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Exclusive Articles written by Ajay Setia

बांग्लादेशी हों, या उल्फा जिम्मेदार तो कांग्रेस ही

Publsihed: 31.Oct.2008, 06:13

राजनाथ सिंह की दलील तो दमदार। दलील सुनकर कांग्रेसियों की भी हवा खिसक गई। पुलिस जैसा दावा प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बारे में कर रही। आरुषि हत्या कांड में राजेश तलवार के खिलाफ भी ऐसी ताल ठोकती थी। डाक्टर राजेश तलवार का भी पचास दिन मीडिया ट्रायल हुआ। पुलिस-सीबीआई ने राजेश तलवार के खिलाफ कितनी दलीलें घड़ीं। पर सबूत नहीं जुटा पाई। थ्योरियों से केस नहीं जीते जाते। आखिर सीबीआई की तो कोर्ट में हवा निकली ही। मीडिया की भी हवा निकली।

आतंकवाद नहीं, सिर्फ मुद्दे से निजात की कोशिश

Publsihed: 27.Oct.2008, 20:35

साध्वी प्रज्ञा की गिरफ्तारी पर कई सवाल। क्या सचमुच हिंदुओं के सब्र का प्याला भर चुका। क्या रिटायर्ड फौजी भी आतंकवाद के तुष्टिकरण की नीति से खफा। पर इन दो सवालों से पहले एक मूल सवाल। सवाल पुलिस एफआईआर की विश्वसनीयता का। अदालत में आधे केस ठहरते ही नहीं। इमरजेंसी में इसी पुलिस ने कितने मनघढ़ंत केस बनाए। संघ के अधिकारियों पर भैंस चोरी तक के केस बने। बर्तन चोरी तक के केस बनाए गए। अपने पास ऐसे एक-आध नहीं। दर्जनों केसों के सबूत मौजूद।

तो दादा वाकआउट कर गए लोकसभा से

Publsihed: 25.Oct.2008, 05:35

अपन ने कल दादा के इस्तीफे का शक जाहिर किया। शुक्रवार बीतते-बीतते अपना शक और बढ़ने लगा। दादा ने तब इस्तीफा नहीं दिया। जब दादा की पार्टी सीपीएम ने मांगा। अब सब कुछ गंवाकर इस्तीफे के मूड में। शुक्रवार को बोले- 'मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं।' एनडीए ने चार साल दादा पर सौतेले व्यवहार का आरोप लगाया। लेफ्ट तो अपने सांसद के बचाव में हमेशा आगे रहा। अब उसी लेफ्ट से दादा की तू-तू, मैं-मैं की नौबत। शुक्रवार का किस्सा बहुत मजेदार रहा। सुनाएंगे।

अब हम गाली खा ही रहे हैं, तो सबकी खाएंगे

Publsihed: 23.Oct.2008, 20:39

अपन ने कल जानबूझ कर स्पीकर पर नहीं लिखा। दादा का गुस्सा सातवें आसमान पर। कहीं अपन पर ही न फूट पड़ें। आखिर दो साल पहले सुभाष कश्यप पर फूटा ही था। जरा वह किस्सा याद दिला दें। दादा और ममता की सदन में खटपट हुई। सुभाष कश्यप ने एक चैनल पर सिर्फ इतना कहा था- 'दादा अपने जीवन में एक बार ही हारे। वह भी ममता बनर्जी से। सो वह टीस तो रहेगी ही।' दादा इस पर भड़क गए। सुभाष कश्यप लोकसभा के महासचिव थे। सो अपनी क्या बिसात।

चंदा मामा नजदीक के

Publsihed: 23.Oct.2008, 05:53

संसद तो गिरती-लुढ़कती ही दिखी। लोकसभा की तो अब चली-चली की वेला। अपन ने 21 अक्टूबर को ही लिखा था- 'अपन को आशंका मानसून सत्र के ही आखिरी होने की।' वह लक्षण अब साफ दिखने लगे। अपन ने लोकसभा चैनल पर सोमनाथ चटर्जी का इंटरव्यू देखा। तो अपना माथा और ठनका। अब तक किसी स्पीकर ने ऐसे इंटरव्यू नहीं दिया। उनने अपने कार्यकाल के फैसलों की सफाईयां दी। सीपीएम से नाता टूटने पर भी अपना पक्ष रखा। पर बुधवार को संसद के अलावा भी दो बड़ी घटनाएं हुई।

