कोई बड़ा नेता जाए। अपन को तो इसकी उम्मीद नहीं। बीजेपी ने अपने तेवरों में कोई ढिलाई नहीं बरती। गुरुवार को आडवाणी के घर मीटिंग हुई। तो मनमोहन की दरख्वास्त ठुकरा दी गई। मनमोहन की दरख्वास्त थी- बीजेपी आंदोलन न करे। पर बीजेपी ने जेल भरो आंदोलन का ऐलान कर दिया। ग्यारह से तेरह तक चलेगा आंदोलन। पर बीजेपी ऊपर से भले ही सख्त। अंदर से काफी नरम हो चुकी। आडवाणी ने जम्मू में ट्रकों को आने-जाने देने की अपील की। पिछले साल अगस्त के पहले पांच दिनों में सेबों के 432 ट्रक दिल्ली आए थे। अबके इन्हीं पांच दिनों में सिर्फ 83 ट्रक आए। पिछले साल सवा छह सौ करोड़ के सेब बिके। अबके सिर्फ सवा सौ करोड़ के। उधर घाटी में खाने-पीने के सामान की कमी हो  गई। सो मनमोहन ने पिछले हफ्ते आडवाणी को समझाया था-'आर्थिक नाकेबंदी बंद न हुई। तो अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा। पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में राहत सामग्री भेजने की मांग कर दे, तो क्या होगा। सेबों के उत्पादक अपने ट्रक मुजफ्फराबाद की तरफ मोड़ दें, तो क्या होगा।' सो आडवाणी पर असर हुआ। बाकौल फारूख अब्दुल्ला- गुरुवार को बीजेपी को-आपरेटिव थी। हमलावर या रक्षात्मक नहीं। पर मनमोहन की इस रणनीति से समस्या का हल तो नहीं निकलता। हल नहीं निकलेगा, तो राजनीति भी नहीं रुक सकती। कांग्रेस को घाटी की मुस्लिम राजनीति का हक। तो बीजेपी को भी जम्मू की हिंदू राजनीति का हक। यों भी बीजेपी पीछे हट जाए। तो जम्मू में अपना बाजा बजवा लेगी। वैसे बीजेपी ने अभी चुनावी तैयारियां शुरू नहीं की। पर कांग्रेस ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दीं। चीन जाने से पहले सोनिया ने नई कश्मीर कमेटी बना दी। कमेटी से मनमोहन-अर्जुन-अंबिका नदारद। इनकी जगह शिवराज-एंटनी-पृथ्वीराज।

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