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Exclusive Articles written by Ajay Setia

व्हाइट हाऊस, टैन डाउनिंग अपन से ज्यादा फिक्रमंद

Publsihed: 28.Nov.2008, 06:14

बुधवार रात 9.40 का वक्त। अपन डायनिंग टेबल पर बैठ चुके थे। पहली खबर आई- 'मुंबई में दो गुटों में गोलीबारी।' धीरे-धीरे परतें खुलती गई। तीन जगह गोलीबारी की खबर आई। तो अपन को पहली नजर में गैंगवार लगा। पर दस बजते-बजते हालात साफ हो गए। एटीएस चीफ हेमंत करकरे वीटी स्टेशन पर पहुंचे। अपन ने बुलेटप्रुफ जैकेट और हेलमेट लगाते देखा। रात बारह बजे करकरे को गोली लगने की खबर आई। करकरे मालेगांव जांच से सुर्खियों में थे। बयासी बैच के आईपीएस करकरे इसी साल जनवरी में लौटे। सात साल रॉ में डेपूटेशन पर आस्ट्रिया में थे। एटीएस की बात चली। तो बताते जाएं। मुस्लिम मुजाहिद्दीन एटीएस से बेहद खफा थी।

करकरे बोले- 'जांच की दाल में कुछ काला नहीं'

Publsihed: 27.Nov.2008, 06:42

अपन मालेगांव जांच से जुड़ी अफवाहों से परहेज करते रहे। वरना अफवाहें तो पूरी जांच राजनीतिक साजिश की थी। जो सोनिया को घेरने के लिए रची बताई गई। यानी जांच में सोनिया का कोई हाथ नहीं। अफवाहों में पवार के साथ एक कांग्रेसी दिग्गज का भी नाम था। पर अपन को अफवाहें तवज्जो देने लायक नहीं लगी। अपने नरेन्द्र मोदी मंगलवार रात बोले- 'जब मैं मकोका जैसा गुजकोका मांगता हूं। ताकि सलीम उस्मान बशर और कयामुद्दीन पर लगा सकूं। तो मनमोहन कहते हैं- यह पाशविक कानून है। पर महाराष्ट्र में एटीएस को प्रुफ नहीं मिला। तो प्रज्ञा, पुरोहित, पांडे पर मकोका लगा दिया। दाल में जरूर कुछ काला।' वह दाल में काला क्या है? इस पर कुछ रोशनी रविशंकर प्रसाद को डालनी पड़ी। उनने कहा- 'पवार ने पांच अक्टूबर को कैसे कहा- मालेगांव विस्फोट में हिंदू आतंकवादियों का हाथ।'

अदालत में तलब तिवारी पर बढ़ा इस्तीफे का दबाव

Publsihed: 26.Nov.2008, 06:31

छह एसेंबलियों के चुनाव आडवाणी के लिए महत्वपूर्ण। तो कांग्रेस के लिए भी जीवन-मरण का सवाल। आप इस चुनाव का महत्व एक बात से समझ लें। दो महीनों में वाईएस राजशेखर रेड्डी पांच बार दिल्ली आए। दक्षिण से कोई मुख्यमंत्री इतनी बार क्यों आएगा। आंध्र का सीएम पहले तो ऐसे कभी नहीं आया। किसी पब्लिक रैली को भी संबोधित नहीं किया। अपन बात आंध्र के गवर्नर की भी करेंगे। पर पहले बात मुख्यमंत्री और रैली की चली। तो नरेंद्र मोदी की बात करते जाएं। छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश से निपटकर मोदी दिल्ली में। मोदी की दहशत का हाल देखिए। पंचकुइयां रोड पर पब्लिक मीटिंग की इजाजत नहीं दी। तो मोदी 'रोड शो' में करिश्मा दिखा गए।

अब तो जनता ही तैयार करे सौ दिन का रोड मैप

Publsihed: 24.Nov.2008, 20:42

बधाई तो कश्मीर की जनता को। जिसने बायकाट का बाजा बजा दिया। हुर्रियत कांफ्रेंस की तो टैं बोल गई। पहले फेज में 69 फीसदी वोट पड़े। तो अलगाववादियों ने दूसरे फेज से पहले खूब बम फोड़े। पर दूसरे फेज में भी 65 फीसदी वोट पड़ गए। अलगाववादी अब जनता की पेशानी पर लिखी इबारत पढ़ लें। बैलेट की ताकत को समझें। बायकाट, हड़ताल और हिंसा की राजनीति छोड़ दें। फर्जी वोटिंग के आरोप अबके नहीं चलने। पूरी दुनिया ने पोलिंग बूथ पर लगी लंबी-लंबी लाइनें देख ली। इंटरनेशनल ऑबजर्वरों ने भी देख लिया। आवाम ने हुर्रियत से तौबा कर ली। इसका कुछ सेहरा तो अपन क्यूम खान के पोते के सिर भी बांधेंगे।

मुद्दा विहीन चुनाव में बेबात की चख-चख

Publsihed: 21.Nov.2008, 20:39

अपन भी चुनावी सर्वेक्षणों पर ज्यादा भरोसा तो नहीं करते। पर 'द वीक' ने अपनी साख बनाई। जिसके मुताबिक मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली में भगवा लहराएगा। राजस्थान में कांटे की टक्कर। बात भगवे की चली। तो बता दें- एटीएस का नई खोजबीन है- 'अभिनव भारत' के निशाने पर मुस्लिम और आरएसएस दोनों थे। मोहन भागवत, इंद्रेश की सुपारी दे दी थी। संघ ने नेशनलिस्ट मुसलमानों को जोड़ना तय किया। तो राष्ट्रीय मुस्लिम मंच बनाया। जिम्मा सौंपा गया इंद्रेश को। एटीएस पर भरोसा करें। तो साध्वी प्रज्ञा, दयानंद पांडे, रमेश उपाध्याय आरएसएस से खफा थे। 'अभिनव भारत' यानी गोडसे की विचारधारा। जो गांधी की तरह आरएसएस से भी खफा थे।

