अपन ने कल कांग्रेस के चार संकटों का जिक्र किया। जम्मू, स्टिंग, शिबू और एनएसजी। आज उन चारों की आगे पड़ताल। हुआ वही, जो अपन को शुरू से लगता था। एनएसजी ने एटमी ऊर्जा ईंधन व्यापार की छूट नहीं दी। पहली अगस्त को जब आईएईए ने करार पर मुहर लगाई। तब अपन ने लिखा था- 'रुकावटें अभी खत्म नहीं हुई। एनएसजी की शर्तें तो अपन की हालत ईरान जैसी बना देगी।'
शुक्रवार को एनएसजी की मीटिंग बेनतीजा रही। एनएसजी की नई शर्तें सामने आ गई। शर्तें हाईड एक्ट से मिलती-जुलती। स्टिंग ऑपरेशन के बाद एनएसजी में जो हुआ। अपन को वह कहावत याद आ गई। प्याज खाकर जूते खाने वाली। वह बाईस जुलाई थी, यह बाईस अगस्त। अपन स्टिंग ऑपरेशन का अगला एपीसोड भी बताएंगे। पर पहले जम्मू की बात। जुमे के दिन हुर्रियत ने श्रीनगर रैली में आजादी का नारा लगा दिया। इस बार पीडीपी से पहले नेशनल कांफ्रेंस ने बाजी मारी। नेका अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी आजादी पर बहस की वकालत कर दी। अपन को तो देश में फिरकापरस्ती के नए खतरे दिखने लगे। बात पोटा हटाने से आगे निकल गई। बात अफजल के बचाव से भी आगे निकल गई। कांग्रेस-सपा-बसपा के नुमाइंदे आजमगढ़ जा पहुंचे। जहां उनने अबू बशीर के बाप से मुलाकात की। अबू बशीर ने ही अहमदाबाद के बम धमाकों की साजिश रची थी। मुस्लिम तुष्टिकरण से आतंकवादियों के तुष्टिकरण तक आ पहुंचे। बीस-पच्चीस साल में एक और विभाजन का खतरा दिखने लगा। पर फिलहाल बात शिबू सोरेन की। तो शुक्रवार को मधु कोड़ा ने लालू-सोनिया से मुलाकात की। झारखंड का संकट कैसे हल हो। यह यूपीए को समझ नहीं आ रहा। पर अपन बात कर रहे थे स्टिंग ऑपरेशन की। अपन भविष्यवाणी करते जाएं। संसदीय जांच कमेटी की रपट से नया टकराव शुरू होगा। चार-तीन के फर्क से मामला खुर्द-बुर्द होने के आसार। किशोर चंद्र देव अखबारी अटकलों से बेहद खफा। उनने अखबारों में छपी खबरों पर स्पीकर को चिट्ठी लिख मारी। किशोर चंद्र देव के गुस्से की वजह समझना आसान। उनकी रपट बी. शंकरानंद, रामनिवास मिर्धा जैसी होगी। ज्यादा से ज्यादा- 'आरोप साबित नहीं हुए, और जांच की जरूरत कहकर पिंड छुड़ाएंगे।' शेयर घोटाले की रपट में रामनिवास मिर्धा ने भी यही लिखा था। रपट तय हो चुकी। बीजेपी को कटघरे में खड़ा करने की तैयारी। बीजेपी को इसकी भनक लग चुकी। बीजेपी का एक नेता बोला- 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटने वाली बात हो गई।' जांच रपट के बाद क्या होगा। उसकी तैयारियां भी शुरू हो चुकी। सोमनाथ चटर्जी दूसरी लड़ाई के लिए तैयार। उनने चार सितंबर को गोलमेज कांफ्रेंस बुला ली है। इस बाबत लालकृष्ण आडवाणी को चिट्ठी लिखकर बता दिया। कांफ्रेंस का मजमून है- 'बाईस जुलाई को लोकसभा में जो हुआ। उससे संसद की गरिमा घटने पर चर्चा।' जांच कमेटी की रपट आने से पहले कांफ्रेंस तय होने से बीजेपी के कान खड़े हुए। कांफ्रेंस का बीजेपी बायकाट भी कर सकती है। यह निर्भर होगा जांच कमेटी की रपट पर। टकराव कहीं लोकसभा से सामूहिक इस्तीफों पर न जा पहुंचे। बात वहीं पर, जहां से शुरू हुई। यानी एटमी करार पर। एनएसजी में तीन खेमे बन गए। करार के जोरदार हिमायती- चैक रिपब्लिक, रूस, बेलारूस, यूक्रेन। हिमायती पर तटस्थ- जर्मनी, जापान, आस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन। ड्राफ्ट में कड़ी शर्तों के हिमायती- आस्ट्रिया, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, नार्वे, डेनमार्क। इन पांचों देशों ने कहा- 'भारत को यूरेनियम खरीदने की छूट दे दी। तो सीटीबीटी-एनपीटी का क्या होगा।' इनने कहा- 'ड्राफ्ट में जोड़ा जाए- भारत ने विस्फोट किया, तो सारे प्रतिबंध लागू होंगे। हाईड एक्ट की शर्तें एनएसजी से छूट के ड्राफ्ट में जोड़ी जाएं।' अब ड्राफ्ट तो बदलना होगा। सोचो, विस्फोट न करने का लिखित वादा करना पड़ा। तो मनमोहन सरकार का क्या होगा। प्याज खाकर जूते खाने वाली हालत ही होगी।
आपकी प्रतिक्रिया