रूस और अमेरिका दोनों के लिए भारत सिर्फ मार्केट
बीते हफ्ते चौदहवीं लोकसभा के मध्यावधि सर्वेक्षणों की धूम रही। दो निजी चैनलों और उनके प्रिंट मीडिया ने सर्वेक्षण एजेंसियों के साथ मिलकर मध्यावधि सर्वेक्षण करवाए। दोनों औद्योगिक घरानों का मकसद सिर्फ अपनी टीआरपी बढ़ाना था। अगर एक चैनल अपना जन सर्वेक्षण जारी कर दे और टुकड़ों-टुकड़ों में जारी कर दे, तो उसे लगातार टीआरपी में बढ़ोतरी मिलती है। प्रतिद्वंदी चैनल को भी जवाबी तैयारी करनी ही पड़ती है। राजेंद्र यादव ने जनवरी के 'हंस' का विशेषांक विजुअल मीडिया की टीआरपी लड़ाई पर ही निकाला है। इस विशेषांक में खुद विजुअल मीडिया के पत्रकारों ने अपनी टीआरपी की भूख मिटाने के लिए किए और किए जा रहे कुकर्मो का खुलासा किया है।