लालूगर्दी से मराठी नहीं, कन्नड़, उड़िया भी खफा

Publsihed: 21.Oct.2008, 20:44

होने को राज ठाकरे से अपन भी खफा। पर दिखने वाली काली चीज तवा नहीं होती। ना हर पीली चीज सोना। इतवार को अपन ने भी चैनलों पर देखा। राज ठाकरे की सेना ने रेलवे भर्ती का एक्जाम सेंटर वैसे ही उजाड़ा। जैसे रामलीला में हनुमान श्रीलंका की अशोक वाटिका उजाड़ता है। बात श्रीलंका की चली। तो बताते जाएं- अबके श्रीलंका यूपीए सरकार को उजाड़ने को तैयार।

मानसून सत्र चलेगा भी नहीं, सत्रावसान भी नहीं होगा

Publsihed: 21.Oct.2008, 06:00

मून मिशन की उलटी गिनती शुरू। मानसून सत्र की नहीं। मानसून कब का आकर चला गया। मानसून सत्र निपटने का नाम नहीं ले रहा। पहले बात मून मिशन की। सेहरा भले ही मनमोहन अपने सिर पर बांध लें। पर मून मिशन वाजपेयी की देन। वाजपेयी ने 2003 में हरी झंडी दी। मनमोहन सरकार ने तो ना-ना करते फंड दिया। महंगा सौदा बताती रही। बात कश्मीर में ट्रेन की हो। मून मिशन की। देश को एटमी ताकत बनाने की। स्वर्णिम चतुर्भुज की। नदियों को जोड़ने की। ग्रामीण सड़क योजना की। घर बनाने के सस्ते लोन की। वाजपेयी का ट्रेक रिकार्ड मनमोहन से लाख दर्जे बेहतर।

सोमवार से शुरू होंगे सब के अपने-अपने एजेंडे

Publsihed: 18.Oct.2008, 08:47

तो पहले दिन लोकसभा श्रध्दांजलि देकर उठ गई। राज्यसभा में  पीएम की वादा खिलाफी पर हल्ला हुआ। कंधमाल और मंगलूर की सांप्रदायिकता भी उठी। हल्ले-गुल्ले में ही राज्यसभा भी उठ गई। सोमवार तक राम-राम। पहले दिन लोकसभा शोकसभा बन गई। पर सोमवार को मेजें थपथपाई जाएंगी। दोनों सदनों की शुरूआत सचिन तेंदुलकर को बधाई से होगी। खेलों के मामले में प्रभाष जोशी रुपइया। तो अपन धेला भी नहीं। पर गावस्कर के बाद अब सचिन ने देश का नाम ऊंचा किया। सो अपनी भी बधाई।

सोनिया सीएम को बचाए या मंत्री के बलात्कारी बेटे को

Publsihed: 16.Oct.2008, 20:37

गोवा सरकार पर सवा साल में तीसरी बार संकट। वैसे गोवा 1963 में आजाद हुआ। पैंतालीस साल में पच्चीस सरकारें बदल चुकी। छोटे राज्यों में विधायकों की ब्लैकमेलिंग का पुख्ता सबूत है गोवा। यों गोवा में सिर्फ एनडीए राज में शांति रही। जब बीजेपी के मनोहर पारिक सीएम थे। कांग्रेस ने आते ही खेल शुरू किया। एस सी जमीर को तख्ता पलटने के लिए गवर्नर बनाकर भेजा। मारग्रेट अल्वा और दासमुंशी भी हफ्ताभर गोवा में बैठे। दलबदल से बनाई सरकार ढाई साल चलाई। पर वहां कब कौन एमएलए ब्लैकमेलिंग पर उतर आएं। कौन इस्तीफा देकर अपने ही दल की सरकार को अल्पमत में ले आए। कोई नहीं कह सकता।

मंत्री बोले- नहीं पता यह लोकसभा कब भंग होगी

Publsihed: 15.Oct.2008, 20:37

संसद का मानसून सेशन कल से। यों पहले दिन चलना नहीं। लोकसभा के श्रीकांथपा और किशन लाल दलेर नहीं रहे। दोनों को श्रध्दांजलि देकर उठ जाएगा। अपन को शुक्रवार से सत्र शुरू करने की बात पल्ले नहीं पड़ी। यूपीए ने यह नई रिवायत कायम की। किसी ज्योतिषी ने कहा होगा। वरना तो हमेशा सोमवार से शुरू होता था। यों कहने को कांग्रेस सेक्युलर। पर ज्योतिषियों के चक्कर में खूब। लेफ्टियों ने पता नहीं कैसे चार साल झेला।