एटीएस की हरकत से कटघरे में होगा भारत

Publsihed: 20.Nov.2008, 20:37

छत्तीसगढ़ की जंग खत्म। सोनिया गांधी छत्तीसगढ़ में प्रचार नहीं कर पाई। ऐसा नहीं, जो चाहती नहीं थी। चाहती थी, इसीलिए तो आखिरी दिन गई। पर नतीजतन गुरुवार को अस्पताल जाना पड़ा। सोनिया की सेहत को अपन से बेहतर कौन जानेगा। मौसम बदलते ही अस्थमा के झटके अपन ने भी बहुत साल झेले। मौसम बदले, तो बचाव भी जरूरी, परहेज भी। सो मध्यप्रदेश में चुनावी बागडोर राहुल के हाथ होगी। राहुल बाबा गुरुवार को पहुंच भी गए। ताबड़तोड़ हमले भी शुरू कर दिए। वही जो मां ने छत्तीसगढ़ में आरोप लगाया था।

चुनावी गहमा-गहमी में कुछ कड़वा हो जाए

Publsihed: 19.Nov.2008, 20:39

अपन गांधी-गोडसे की बहस में नहीं पड़ते। मोटे तौर पर गोडसे का गुस्सा देश के बंटवारे पर था। फिर गांधी ने भारत से पाक को अच्छी खासी रकम दिला दी। गोडसे की अंतिम इच्छा थी- 'एक दिन फिर अखंड भारत बनेगा। तब सिंधु नदी में उसकी अस्थियां बहाई जाएं।' सो गोडसे की अस्थियां आज भी उनके परिवार के पास सुरक्षित। गोडसे को फांसी पंद्रह नवंबर 1949 को दी गई। सो इस बार भी पंद्रह नवंबर को कुछ लोग पुणे में श्रध्दांजलि देने जुटे। अस्थियों का कलश सामने रखा था। जहां गोडसे के परिजनों ने श्रध्दांजलि दी।

जब प्रज्ञा को उसके शिष्य से पिटवाया

Publsihed: 18.Nov.2008, 20:39

अपन की निगाह अब मानवाधिकारवादियों पर। जो जम्मू कश्मीर में आतंकियों के पैरवीकार बने फिरते थे। प्रज्ञा ठाकुर का हल्फिया बयान रोंगटे खड़े करने वाला। मानवाधिकारों का तो एटीएस ने जो हश्र किया, सो किया। देश की धर्म संस्कृति को भी अपमानित किया। अपन हल्फिया बयान के कुछ हिस्से बताएंगे। इन हिस्सों को पढ़कर आडवाणी ने भी चुप्पी तोड़ दी। अब तक मोर्चा राजनाथ सिंह संभाले हुए थे। मंगलवार को छत्तीसगढ़ में आडवाणी बोले- 'प्रज्ञा ठाकुर को दी गई यातनाओं की ज्यूडिशियल जांच होनी चाहिए। कानून पुलिस को यातनाओं की इजाजत नहीं देता। पुलिस का यह तौर-तरीका घोर आपत्तिजनक।'

एटीएस घिरी सवालों में, तो चूले हिली कांग्रेस की

Publsihed: 18.Nov.2008, 06:06

कांग्रेस सांप्रदायिकता करती चौराहे पर पकड़ी गई। जब सोमवार को कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी घिरे। तो बाटला हाउस मुठभेड और मालेगांव जांच पर जवाब देते नहीं बना। कांग्रेस के दर्जनभर  आला नेता बाटला हाउस मुठभेड़ पर सवाल उठा चुके। सवाल उठाने वालों में कपिल सिब्बल, दिग्गी राजा प्रमुख थे। कांग्रेस के अल्पसंख्यक मोर्चे ने तो बाकायदा सवाल उठाया। मुठभेड़ तो सबके सामने हुई। जांबाज सिपाही मोहन चंद्र शर्मा मुठभेड़ में शहीद हुआ। पर राजनाथ सिंह ने मालेगांव की अधपकी जांच पर सवाल उठाया। तो कांग्रेस जल-भुन गई। अभिषेक बोले- 'बीजेपी एटीएस को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।'

मोदी फार्मूले से बीजेपी को तीनों राज्यों में फायदा

Publsihed: 15.Nov.2008, 06:26

अपने प्रभात झा ने कांग्रेसी कुनबे को नई मुसीबत में घेरा। बोले- 'कांग्रेस में शिवराज चौहान के कद का नेता नहीं।' ऐसा नहीं, जो कांग्रेस जवाब नहीं दे सकती। पर कांग्रेस में कोई दूसरे को अपने से बड़ा नहीं मानता। दिग्गी राजा बड़े होते। तो सीएम पद के निर्विवाद उम्मीदवार होते। कमलनाथ-पचौरी में झगड़ा ही न होता। सोनिया ने भले ही पचौरी को बड़ा बना दिया। पर कमलनाथ मानने को तैयार नहीं। ज्योतिरादित्य भी पचौरी को बड़ा कहने को राजी नहीं। दिग्गी राजा ने जमुनादेवी-सुभाष यादव को कभी बड़ा बनने ही नहीं दिया। अब कमलनाथ को भले ही बड़ा बताएं। पर वक्त आने पर टांग खींचते दिखाई देंगे।