कांग्रेस सांप्रदायिकता करती चौराहे पर पकड़ी गई। जब सोमवार को कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी घिरे। तो बाटला हाउस मुठभेड और मालेगांव जांच पर जवाब देते नहीं बना। कांग्रेस के दर्जनभर आला नेता बाटला हाउस मुठभेड़ पर सवाल उठा चुके। सवाल उठाने वालों में कपिल सिब्बल, दिग्गी राजा प्रमुख थे। कांग्रेस के अल्पसंख्यक मोर्चे ने तो बाकायदा सवाल उठाया। मुठभेड़ तो सबके सामने हुई। जांबाज सिपाही मोहन चंद्र शर्मा मुठभेड़ में शहीद हुआ। पर राजनाथ सिंह ने मालेगांव की अधपकी जांच पर सवाल उठाया। तो कांग्रेस जल-भुन गई। अभिषेक बोले- 'बीजेपी एटीएस को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।'
शायद कांग्रेस एटीएस के यू-टर्न से बौखला गई। एटीएस के वकील अजय मिसर ने शनिवार को कोर्ट में कहा था- 'लेफ्टिनेंट जनरल पुरोहित के पास साठ किलो आरडीएक्स था। जो उनने भगवान दास नाम के आदमी को दिया। वह आरडीएक्स समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में इस्तेमाल हुआ।' पुरोहित के वकील ने अदालत में तभी कहा था- 'एटीएस ने रिमांड बढ़ाने की अर्जी में यह सब नहीं लिखा। सरकारी वकील जो कह रहा है, वह लिखित में दे।' पर अदालत ने जनरल पुरोहित का रिमांड बढ़ा दिया। मीडिया ने अजय मिसर के बयान को पत्थर पर लकीर मान लिया। कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जनरल पुरोहित को हिंदू आतंकवादी घोषित कर दिया। अखबार-मैगजीन कोई कसर नहीं छोड़ रहे। सेना में सांप्रदायिकता की घुसपैठ लिखने लगे। हिंदू विरोधी लेखकों को तो जैसे बहाना चाहिए था। मीडिया में अपन नया चलन देख रहे हैं। पुलिस की सच्ची-झूठी कहानी को जस का तस पेलने लग गए। पहले ऐसा नहीं होता था। पड़ताल की, तो पता चला समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट में आरडीएक्स था ही नहीं। तब बेंगलुरु की लेबोरेटरी से जांच हुई थी। जांच में कहा था- 'अमोनियम नाइट्रेट, सल्फ्यूरिक एसिड, पेट्रोल का इस्तेमाल हुआ।' पुलिस ने तब अपनी रपट में भी यही कहा था। पुलिस की बात छोड़िए। होम मिनिस्टर शिवराज पाटिल ने भी यही कहा था। अपन को समझ नहीं आई- दिल्ली वाले पाटिल की टीम सही। या महाराष्ट्र वाले आर. आर. पाटिल की। दोनों पाटिल देश को बेवकूफ तो नहीं बना रहे। यह बात सामने आई। तो राजनाथ सिंह ने एटीएस की पोल खोलकर रख दी। एटीएस के तो पांव तले से जमीन निकल गई। इतवार को राजनाथ सिंह पानीपत में एटीएस पर गरजे। तो एटीएस चीफ हेमंत करकरे की किरकिरी हुई। कांग्रेस को तो सारी कहानी बिगड़ती दिखने लगी। सो करकरे इतवार को ही कांग्रेस की किरकिरी बचाने में जुट गए। मुंबई में बोले- 'मुझे नहीं पता अजय मिसर ने अदालत में क्या कहा। हमने समझौता एक्सप्रेस में आरडीएक्स की बात नहीं कही।' प्रज्ञा ठाकुर के बारे में भी एटीएस का बदला रुख बताते जाएं। शुरू-शुरू में प्रमुख साजिशकर्ता कहती रही। अब दबी जुबान से कहने लगी- 'प्रज्ञा ठाकुर को साजिश की जानकारी थी।' टीवी चैनलों में एक खबर दिखाई गई थी- 'प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ उनकी फोन पर बातचीत का टेप अदालत में पेश किया गया।' यह खबर एकदम झूठी थी। कोई टेप पेश नहीं किया गया। एटीएस की मनगढ़ंत कहानी थी। एक नौकर का तथाकथित बयान। वह नौकर कौन था? क्या एटीएस की हिरासत में है? यह अभी तक सामने नहीं आया। एटीएस के हर रोज नए झूठ की पोल खुलने लग गई। बीजेपी शुरू-शुरू में प्रज्ञा पर चुप्पी साधे थी। फिर लेफ्टिनेंट पुरोहित के मामले में चुप रही। दोनों ही बार राजनाथ सिंह ने लीड ली। बीजेपी बचाव से हमलावर हो गई। राजनाथ ने इतवार को पानीपत में एटीएस को कटघरे में खड़ा किया। तो लठमार वैंकैया नायडू ने भोपाल में कांग्रेस का बैंड बजा दिया। कांग्रेस का तो हलक सूख गया। अभिषेक ने सोमवार को हमलावर होने की कोशिश तो की। पर सवालों की बौछार हुई। तो चूले हिल गई। न एटीएस की जांच पर जवाब देने को बना। न बाटला हाउस की मुठभेड़ को फर्जी बताने पर। बोले- 'नहीं, कांग्रेस ने कभी मुठभेड़ को फर्जी नहीं कहा।' कहते हैं न, झूठ के पांव नहीं होते।
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