शोभित शक्तावत / सन् 1528 में मीर बाक़ी ने अयोध्या में बाबरी ढांचा बनवाया था, लेकिन सन् 1528 से तो भारत के इतिहास की शुरुआत नहीं होती.
कथा इससे बहुत बहुत पुरानी है, बंधु. श्रीराम के मिथक से जुड़े लोक और शास्त्र के संपूर्ण वांग्मय में अहर्निश उल्लेख है अवधपुरी और सरयू सरिता का. पुरातात्त्विक सर्वेक्षण के अटल साक्ष्य हैं. परंपरा की साखी है. कोई इससे चाहकर भी इनकार नहीं कर सकता.
विवाद किस बात पर है? सन् 1528 में रामजन्मभूमि पर बाबरी ढांचे का बलात् निर्माण ही एक आक्रांताजनित दुर्भावना का परिचायक था. वह स्वयं एक भूल थी. भूलसुधार का तो स्वागत किया जाना चाहिए ना.