चुनावी गहमा-गहमी में कुछ कड़वा हो जाए

Publsihed: 19.Nov.2008, 20:39

अपन गांधी-गोडसे की बहस में नहीं पड़ते। मोटे तौर पर गोडसे का गुस्सा देश के बंटवारे पर था। फिर गांधी ने भारत से पाक को अच्छी खासी रकम दिला दी। गोडसे की अंतिम इच्छा थी- 'एक दिन फिर अखंड भारत बनेगा। तब सिंधु नदी में उसकी अस्थियां बहाई जाएं।' सो गोडसे की अस्थियां आज भी उनके परिवार के पास सुरक्षित। गोडसे को फांसी पंद्रह नवंबर 1949 को दी गई। सो इस बार भी पंद्रह नवंबर को कुछ लोग पुणे में श्रध्दांजलि देने जुटे। अस्थियों का कलश सामने रखा था। जहां गोडसे के परिजनों ने श्रध्दांजलि दी।

अखंड भारत वीर सावरकर का भी सपना था। आरएसएस ने भी अखंड भारत का सपना नहीं छोड़ा। भले ही बीजेपी ने अखंड भारत से पिंड छुड़ा लिया हो। सो इस मायने में भारत में अब हिंदुओं की अलग-अलग विचारों वाली कई टोलियां। गांधी शांति से देश को आजाद कराना चाहते थे। गेंदालाल दीक्षित से लेकर सुभाष चंद्र बोस तक की राय अलग थी। सुभाष चंद्र बोस ने तो तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया। अपन नहीं जानते पाक में कितने लोगों की राय बदल चुकी। धर्म के आधार पर अलग देश तो बना। पर दोनों देशों की भाषा, बोली, त्योहार, संस्कृति एक सी। अपन 2004 में पाकिस्तान गए। तो अपन ने आम लोगों से बात की। ज्यादातर लोगों का लब्बोलुबाब था- 'बंटवारा राजनीतिक भूख ने करवाया। दोनों देशों में दरार भी राजनीतिबाजों की वजह से।' अपन इसी कालम में अपने पाकिस्तानी दोस्तों के दिलों का दर्द कई बार उड़ेल चुके। बंटवारा विरोधियों की भारत में भी कमी नहीं। ऐसे-ऐसे लोग बंटवारे के खिलाफ। जिनका आरएसएस- गोडसे की विचारधारा से कोई ताल्लुक नहीं। अखंड भारत का सपना तो लोहिया भी देखते थे। जो संघ के हमेशा खिलाफ रहे। पर बात गोडसे की हिंसक विचारधारा की। अपने एक हिंदू कम्युनिस्ट मित्र बेहद परेशान दिखे। बोले- 'अगर साध्वी प्रज्ञा, मेजर पुरोहित सचमुच धमाकों में शामिल। तो देश में जरूर अंदर ही अंदर एक आग सुलग रही है। अब भले ही वह आग थम जाए। पर विस्फोट जरूर होगा।' अपन इस राय से इतेफाक न भी रखें। तो भी एक आशंका तो बन ही गई। यों अब तक जो सबूत सामने आए। मुंबई एटीएस की थ्योरी में कोई दम नहीं। अरुण जेटली अपन को बता रहे थे- 'अगर प्रज्ञा ठाकुर का हल्फिया बयान सही। तो एटीएस की थ्योरी का हश्र आरुषि हत्याकांड थ्योरी जैसा ही होगा।' डाक्टर राजेश तलवार का नार्को टेस्ट भी हुआ था। कम्पाउंडर और डाक्टर दुर्रानी के नौकर का नार्को टेस्ट भी हुआ। नार्को टेस्टों पर सीबीआई ने कितने दावे किए। यहां तो एटीएस नार्को टेस्ट का खुलासा भी नहीं कर रही। सिर्फ लीक करके खबरें छपवा रही है। बाद में मुकरने में देर नहीं लगेगी। सो मध्यप्रदेश बीजेपी के नेता अनिल दवे ने मौजू सवाल किया। उनने कहा- 'एटीएस देश को नार्को टेस्ट का रिजल्ट बताए। मीडिया को लीक करना बंद करे। खुद जज बनना छोड़े।' वैसे अपन बताते जाएं- नार्को टेस्ट की अदालत में कोई वुक्कत नहीं। पर अपन बात कर रहे थे अखंड भारत की। सोनिया गांधी की एक तारीफ तो करनी पड़ेगी। उनने कांग्रेस में एक सेल बनाया है- शिकायतों का। जिसकी चेयरमैन हैं अर्चना डालमिया। डालमिया के पास एक अर्जी पाकिस्तान से आई। बहुत मार्मिक अर्जी थी। मोबिन नाम के एक लड़के का लीवर खत्म हो चुका था। डालमिया ने मोबिन के लीवर ट्रांसप्लांट का बंदोबस्त किया। अपोलो अस्पताल में हुआ ट्रांसप्लांट। बुधवार को मोबिन पाक रवानगी से पहले सोनिया से मिला। तो उसने कहा- 'मेरी इच्छा है कि भारत-पाक फिर से एक हो जाएं।' अखंड भारत की इच्छा सुनकर सोनिया सन्न रह गई। यह कांग्रेस के एजेंडे में नहीं। पर बात बहुत भावुक थी। सोनिया बोली- 'हां, मैं भी आपकी भावना का आदर करती हूं। मैं भी चाहती हूं कि दोनों देशों में मैकेनिज्म बने।' अखंड भारत नहीं।

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