Terrorism

articles on national and international terrorism

दो आतंकी भाग गए तो पाटिल का क्या कसूर

Publsihed: 19.Sep.2008, 20:39

अपने मीडिया में भी तिस्ता सीतलवाड़ों, पीयूडीआर, पीयूसीएल जैसों की कमी नहीं। कहीं मुठभेड़ हुई नहीं। लगेंगे फर्जी बताने। इस बार तो इलाके की मुस्लिम जनता को भी भड़काया। ठीक उसी तरह, जैसे 1999 में विमान अपहरण के समय भड़काया था। शुक्रवार को दिल्ली के जामिया इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ खत्म भी नहीं हुई थी। सबसे तेज चैनल के मानवाधिकारी खबरची ने कांग्रेस  ब्रीफिंग में पूछा- 'मुठभेड़ को फर्जी बताया जा रहा है। कांग्रेस का क्या कहना है?'

'पाटिल' नहीं, देश को चाहिए 'पोटा'-'पटेल'

Publsihed: 18.Sep.2008, 06:27

कोई मां नहीं चाहती, उसका बेटा आतंकवादी बने। बेटा हत्यारा हो जाए। तो कोई मां जल्दी से भरोसा नहीं करती। सो अब्दुस सुभान कुरैशी उर्फ तौकीर की मां जुबैदा भी कैसे भरोसा करे। अपन ने सोलह सितंबर को तौकीर का जिक्र किया। विप्रो में कम्प्यूटर इंजीनियर था। इस्तीफा देकर अचानक गायब हो गया। इस्तीफे की वजह लिखी- 'धार्मिक स्टडी करना चाहता हूं।'

सौ दिन में आतंकवाद विरोधी 'पोटा' का वादा

Publsihed: 15.Sep.2008, 06:22

यूपीए सरकार आतंकवादियों के प्रति शुरू से नरम रही। अलबता आतंकवादियों से नरमी यूपीए का चुनावी वादा था। यूपीए और कांग्रेस की तारीफ करनी चाहिए। उनने चुनावों में किया वादा निभाया। सत्ता में आते ही आतंकवादियों को राहत दी। पहला कदम उठाया पोटा हटाने का। दूसरा कदम उठाया आतंकवादी की फांसी रुकवाने का। चुनावी वादा निभाने के लिए कांग्रेस की तारीफ करनी चाहिए। अपन तो आतंकवाद के प्रति बेवजह ही इतने गंभीर। एक दर्जन वारदातें ही तो हुई। एक हजार से ज्यादा लोग तो नहीं मरे होंगे।

बमों के तार कहीं दाऊद इब्राहिम से तो नहीं जुड़े

Publsihed: 30.Jul.2008, 20:44

गुजरात में बमों का मिलना अभी जारी। बुधवार रात तक सूरत में सत्ताईस बम मिल चुके। हैरानी की बात। अहमदाबाद के सभी बम फट गए। सूरत का एक भी नहीं फटा। बुधवार को अपने नरेंद्र भाई मोदी सूरत पहुंचे। वह लबेश्वर चौक गए। जहां मंगलवार को अच्छे-खासे बम मिले। मोदी बड़ोदा प्रेसटीज मार्किट से सिर्फ पांच सौ मीटर दूर थे। जहां बुधवार को भी बम मिला। अपन गुजरात में आतंकवाद की जड़ में जाएं। उससे पहले जरा सांसदों की खरीद-फरोख्त का आतंकवाद देख लें।

आतंकियों को अपनी सी लगती है यूपीए सरकार

Publsihed: 29.Jul.2008, 20:39

अपन ने कल सुषमा की आतंकी थ्योरी बताई थी। जिसमें उनने केंद्र सरकार को घसीटा था। सद्दाम हुसैन ने अपनी कुर्सी के लिए हजारों कुर्दो को मरवाया था। अपनी यूपीए सरकार सद्दाम हुसैन के रास्ते पर तो नहीं चलेगी। सो सुषमा की बात किसी के गले नहीं उतरी। एनडीए के बाकी दलों के गले भी नहीं उतरी। गले उतरने वाली बात ही नहीं थी।  सुषमा ने आतंकवाद को सांसदों की खरीद-फरोख्त से जोड़ा। बोली- 'विस्फोट लोकसभा में विश्वासमत के फौरन बाद हुए। विश्वासमत में सरकार खरीद-फरोख्त से नंगी हुई।

संसद के बाद भारत की जम्हूरियत पर हमला

Publsihed: 29.Jul.2008, 07:25

एनडीए-यूपीए में अब दोहरी जंग। पहली जंग कैश फॉर वोट के मोर्चे पर। दूसरी जंग आतंकवाद के मोर्चे पर। अपन दो दिन की छुट्टी पर गए। इसी बीच बंगलुरु-अहमदाबाद में बम धमाके हो गए। अब आतंकवाद पर कांग्रेस-बीजेपी में छीछालेदर। अपन छीछालेदर की बात बाद में करेंगे। पहले बात कैश फॉर वोट के मोर्चे पर यूपीए-एनडीए जंग की। अपने दिग्गी राजा ने आरोप लगाया था- 'एक करोड़ रुपया इंदौर के बैंक से निकाला गया। सीएम शिवराज की पत्नी के पार्टनर के खाते से पैसा निकला।

