यूपीए सरकार आतंकवादियों के प्रति शुरू से नरम रही। अलबता आतंकवादियों से नरमी यूपीए का चुनावी वादा था। यूपीए और कांग्रेस की तारीफ करनी चाहिए। उनने चुनावों में किया वादा निभाया। सत्ता में आते ही आतंकवादियों को राहत दी। पहला कदम उठाया पोटा हटाने का। दूसरा कदम उठाया आतंकवादी की फांसी रुकवाने का। चुनावी वादा निभाने के लिए कांग्रेस की तारीफ करनी चाहिए। अपन तो आतंकवाद के प्रति बेवजह ही इतने गंभीर। एक दर्जन वारदातें ही तो हुई। एक हजार से ज्यादा लोग तो नहीं मरे होंगे।
अपन जब कभी आतंकी वारदात के बाद शिवराज पाटिल को टीवी पर देखते हैं। अपन को लगता है पाटिल ऊपर वाली दोनों लाइनें कहेंगे। पाटिल के होम मिनिस्टर रहते एक बड़ा काम और हुआ। अपना खुफिया विभाग बेमौत मर गया। जब सरकार का इरादा खुफिया जानकारियों के इस्तेमाल का ही न हो। तो बेचारे खुफिया कर्मचारी क्या करें। अपन को एक खुफिया अफसर बता रहा था- खुफिया रपटों पर गंभीर चर्चा अब बंद हो चुकी।' हर आतंकी हमले के बाद ही होम मिनिस्ट्री में मीटिंग होती है। खुफिया रपटों पर यूपीए गंभीर होती। तो उसके राज में दो बार सिमी पर रोक न हटती। यूपीए राज में सिमी की जड़े मजबूत हो गई। उसने 'इंडियन मुजाहिद्दीन' बना लिया। जिसमें सारे मैंबर भारतीय। कुछ सीधे आतंकवादी वारदातों में शामिल। कुछ वारदात करने वालों को रहने-खाने पीने की मदद देंगे। लालू-पासवान-मुलायम की अब दोहरी वफादारी। एक वफादारी भारतीय संविधान के साथ। दूसरी वफादारी देश विरोधी सिमी-इंडियन मुजाहिद्दीन के साथ। कांग्रेस वही करने को मजबूर जो लालू-पासवान-मुलायम चाहें। नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बीजेपी वर्किंग कमेटी में सही कहा- 'लैफ्ट-मुसलिम लीग कभी राष्ट्रवादी नहीं रहे। बीजेपी घोर राष्ट्रवादी थी। कांग्रेस बीच का रास्ता अपनाती थी। अब कांग्रेस भी लैफ्ट-मुसलिम लीग जैसी हो गई।' बात मोदी की चली तो याद करा दें। पांच सितंबर को मोदी दिल्ली आकर पीएम से मिले थे। उनने बाद में अपन लोगों से भी बात की। उनने अपन को बताया था- 'गुजरात ने अहमदाबाद विस्फोटों के सारे तार खोल निकाले। सब काबू हो चुके। सिमी की ही सीनियर शाखा है- इंडियन मुजाहिद्दीन। पीएम को यह भी बताया- इंडियन मुजाहिद्दीन का अगला निशाना दिल्ली।' आखिर शनिवार को बम फटे। तो उनने याद कराया। क्या पीएम की खंडन करने की हिम्मत है। अपन खुफिया तंत्र की बात ही छोड़ दें। सीएम ने पीएम को बताया। होम मिनिस्ट्री फिर भी सोई रही। सीएम-पीएम मुलाकात के वक्त एनएसए नारायणन भी थे। इतवार को बीजेपी की वर्किंग कमेटी खत्म हुई। तो आडवाणी गुस्से में थे। पीएम इन वेटिंग के नाते उनने एलान कर दिया- ' हमारी सरकार बनी, तो सौ दिन में पोटा दुबारा लाएं। गुजरात-मध्य प्रदेश-राजस्थान के बिल भी राष्ट्रपति को भेज देंगे।' पिछले चुनाव में कांग्रेस का वादा इससे उलटा था। जिस पर अपन ने शुरू से यूपीए-कांग्रेस को बधाई दी। भले ही दर्जन भर से ज्यादा वारदातें हो गई। भले ही एक हजार से ज्यादा बेकसूर मारे गए। यूपीए ने वादा तो निभाया। आडवाणी ने सही कहा- 'आतंकवादियों को डर नहीं, क्योंकि डर तो कांग्रेस को वोट बैंक का है।' आडवाणी ने बीजेपी वर्किंग कमेटी को चुनाव जीतने के पाच मंत्र दिए। पहला- जीतने की जिद्द करो। दूसरा- गठबंधन करके देखो। तीसरा- टीम वर्क होना चाहिए। कम बोलो। गठबंधनों पर मीन मेख बंद करो। चुनावी रणनीति पर जुबान बंद रखो। साफ साफ कल्याण-कलराज-विनय कटियार को नसीहत। चौथा- सुशासन, विकास और सुरक्षा का एजेंडा बनाओ। पांचवां- युवा वर्ग को जोड़ो। उनने आतंकवाद के अलावा भी यूपीए की पोल खोली। आम आदमी से धोखे की पोल। एटमी करार से देश को धोखे की पोल।
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