आतंकवाद राष्ट्रीय मुद्दा घोषित किया जाए

Publsihed: 24.May.2008, 20:42

फैडरल जांच एजेंसी ही नहीं, फैडरल कानून और फैडरल अदालत की भी जरूरत। आतंकवाद से लड़ने के लिए राज्यों और राजनीतिक दलों को तुच्छ राजनीति छोड़नी होगी।

इसी पखवाड़े राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नोएडा में डा. राजेश तलवार और डा. नूपुर तलवार की चौदह साल की बेटी आरुषि की हत्या हो गई। नोएडा पुलिस ने पहले दिन हत्या के फौरन बाद से गायब घरेलू नौकर हेमराज पर शक किया। हेमराज की तलाश में पुलिस टीम नेपाल भेज दी गई। अगले दिन डा. तलवार के घर की छत पर हेमराज की लाश मिली, तो पुलिस के होश उड़ गए। नोएडा पुलिस लगातार सात दिन तक हवा में तीर मारती रही और अफवाहों को हवा देती रही।

पोटा हटाकर फैडरल एजेंसी की वकालत

Publsihed: 14.May.2008, 20:41

अपनी आशंका सही ही निकली। घुसपैठ-धमाकों के तार पाकिस्तानी सियासत से ही जुड़े हैं। अपन ने कल सांभा सेक्टर में घुसपैठ का जिक्र किया। जिस पर एंटनी ने पाक फौज पर ऊंगली उठाई। घुसपैठ और विस्फोट के बाद बुधवार को तंगधार सेक्टर में गोलाबारी हुई। पाकिस्तान ने दूसरी बार सीज फायर का उल्लंघन किया। पाकिस्तानी फौज-आतंकवादियों का रिश्ता छुपा नहीं। यह कारगिल के वक्त भी साबित हुआ। जयपुर के विस्फोटों की जांच की सुई भी लश्कर-हूजी की ओर। लश्कर पाकिस्तानी आतंकी संगठन। तो हूजी आईएसआई का बांग्लादेशी आतंकी मॉडल। गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल जयपुर से लौटकर बोले- 'वारदात के पीछे सीमा पार की ताकतें।' पर जायसवाल के अलावा कोई पाक पर ऊंगली उठाने से बचा। शिवशंकर मेनन को ही लो। पूछा तो बोले- 'अभी किसी पर ऊंगली उठाना ठीक नहीं।' यह है आतंकवाद से लड़ने की भूल-भुलैया।

चुनावी बजट में आम आदमी निशाने पर

Publsihed: 22.Feb.2008, 20:40

अपन एंजियो प्लास्टी कराकर लौटे। तो पाकिस्तान में चुनाव नतीजे आ रहे थे। सो तीन दिन अपन ने हाल-ए-पाक बताया। पाक में अब हंगामे से पहले की खामोशी। बुश-मुशर्रफ की जमहूरियत विरोधी साजिश अभी भी जारी। साजिश क्या रुख अख्तियार करेगी? अपन को दिल थामकर इंतजार करना होगा। तब तक अपन अपनी आबो-हवा की पड़ताल करें। राजनीतिक आबो-हवा की बात तो करेंगे ही। पहले हाल-ए-मौसम बता दें। मौसम ने बहुत डर-डरकर करवट ली। फरवरी का आखिरी हफ्ता आ गया। सर्दी जाने का नाम नहीं ले रही। शुक्रवार को तापमान दस डिग्री से नीचे नहीं गया। तो दिल्ली वालों ने राहत की सांस ली। अब तो एक-आध दिन में स्वाटर उतरेंगे ही। अब बात राजनीतिक आबो-हवा की।

बेनजीर से सबक लेकर ही रैलियां करेंगे लाल जी

Publsihed: 05.Feb.2008, 20:40

वैसे इतनी जल्दी भी क्या थी। चौदहवीं लोकसभा का अभी सवा साल बाकी। सवा साल आडवाणी घूमते रहे। तो चुनाव आते-आते यों भी थक जाएंगे। अपन को तो पहले ही अंदेशा था। पता नहीं किस अनाड़ी ने सलाह दी होगी। पीएम-इन-वेटिंग को जरा इंतजार तो करना चाहिए। रैलियां जल्दी हो जाएंगी। तो जल्दी पीएम नहीं बन जाएंगे। अपन ने पाकिस्तान की पीएम-इन-वेटिंग का हाल तो देखा ही। मुशर्रफ भी बेनजीर को समझा-समझाकर थक गए। पर बेनजीर नहीं मानी। रैलियों पर रैलियां करती गई। यह संयोग ही, जो बेनजीर-आडवाणी दोनों सिंधी। दोनों कराची में पैदा हुए। यह भी संयोग। जो दोनों एक ही वक्त पीएम इन-वेटिंग बने।